जियें तो जियें ऐसे,,,स्वच्छता और हरा भोजन से यह बुजुर्ग महिला जी गई 100 साल से ज्यादा की जिंदगी, 103 साल की उम्र में हुआ निधन तो बेटों ने बाजे गाजे एवं पटाखे के साथ किया अंतिम संस्कार
हरिवंश देशमुख ,मालीघोरी। मालीघोरी (दुधली) की रहने वाली कचरी बाई देशमुख का 103 साल की उम्र में निधन हो गया। बहुत कम लोग होते हैं जो आज के समय में 100 साल या उससे ज्यादा उम्र तक जी पाते हैं। इतनी उम्र दराज होने के बाद भी कचरी बाई देशमुख रोज टहलने निकलती थी। दूसरों की तरह बिस्तर पर ही नहीं रहती थी। लेकिन उन्हें दुनिया से अलविदा होना ही था, गुरुवार को सुबह उनका निधन हो गया। इस निधन पर परिवार में शोक तो था ही पर इतने वर्षों तक जीने की खुशी भी देखने को मिली । जिसके चलते परिवार के बेटों ने अपनी मां को बाजे गाजे के साथ अंतिम विदाई दी। बकायदा बाजे गाजे एवं पटाखे फोड़ कर बुजुर्ग महिला के शव को कंधा देकर दुधली के मुक्तिधाम तक लाया गया और अंतिम संस्कार किया गया।
यह था राज उनकी सेहत का
बेटे पंचराम, संतराम, मोहन हेमसिंह, डोमन सिंह ने बताया कि उनकी माता शुरुआत से ही खानपान को लेकर बहुत ही गंभीर रहती थी। ताजा हरा भोजन करती थी। स्वच्छता को लेकर भी बहुत ध्यान देती थी। शारीरिक साफ-सफाई व पारिवारिक सुख उनके जीवन का मुख्य आधार था और वह इस उम्र तक कभी भी बीमार नहीं हुई है,यही वजह है इतने लंबे वर्षों तक जीवित रहने का। उनका इतने लंबे वर्षों तक जीवित रहना भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय रहता था और लोग उनके पास आकर उनकी इस उम्र में भी तंदुरुस्ती का राज पूछा करते थे। उनकी माता लोगों को हमेशा खान-पान सही रखने को लेकर नसीहत देती थी। आज लोग रसायन की चीजें ज्यादा खा रहे हैं। इसके अलावा नशा पान व जो चीजें सेहत के लिए हानिकारक है उनका सेवन करते हैं। इस वजह से उम्र भी घटती जा रही है। कई लोग बुढ़ापे से पहले ही गुजर जाते हैं। तो कई लोग मुश्किल से 70-80 साल ही जी पाते हैं। लेकिन 100 साल या उससे ज्यादा साल जीने वालों की संख्या गिनती की होती है। उनमें एक नाम कचरी बाई देशमुख का भी शुमार हो गया।