स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम विद्यालय बालोद में विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस मनाया गया

बालोद । प्राथमिक चिकित्सा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल सितंबर के दूसरे शनिवार को दुनिया भर में विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस मनाया जाता है. इस बार यह 14 सितंबर को मनाया गया । इसी तारतम्य में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम विद्यालय बालोद के स्काउट,गाइड,रोवर,रेंजर और जूनियर रेडक्रॉस के द्वारा किसी घायल ,बीमार या रोगी व्यक्ति को चिकित्सक के पास ले जाने के पूर्व आपातकालीन स्थिति में तत्काल राहत किस प्रकार पहुचाई जाती है , उन सभी प्राथमिक चिकित्सा विधियों को बताया गया , जिसमें फर्स्ट एड बॉक्स के बारे में, किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आने पर उसे सीपीआर कैसे दिया जाता है , स्कार्फ या रुमाल से शरीर के अलग अलग अंगो में विभिन्न प्रकार की पट्टियां बांधकर किस प्रकार घायल व्यक्ति को राहत पहुंचाई जाती है।


दो लाठियों पर रस्सी,बेल्ट स्कार्फ,शर्ट और चादर से वैकल्पिक स्ट्रेचर का निर्माण । इनके साथ विभिन्न आपातकालीन स्थिति जैसे जहरीले जीवों के काटने, विद्युत आघात, सदमा , पानी में डूबना , हड्डी के टूटने, ऊंचाई से गिरने, आग से जलने, आदि के प्राथमिक उपचारों के बारे में भी बताया गया ।


इस अवसर पर संस्था के प्राचार्य अरूण कुमार साहू ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि
विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस को स्कूलों में मनाने का प्रमुख उद्देश्य स्कूलों में बच्चों को प्राथमिक उपचार के बारे में प्रशिक्षित कर उन्हें किसी भी अप्रिय दुर्घटना जैसे एक्सीडेंट आदि की स्थिति में घायल व्यक्तियों की जान कैसे बचाई जा सकती है।
गंभीर या मामूली घटना में भी रोगियों को तुरंत उपचार की अवस्था में किस प्रकार ला सकते है ।
रोगियों को भी मानसिक रूप से सशक्त महसूस कराने के लिए प्राथमिक उपचार मददगार साबित होती है।


किसी को भी जान माल का नुक्सान न हो, उसकी जागरूकता के लिए भी प्राथमिक उपचार की आवश्यकता होती है।
अधिकाधिक जीवन को बचाने के मकसद से लिए गए निर्णयों को भी बल देने के लिए प्राथमिक उपचार की आवश्यकता पड़ती है।
व्याख्याता व स्काउट गाइड प्रभारी नेमसिंह साहू ने बताया कि जब भी किसी को चोट लगती है या कोई दुर्घटना हो जाती, तो सबसे पहले उस व्यक्ति को फर्स्ट एड दी जाती है, उसके बाद डॉक्टर के पास इलाज के लिए ले जाते हैं. इसलिए फर्स्ट एड किट हमेशा पास होनी जरूरी है. इसी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वर्ल्ड फर्स्ट एड डे मनाया जाता है. विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस की शुरुआत वर्ष 2000 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज (IFRC) द्वारा की गई थी. यह फर्स्ट एड डे एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए एक ग्लोबली कार्य करता है।


इस कार्यक्रम को सफल बनाने में समस्त स्टॉफ के साथ साथ हेल्थ केयर शिक्षक हेमू राम साहू , स्काउट रोवर लोकेंद्र, पामेंद, पुष्कर,हर्ष, राहुल, गगनदीप देवकुमार ,प्रवीण, उदय, रेंजर डिम्पल , डॉली , मुस्कान ,रितिका , आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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