EXCLUSIVE-बालोद में हुए भ्रष्टाचार की गूंज पहुंची दिल्ली तक, पूर्व विधायक राजेंद्र राय ने पीएम मोदी को लिखी थी चिट्ठी, इस पंचायत में दिल्ली से पहुंची जांच के लिए टीम

बालोद। बालोद जिले में भ्रष्टाचार कई बार अचानक से सामने आता है। कई भ्रष्टाचार हो रहे हैं लेकिन वह छिपे रहते हैं जब तक कि मामले में कोई शिकायत सामने नहीं आती। ऐसा ही एक मामला इन दिनों चर्चा में आ गया है वह है गुंडरदेही ब्लॉक का भरदा कला पंचायत। जहां के भ्रष्टाचार की गूंज जनपद, जिला पंचायत से होते-होते दिल्ली तक पहुंच गई है। इस मामले को दिल्ली तक पहुंचाने में अहम भूमिका गुंडरदेही के पूर्व विधायक राजेंद्र राय की रही है ।जिन्होंने उनके पास इस मामले से संबंधित दस्तावेज आने के बाद उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी और इसमें उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी। क्योंकि इस मामले में स्वयं सरपंच द्वारा भी जांच की मांग की जा रही है। वह इसलिए क्योंकि उनकी बिना जानकारी से शासन के पैसों का दुरुपयोग हो रहा है। सरपंच द्वारा जनपद और जिला पंचायत में कई बार इस संबंध में शिकायत भी की जा चुकी है कि उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। लेकिन इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं हो रही थी। वहां के सचिव द्वारा भी गड़बड़ी की जा रही थी जिन्हें ठोस कार्रवाई करने के बजाय उन्हें एक पंचायत से दूसरे पंचायत में स्थानांतरित कर दिया गया। जहां भी गए वहां भी भी आर्थिक गड़बड़ी करते रहे। इन सब से त्रस्त होकर भरदा कला की आदिवासी सरपंच लक्ष्मीबाई मेरीहा द्वारा भी मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की जा रही थी। उन्होंने राजेंद्र राय को भी इस संबंध में एक प्रतिवेदन सौंपा था। पूरे मामले को भारत सरकार नई दिल्ली के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पूर्व विधायक राजेंद्र राय ने दिल्ली तक पहुंचाया। जिसके बाद लगभग 12 लाख रुपयेके कथित भ्रष्टाचार के मामले में जांच टीम बनाई गई और दिल्ली से जांच टीम बालोद पहुंची। इस टीम के आने की सूचना बकायदा जिला प्रशासन को भी दी गई है और उन्हें कहा गया है कि उनके छत्तीसगढ़ पहुंचने के बाद उनके ट्रेवल उनके ठहरने उनके खाने व अन्य इंतजाम जिला प्रशासन को करना है। इस टीम में प्रमुख रूप से मनरेगा डिपार्टमेंट से ही डायरेक्टर टीम लीडर के रूप में धर्मवीर झा तो मनरेगा के सीईओ प्रोग्राम ऑफिसर अवनींद्र कुमार व प्रोग्राम ऑफिसर वर्क किरण चरण पाध्य शामिल है। यह टीम बालोद जिले में 6 जुलाई को पहुंची है। जो यहां से 9 जुलाई को वापस दिल्ली रवाना होंगे। धर्मवीर झा आईएसएस डायरेक्टर महात्मा गांधी नरेगा मिनिस्ट्री ऑफ रूरल डेवलपमेंट गवर्नमेंट ऑफ इंडिया कृषि भवन दिल्ली से आए हुए हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो भरदा कला में हुए मनरेगा के इस भ्रष्टाचार का मामला दिल्ली तक पहुंच चुका है। चूंकि मनरेगा केंद्र सरकार की योजना है इसलिए भ्रष्टाचार चाहे छोटे रूप में हो चाहे बड़े रूप में। इसे सरकार गंभीरता से लेती है और उस चिट्ठी पर जांच कमेटी बैठा दी गई है ।

