1 हफ्ते से छग में धान का परिवहन नहीं, सोसायटी में चूहों की दावत, बोरे कुतर रहे, दीमक चढ़ रहे , अफसरों ने बताई परिवहन न करने की ये वजह?

रायपुर/ बालोद /जगन्नाथपुर। शासन द्वारा धान खरीदी तो पूरी कर ली गई है। लेकिन उनका सोसायटी से उठाव समय पर नहीं हो रहा है। जिसके चलते इलाके के धान खरीदी केंद्रों में बदहाली देखने को मिल रही है। 1 हफ्ते से जुंगेरा, सांकरा ज, दरबारी नवागांव, कुरदी सहित जिले के कई केंद्रों में धान का परिवहन नहीं हुआ है। इससे समितियों में बहुत बुरी स्थिति पैदा हो गई है। सरकार व समिति दोनों का ही इसमें नुकसान होता है, समय पर उठाव ना होने से धान सूखता है तो वहीं अन्य तरह से भी नुकसान होता है। लेकिन इसके बाद भी परिवहन व्यवस्था  ना सुधारने के चलते हर साल यह परिस्थिति पैदा होती है। एक बड़ी बात ये सामने आ रही है की सरकार ने खुद अभी परिवहन रोक दिया है. जब हमने आसपास के सोसायटी में जाकर मौका निरीक्षण किया तो कई तरह की बदहाली देखने को मिली।

सांकरा ज में 17 हजार क्विंटल धान जाम

छगन देशमुख

सांकरा ज सोसायटी में 17000 क्विंटल धान जाम है। सुबह जब 8 बजे हम यहां पहुंचे तो परिवहन के लिए एक भी गाड़ी नहीं लगी थी। सोसायटी के अध्यक्ष छगन देशमुख ने कहा 1 हफ्ते से गाड़ी ही नहीं आ रही है। हम धान की रखवाली करने में ही व्यस्त हैं। ऊपर से धान को काफी नुकसान हो रहा है। मौके पर ही कई बोरो को चूहों ने कुतर रखा था। धान इधर-उधर बिखरे पड़े हुए थे।नीचे दीमक भी चढ़ रहा था। ऐसे में सोसायटी प्रबंधन भी परेशान है कि आखिर कब तक ऐसी रखवाली करते रहेंगे। धान खरीदी समाप्त हो गई पर उसके परिवहन के अभाव में परेशानी बरकरार है।

यहां तो 19 हजार क्विंटल धान जाम

दरबारी नवागांव के उप केंद्र में भी सांकरा से ज्यादा 19000 क्विंटल धान जाम पड़ा हुआ है। वहां भी 10 दिन से परिवहन ही नहीं हुआ है। वहां के प्रबंधन का कहना है कि नई खरीदी केंद्र है इसके बाद भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पहले इस इलाके के किसान सांकरा ज में धान बेचने के लिए जाते थे। सांकरा ज समिति के अंतर्गत ही दरबारी नवागांव को उपकेंद्र बनाया गया है। पर परिवहन की स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है। दो केंद्र होने से इस बार दोनों सोसायटी में खरीदी का दबाव तो कम बढ़ा लेकिन प्रशासनिक व्यवस्था सही ना होने से परिवहन ठप पड़ा है।

फटे पुराने बारदाने में पैरा भरकर चला रहे काम

वहीं कुछ केंद्रों में जब हम पहुंचे तो वहां चूहों का इतना उत्पात देखने को मिला है कि धान भरे बारदाना को कुतर दिए हैं। जिससे धान गिर ना जाए इसलिए उसमें पैरा भरकर कर्मचारी उसकी रखवाली कर रहे हैं। बता दें कि इस साल  सरकार द्वारा बारदाने का भी पूरा इंतजाम नहीं किया गया था। किसानों से ही बारदाना खरीदवाया गया तब जाकर बड़ी मुश्किल से खरीदी हुई। कोरोना काल के दौरान जुट कंपनियां बंद होने से बारदाना भी नहीं बन पाया था। इससे सप्लाई प्रभावित हुई। परिवहन को लेकर काफी दिक्कत आ रही है।

 डीएमओ का कहना- राज्य से ही परिवहन का आदेश नही

डीएमओ शशांक सिंह

 डीएमओ शशांक  सिंह का कहना है कि स्टेट के आदेश पर परिवहन रोक दिया गया है। सेंट्रल से आवंटन अभी नहीं हुआ है। जिससे पूरे राज्य में परिवहन बंद है। कुछ मिलर जो अभी धान उठा रहे हैं वह भी सिर्फ प्लास्टिक बारदाने से जहां धान भरा है, वही का धान उठा रहे। ऑनलाइन सिस्टम से जहां पर प्लास्टिक बारदाना है वहीं पर का ही डीओ कट रहा है।  सेंट्रल से आवंटन आने व राज्य सरकार की अनुमति के बाद ही आगे की व्यवस्था बनेगी।

You cannot copy content of this page