किल्लेकोडा में मनाया गया आजादी का पर्व

डौंडी लोहारा। वनांचल क्षेत्र में स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किल्लेकोडा, शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला व शासकीय प्राथमिक शाला किल्लेकोडा के संयुक्त तत्वाधान में प्रतिवर्षा नुसार इस वर्ष भी 78 वें स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया गया ।छात्र-छात्राओं की टोली बैंड बाजा के धुन में और नारा लगाते हुए सबसे पहले पंचायत भवन पहुंची, पंचायत भवन में श्रीमती ललिता गांवरे (सरपंच) के द्वारा ध्वजारोहण किया गया। तत्पश्चात प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने के बाद श्रीमती दुर्गा यादव के द्वारा ध्वजारोहण किया गया ,और उसके बाद रैली कुआं चौक होते हुए चौपाल चौक पहुंची ,जहां पर छन्नू लाल भंडारी ने ध्वजारोहण किया उसके बाद महात्मा गांधी चौक पर वीरेंद्र कुल्हार्य के द्वारा महात्मा गांधी के प्रतिमा पर माल्यार्पण व श्रीफल समर्पित कर ध्वजारोहण किया गया। तत्पश्चात रैली पूर्व कलेक्टर के घर पर पहुंचने के बाद के.आर. पिस्दा( पूर्व कलेक्टर) ने ध्वजारोहण किया और उसके पश्चात पुन विद्यालय लौटने के बाद शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला किल्लेकोडा के प्रांगण में सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुभारंभ मां शारदे की तैल चित्र के पूजन अर्चना के साथ हुआ, उक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे- निर्भय भंडारी (अध्यक्ष शाला प्रबंधन समिति शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किल्लेकोडा।अध्यक्षता श्रीमती ललिता गांवरे (सरपंच) किल्लेकोडा थी। विशिष्ट अतिथि के रूप में राजाराम तारम (विधायक प्रतिनिधि शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय केल्लेकोडा) थे। विशेष अतिथि के रूप में श्री वीरेंद्र कुलहार्य, अधन सिन्हा, श्रीमती उत्तराबाई, श्रीमती रुक्मिणी बाई सिन्हा ,के.आर.पिस्दा(पूर्वकलेक्टर),रूप सिंह भू आर्य (बी.एस.पी सेवानिवृत्ति), गुलाब बाई शर्मा, अजय मुखर्जी( प्राचार्य) एन. आर.. शिवाना (प्रधान पाठक मा .शाला ) अनीता मेश्राम( प्रधान पाठक प्रा. शाला ) तथा वाय.एस. मरकाम( वरिष्ठ व्याख्याता) किल्लेकोडा आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर संबोधित करते हुए मुखर्जी सर ने कहा कि- हमारे महापुरुषों के द्वारा हमारे देश को कुर्बानी देकर गुलामी की जंजीरों से मुक्त किया उन्हें मैं नमन करते हुए,आप सबको 78 वें स्वतंत्रता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं।

इस अवसर पर के.आर. पिस्दा ने कहा कि -जिस प्रकार किल्लेकोडा के छात्र-छात्राओं के लिए यहां के लोगों के द्वारा भरसक प्रयास करते हुए 11वीं कक्षा खुलवाने में सफलता हासिल किये जिसका लाभ आने वाले पीढियों को मिलता रहेगा, और मैं चाहूंगा कि बच्चे अनुशासित होकर आगे बढ़ते रहें और विद्यालय का नाम रोशन करते रहे। मेरी शुभकामनाएं आप लोगों के साथ है। तत्पश्चात राजाराम ताराम ने कहा कि-5 वर्षों तक मैं शाला प्रबंधन समिति का अध्यक्ष रहा हूं, मेरा कार्यकाल उपलब्धि भरा रहा है और मैं हमेशा विद्यालय की उन्नति की बात करता रहता था और आज भी मैं आप सब लोगों के साथ हूं और स्वतंत्रता दिवस की इस पावन बेला में मैं आप सबको ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं कि आप लोगों का जीवन उज्जवल रहे। ललिता गांवरे ने कहा कि -हमारे वीर जवानों ने देश को आजादी दिलाने में जो जज्बा दिखाया ,और अपने प्राणों का न्यौछावर कर देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त किया। उन्हें नमन करती हूं। और आप सबको 15 अगस्त के इस पावन बेला में गाड़ा -गाड़ा बधाई देती हूं। उक्त कार्यक्रम का सफल संचालन व संपादन डॉ. बी. एल. साहसी (व्याख्याता )ने किया। उन्होंने संचालन करते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने तीन महत्वपूर्ण आंदोलन चलाए थे जिसमें- असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन और इन्हीं के चलते हमारे देश को आजादी मिली ।इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम संपादित हुए जिनमें- कविता पाठ और भाषण का भी आयोजन किया गया था, जिसमें -रीलो नृत्य, देशभक्ति गीत व नित्य, मन के मयूरा, मोर छत्तीसगढ़ महतारी तोला कैथे भैया धान के कटोरा, सेवा जोहार आदि कार्यक्रम ने सबका मन मोह लिया।

इस कार्यक्रम की प्रस्तुति में महत्वपूर्ण भूमिका -कुमारी तृषा, कुमारी कशिश, कुमारी उदिती ,कुमारी मीनाक्षी, कुमारी हिना ,कु. चांदनी कुमारी भारती, कुमारी स्वाति ,कुमारी मोनिका कुमारी प्राची, कुमारी वनिता, कुमारी निधि कुमारी प्रवीणा, कुमारी अरुणा ,कुमारी दामिनी कुमारी यशस्वी ,कुमारी चंद्रमुखी ,कुमारी मीनाक्षी, आदि का योगदान रहा है और जिसके कारण कार्यक्रम को चार चांद लग गया। इस अवसर पर समस्त स्टाफ उपस्थित थे जिनमें- जे.पी .बांधव( व्याख्याता) हेमेंद्र साहू (व्याख्याता) घनश्याम पटेल (व्याख्याता) खिलावन उर्वशा (उच्च वर्ग शिक्षक) श्रीमती त्रिजला ठाकुर मैडम ,श्रीमती गोयल मैडम, प्रवीण मानिकपुरी, श्रीमती अनीता मेश्राम (प्र.पा.) मैडम, डॉक्टर साहसी, कुलहार्य सर ,ललित देवहारी, श्रवण यादव ,खगेश ठाकुर, कुशल देवदास व गोकुल शोरी उपस्थित थे। अंत में आभार प्रदर्शन कुल्हार्य सर ने किया।

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