आखिर किस तरह की लिखी थी राजेंद्र ने चिट्ठी

हमारे पास जो उपलब्ध है इसके मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजेंद्र राय द्वारा लिखी गई चिट्ठी के मुताबिक इसमें कहा गया है कि भारत सरकार के महत्वाकांक्षी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के बालोद जिला विधानसभा गुंडरदेही के कांग्रेस विधायक व संसदीय सचिव छत्तीसगढ़ शासन ने पद का दुरुपयोग व भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। जिस पर उच्च स्तरीय जांच की जाए। इसमें कहा गया है कि ग्रामीण पंचायत स्तर पर होने वाली सभी विकास निर्माण कार्यों के लिए संबंधित ग्राम पंचायतों को क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करते हैं। इसी आधार पर कार्यरत मजदूरों व सामग्री के क्रय किए गए दुकानदारों को भुगतान की कार्यवाही की जाती है। पर भरदा कला पंचायत में हुए निर्माण कार्य व धान उपार्जन केंद्र में चबूतरा निर्माण की राशि में करीब ₹12 लाख रुपये का भुगतान हिमलेश्वरी देवांगन कांग्रेस कार्यकर्ता है, को ठेकेदार के रूप में भुगतान कर दिया गया है। चिट्टी के जरिए आरोप है कि इस भुगतान के पीछे स्थानीय विधायक कुंवर निषाद की भूमिका संदिग्ध है। वर्तमान सरपंच लक्ष्मीबाई जो आदिवासी वर्ग से है। जिनका किसी दस्तावेज में सहमति व हस्ताक्षर नहीं कराए गए हैं। गांव के अन्य वार्ड पंच जो सरपंच विरोधी हैं व ग्राम पंचायत सचिव की भूमिका लिखा पढ़ी में महत्वपूर्ण रही है उसे जिला पंचायत को शिकायत करने पर अन्यत्र हटा दिया गया है। राजेंद्र राय ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखते हुए निवेदन किया था कि नियमानुसार क्रियान्वयन एजेंसी ग्राम पंचायत सत्यापित मस्टररोल एवं देयक का भुगतान की जांच हो व आदिवासी सरपंच को धोखे में रख बिना सत्यापित भुगतान स्वयं के लाभ व कमीशन के लिए कांग्रेस कार्यकर्ता को काम दिया गया। इस कार्य अंजाम देने वाले जनपद पंचायत गुंडरदेही एवं जिला पंचायत बालोद के सीईओ का साफ कहना है कि हमने विधायक के दबाव के चलते भुगतान कर दिया है। इस तारतम्य में सरपंच को बर्खास्त करने हेतु राजस्व दंडाधिकारी द्वारा धारा 40 के तहत बर्खास्त किए जाने पर भी जांच किया जा चुका है। इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए जो 12 लाख का भुगतान किया गया है वह सारे आदेश निरस्त कर शासन के खाते में वापस किया जाए। इस संबंध में छत्तीसगढ़ कांकेर लोकसभा के सांसद मोहन मंडावी को भी आवेदक ने न्याय की गुहार में आवेदन पत्र प्रस्तुत किया है। संबंधित विभाग के अधिकारियों को आदेश जारी कर उचित कार्यवाही करने की भी मांग की गई है।

अब पढ़िए सरपंच ने कलेक्टर से की थी जिला पंचायत व अन्य अफसरों से संबंधित कैसी शिकायत?

