अखिल भारतीय हल्बा -हल्बी सम्मेलन आदिवासी समाज के तत्वाधान में किल्लेकोड़ा में हुआ आयोजन

बालोद। वनांचल क्षेत्र में स्थित ग्राम किल्लेकोडा के पावन धरा पर माता किलेश्वरी मंदिर के प्रांगण में अखिल भारतीय हल्बा -हल्बी सम्मेलन का आयोजन आदिवासी समाज के तत्वाधान में किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के.आर.पिस्दा (पूर्व कलेक्टर )थे ।कार्यक्रम की अध्यक्षता सदा राम गांवरे ने किया।

विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती ललिता गांवरे (सरपंच) थी। विशेष अतिथि के रूप में श्यामसिंह शोरी ,खिलेश कुमार कोलियारा ,मन्नू लाल विश्वकर्मा, ब्रिजलाल धनकर, खिलावन मेश्राम अधन लाल सिन्हा ,अशोक सिन्हा, सुक्खूराम सिन्हा, रुक्मणी सिन्हा आदि थे।

कार्यक्रम का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ हुआ जो गांव के विभिन्न चौक -चौराहों से होकर पुनः किलेश्वरी मंदिर प्रांगण पहुंचा तत्पश्चात सभा के रूप में तब्दील हो गया। इस अवसर पर अधन सिन्हा ने कहा कि- आज पूरे विश्व में आदिवासी समाज के द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन होना उनकी एकता को दर्शाता है, अशोक सिन्हा ने संबोधित करते हुए कहा कि- आदिवासी समाज उन्नति करते हुए निरंतर तरक्कीके की ओर अग्रसर है। खिलेश कुमार कोलियारा ने कहा कि- लगातार 26 वर्षों में हम लोग प्रवेश कर चुके हैं इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन करते हुए यह अपनी आप में बहुत बड़ी बात है। मुख्य अतिथि की आसंदी पर बोलते हुए कलेक्टर महोदय ने कहा कि -1998 से अखिल भारतीय स्तर पर आदिवासी हल्बा- हल्बी समाज का सम्मेलन निरंतर होते रहा है इसके पीछे एकमात्र कारण हमारे समाज में एकता को स्थापित करना है। अपने अध्यक्षीय भाषण के दौरान सदा राम गांवरे ने कहा कि- अखिल भारतीय हल्बा हल्बी सम्मेलन को शक्ति दिवस के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि हमारे शक्ति स्वरूपा मां दंतेश्वरी है और आज हमारा यह कार्यक्रम किलेश्वरी माता के समक्ष हो रहा है जो उनके प्रति स्वरूपा माता है। कार्यक्रम का सफल संचालन व संपादन डॉ. बी. एल. साहसी व्याख़्याता ने किया। डा. साहसी को इस अवसर पर हल्बा- हल्बी आदिवासी समाज द्वारा शिक्षा रत्न प्राप्त होने पर मेमोंटो, प्रशस्ति पत्र, साल व नारियल के द्वारा सम्मानित किया और कहा कि यह हमारे गांव का गौरव है। कुमारी प्रेरणा एवं सहेली द्वारा मनमोहक नित्य प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर मटका फोड़ प्रतियोगिता का भी आयोजनजन किया गया था ।अंत में आभार प्रदर्शन वीरेंद्र कुलहार्य सर ने किया

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