विश्व में केवल जैन धर्म में ही है अनूठा महापर्व ‘ क्षमा याचना दिवस

बालोद। बालोद में आयोजित सहजानंदी चातुर्मास में प पू संत श्री ऋषभसागरजी एवं ऋजुप्रज्ञसागरजी ने बताया कि
जैन धर्म के मूल सिद्धान्तो के अनुसार जैसी हमारी आत्मा है , वैसी ही लोक के सभी जीवो की पृथक पृथक आत्मा है।इसलिये प्रत्येक जीव अपने कर्मो का कर्त्ता भी है और भोक्त्ता भी है।
मोक्ष के अंतिम लक्ष्य की प्राप्ति हेतु हमारा प्रयास यह होना चाहिये कि इस भव में हम किसी भी प्राणी की तन , मन, धन, वचन आदि से किसी भी प्रकार की हिंसा करे नहीं, करावे नहीं और करते हुए की अनुमोदना अर्थात् समर्थन भी न करें ,ताकि हिंसा से हो रहे कर्म बंधन से बचाव हो सके। व्यवहार में हमारें जीवन जीने हेतु अनेक जीवों की हिंसा न चाहते हुए भी करनी पङती है ,जैन दर्शन के अनुसार पानी, वनस्पति आदि में भी सुक्ष्म जीव होते है इन प्राणियो की हिंसा भाव से नहीं करे तो भी द्रव्य से तो हो ही जाती है।उन सभी जीवों के प्रति हमने जो हिंसा का अपराध किया है ,उस हिंसा के लिये हार्दिक भाव से माफी मांगने हेतु हमें उन सभी जीवों से क्षमायाचना करनी चाहिये।

वर्तमान समय में जो व्यवहार से क्षमायाचना पर्व मनाया जा रहा है, उसके अनुसार हमने हमारे रिश्तेदारों, मित्रों, जान-पहिचान वालों,या जिनसे हमारा सम्पर्क हुआ है उन सभी मनुष्यों से किसी भी प्रकार से उपरोक्त वर्णित तथ्यों के आधार पर जो हिंसा की है,दुखः पहुचाया हो, या अन्य किसी भी प्रकार से ठेस पहुंचायी हो तो क्षमा याचना चाहते है। स्वयं क्षमायाचना करने के पश्चात जिनसे क्षमायाचना की है उनसे भी विनती करता है कि आप भी मेरी सभी भूलों के लिये अपना बङपन दिखाते हुए मुझे भी क्षमा करावे।लेकिन अहंकार भाव का त्याग होने पर ही यह संभव है। इसीलिए कहा गया है ‘ क्षमा वीरास्य भूषण्’| यह आध्यात्मिक पर्व है और सभी देशों के नागरिक इसकी समझ कर पालना करे तो विश्व शान्ति संभव है।इसलिये इसको विश्व मैत्री पर्व भी कह सकते है।जैन धर्म की इस क्षमा का महत्व इसी बात से उजागर हो जाता है कि सभी धर्मो में क्षमा को सबसे उपर स्थान दिया गया है।
सिख गुरु गोविंद सिंह जी एक जगह कहते हैं, “यदि कोई दुर्बल मनुष्य तुम्हारा अपमान करता है, तो उसे क्षमा कर दो, क्योंकि क्षमा करना वीरों का काम है।”
ईसा मसीह ने भी सूली पर चढ़ते हुए कहा था- हे ईश्वर इन्हें क्षमा करना ये नादान हैं। बालोद के वरिष्ठ डाक टिकट संग्राहक एवं जैन समाज के अध्यक्ष डॉ प्रदीप जैन ने बालोद में आयोजित सहजानंदी चातुर्मास के अवसर पर जैन धर्म से संबंधित डाक सामग्रियों को स्थानीय डाकघर में प्रदर्शित किया है।

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