इस मामले में ही सरपंच द्वारा भी जनप्रतिनिधियों व उच्च अधिकारियों को शिकायत की गई है। उस शिकायत में उन्होंने जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ लोकेश चंद्राकर द्वारा मनमाने तरीके से व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार किए जाने का आरोप लगाया था। उनका आरोप है कि सीईओ द्वारा कलेक्टर की आंखों में धूल झोंक कर मनमाने तरीके से मनरेगा के कार्य कराने के लिए ठेकेदारों से प्रत्येक जनपद से पैसे लेकर मोटी रकम के रूप में उगाही की जा रही है। जिसकी निष्पक्ष जांच की जाए। भरदा कला का जिक्र करते हुए सरपंच ने आवेदन में लिखा है कि धान उपार्जन केंद्र में चबूतरा निर्माण के लिए 1 लाख 10000 रुपए भ्रष्टाचार , सीईओ जिला पंचायत जनपद पंचायत के द्वारा किया गया। इस कार्य की स्वीकृति जनपद मनरेगा के आदेश क्रमांक 87 दिनांक 4 जून 2020 को दी गई। जनपद पंचायत गुंडरदेही 6 जून 2020 जनपद से उक्त आदेश को स्थगित कर आदेश जारी किया गया। सीईओ जनपद गुंडरदेही द्वारा सरपंच ग्राम पंचायत भरदा कला को जनपद कार्यालय में बुलाकर एग्रीमेंट कराया गया। सीईओ जिला पंचायत बालोद द्वारा सरपंच को फोन पर दबाव डाला गया कि सब इंजीनियर भेज रहे हैं लेआउट कराओ। जबकि यह कार्य कराए जाने के लिए दबाव पूर्ण करके सब इंजीनियर द्वारा कार्यस्थल में जाकर मार्किंग करा कर ले आउट दे दिया गया जबकि ग्राम पंचायत इसमें सहमत नहीं थी। 10 जून 2020 को पूर्व सरपंच हिमलेश्वरी देवांगन द्वारा चबूतरा निर्माण का कार्य चालू कर दिया गया। इसके लिए ग्राम पंचायत द्वारा कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया ना ही कार्य करने के लिए किसी प्रकार का आदेश था। इस संबंध में सरपंच द्वारा मौखिक रूप से 16 जून 2020 को जनपद गुंडरदेही सीईओ को भी शिकायत की गई थी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। कार्रवाई नहीं होने पर ग्राम पंचायत द्वारा 18 जून 2020 को कलेक्टर को शिकायत लिखित की गई। कलेक्टर द्वारा सीईओ जिला पंचायत बालोद को आदेशित किया गया। पर सीईओ जिला पंचायत बालोद द्वारा जांच समिति गठित की गई जिसमें अपने ही करीबी व चहेते लोगों को समिति में रखा गया।
जहां समिति द्वारा सीईओ जनपद के दबाव में निष्पक्ष जांच नहीं की गई व टालमटोल बुरा बाहर किया जाता रहा। इसकी निष्पक्ष जांच वरिष्ठ अधिकारियों से किया जाए। सरपंच द्वारा यह भी कहा गया है कि सीईओ जिला पंचायत बालोद द्वारा उक्त कार्य के प्रति आदेश जारी किया गया है जिसमें कार्य स्वीकृति मनरेगा के तहत अभिसरण से की गई किंतु अभिसरण कौन से विभाग से मध्य किया जाना है या कृषि समिति या अन्य कौन से समिति से किया जाना है इसका उल्लेख नहीं किया गया ।जिसकी शेष राशि ग्राम पंचायत को मिलना संभव नहीं है। जिला पंचायत बालोद द्वारा चबूतरा का कार्य भरदा कला में जिस व्यक्ति के द्वारा कराया गया वह ठेकेदार ही नहीं है उसे सिविल वर्क का कोई अनुभव ही नहीं है ना ही कोई पंजीयन है। ऐसे अनुभवहीन व्यक्ति को काम करने को कहा गया जिसका कोई आदेश ग्राम पंचायत द्वारा जारी नहीं किया गया। इस प्रकार पंचायत के बगैर सहमति आदेश के अगस्त 2020 में चबूतरा का काम पूर्ण कर लिया गया। कार्य इतना घटिया स्तर का है जिसमें गिट्टी सीमेंट रेट निर्धारित मात्रा में नहीं डाला गया। घटिया निर्माण की भी बारीकी से जांच की मांग की गई है।

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