विश्व कैंसर दिवस आज-जिस बीमारी का नाम सुनकर ही लोग कांपते हैं, उससे जंग जीतकर यह बेटी कर रही है दूसरों को प्रेरित, कहती है मन से हारे तो फिर जीत मुश्किल,, पढ़िए इनकी कहानी
डौंडीलोहारा/ बालोद।कैंसर… नाम सुनते ही एक भय और पूरे शरीर मे सिहरन पैदा हो जाता है।भगवान ऐसी बीमारी दुश्मन को भी ना दे। एक लंबा इलाज ,असहनीय दर्द ,लाखों का खर्च उसके बाद भी गारंटी नहीं कि ठीक हो जाए। ठीक हो भी गए तो दोबारा रिपीट होने का 90% चांस रहता है ।इंसान पूरी तरह टूट जाता है । आज कैंसर निषेध दिवस पर हम आपको एक ऐसे ही शख्सियत के बारे मे बताने जा रहे हैं, जिसने कैंसर से लड़ा ही नहीं बल्कि जीता भी और आज लोगों के लिए एक आदर्श बनकर उभरी है । वह हैं डौंडीलोहारा की सुश्री एनुका शार्वा। जी हां आज एक जाना पहचाना चेहरा बन चुकी हैं ।साल 2017 मे जब इन्होंने अपने ही हाथों से चेक करने के बाद गांठ का अहसास हुआ तो टेस्ट कराने के बाद पता चला कि स्तन कैंसर है। तो कुछ क्षण के लिए लगा कि सब कुछ खत्म हो गया। धीरे धीरे परिवार और दोस्तों का साथ और हौसला मिला तो तय कर लिया अब इससे लड़ना ही एक उपाय है और फिर शुरू हुआ एक लंबा इलाज की प्रक्रिया। सर्जरी, कीमो,दवाई और फिर धीरे धीरे ऐसा भी समय आया कि एनुका कैंसर की जंग को जीतकर एक सामान्य जीवन जी रही है और लोगों को भी जागरूक कर रही हैं।
सुश्री एनुका शार्वा शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला डौंडीलोहारा में भौतिक शास्त्र की व्याख्याता है।इनके द्वारा शाला की छात्राओं को भी जागरूक करना ,समय समय पर स्वयं के हाथों से टेस्ट करने के लिए प्रेरित करने के साथ अगर किसी प्रकार का लक्षण पाये जाने पर जांच की उचित सलाह और अस्पताल जाने भी सहयोग करतीं है ।इसी प्रकार यू ट्यूब पर भी विडियो के माध्यम से जागरूक करने का कार्यक्रम चलाती है।
सुश्री शार्वा को नृत्य का शौक है और उन्होंने हार नहीं मानते हुए अपने शौक को बरकरार रखा है।छत्तीसगढ़ी के साथ एक कुशल ओडिसी नृत्यांगना है और राष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी प्रस्तुति दे रही हैं। कैसर जैसे घातक बीमारी से जीतने के बाद उनका जज्बा देखते ही बनता है। रोज 2 घंटे का अभ्यास करती हैं ।
कोरोना वारियर की भी की मदद
कोरोना काल में जब संपूर्ण लाकडाउन था तो अपने घर में स्वयं के हाथों से आवश्यक सेवाओं मे तैनात कर्मचारियों के लिए मास्क बना रही थी ।इनके द्वारा पुलिस विभाग ,डाक विभाग ,शिक्षा विभाग ,नगरपंचायत के साथ साथ अन्य जरूरत मंद लोगों को लगभग 500 मास्क वितरण किया गया ।
सुश्री शार्वा एक शिक्षिका हैं और उन्होंने यहां भी अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटी और आनलाइन क्लास के साथ साथ आफलाइन क्लास भी ले रही हैं ।हायरसेकंडरी स्तर में जिले में सर्वप्रथम मोहल्ला क्लास इनके द्वारा ग्राम अंडी में शुरू किया गया जो आज भी डौडीलोहारा के सेन समाज भवन में चल रहा है।समय समय पर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के निरीक्षण भी किया जाता रहा है।
सुश्री शार्वा ने बताया कि उनके पास कैंसर से पीड़ित लोगों के परिजनों का फोन आता है और कई बार लोग मिलने भी आते हैं तो मैं उनको उचित सलाह देते हुए हिम्मत ना हारने की बात कहतीं हूँ। क्योंकि आप अगर मन से ही हार मान लेंगे तो जीतना मुश्किल हो जाता है। इसलिए सही जगह और सही उपचार के साथ आपको दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है। जो आपको ठीक होने मे काफी मदद करता है साथ ही संयमित खानपान और नियमित योग व्यायाम भी जरूरी है। जिसे मैं नृत्य करके पूरी करती हूं।
ठीक होने के बाद भी आपको काफी सावधानी की जरूरत पडती है नहीं तो दुबारा रिपीट होने का काफी चांस रहता है ।