जिसमें शिष्यत्व के गुण हैं उन्हें ही सद्गुरु की प्राप्ति होती है : संत ऋषभ सागर जी महाराज

बालोद। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर संत ऋषभ सागर जी महाराज साहब ने गुरु पर अपने संबोधन में कहा कि बिना गुरु के जीवन शुरू ही नहीं हो पाता। मेरे अपने जीवन में भी परिवर्तन गुरु के सानिध्य से ही आया। सद्गुरु वे होते हैं जो सदमार्ग दिखाएं एवं आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का मार्ग दिखाएं ।हमारी दृष्टि हमेशा अन्य पर ही पड़ती है तथा उनके गुण दोष दिखाई पड़ते हैं किंतु स्वयं को देखने का कार्य हम नहीं करते। गुरु वे होते हैं जो स्वयं से स्वयं की पहचान करते हैं ।गुरु कोई भी हो सकते हैं, जो हमारे जीवन को एक सही दिशा दे सके वह माता-पिता, स्कूल के शिक्षक, पड़ोसी यहां तक के बच्चे भी हमारे गुरु हो सकते हैं। जिसमें शिष्यत्व के गुण हैं उन्हें ही सद्गुरु की प्राप्ति होती है ।अहंकार का भाव उसे जीवन में बढ़ने से रोकता है वही विनय के भाव आगे बढ़ाने में सहायक होता है। जिन्हें जीवन में शांति का अनुभव नहीं होता तथा चिंता परेशानी बनी रहती है उन्हें समझना चाहिए सही गुरु उन्हें अभी नहीं मिला ।भौतिक साधनों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हम सारे प्रयत्न करते हैं किंतु अध्यात्म के क्षेत्र में हमारी श्रद्धा एवं समर्पण का भाव कम हो जाता है यही कारण है कि हमारे जीवन में सुख कम और अशांति का भाव अधिक होता है। श्रद्धा और समर्पण में असंभव को संभव कर सकने की ताकत होती है और यह गुरु के सानिध्य से ही प्राप्त हो सकता है। आज गुरु दर्शन वंदन एवं प्रवचन का लाभ लेने महासमुंद से संघ आया था जिसका बहुमान चातुर्मास समिति बालोद द्वारा किया गया। उक्त जानकारी मीडिया प्रभारी रूपचंद गोलछा ने दी।

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