जब यहां मिल रही मलाई तो अपने स्कूल में कौन जाएगा भाई,,,,डीईओ कार्यालय में अटैच व्याख्याता की चल रही मनमानी, शिकायतों पर लीपा पोती कर दबा देते हैं मामला
कार्यप्रणाली पर उठ रहा सवाल , अधीनस्थ कर्मचारी भी हुए हलकान, खुद को दिखाते हैं डीईओ से ऊपर
बालोद। इन दिनों बालोद जिला मुख्यालय के शिक्षा विभाग के कार्यालय में अटैच एक व्याख्याता की करस्तानी चर्चा में है। मामला यह है कि उक्त व्याख्याता लंबे समय से शिक्षा विभाग जिला कार्यालय में अटैच में है और जिला शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों का अधिकतर दायित्व वही निर्वहन करते हैं। यहां तक की जिला शिक्षा अधिकारी की जगह अधिकतर मामलों में वही जांच या निरीक्षण के लिए चले जाते हैं और कहीं शासन के आदेशों की अवहेलना या कोई गंभीर शिकायत आती भी है तो ऐसे मामले में लीपा पोती भी हो जाती है। हाल ही में यह मामला चर्चा में इसलिए आया क्योंकि विगत दिनों जिले के एक आत्मानंद स्कूल में एक शिक्षक द्वारा एक छात्र की पिटाई कर देने का मामला प्रकाश में आया था। लेकिन इस मामले में भी कोई उचित कार्यवाही ना कर लीपा पोती कर मामले को दबा दिया गया। लगातार उनके द्वारा इस तरह के कृत्य किए जा रहे हैं और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर दबाव बनाकर अपनी मनमानी की जा रही है। ऐसे में शिक्षा विभाग के क्रियाकलापों पर सवालिया निशान भी उठने लगा है। अधीनस्थ कर्मचारियों ने नाम प्रकाशित न करने की शर्तों पर बताया कि डीईओ के जगह उक्त व्याख्याता ही जिले के स्कूलों में निरीक्षण के लिए चले जाते हैं। कहीं कोई शिकायत आती है तो उसे भी ध्यान नहीं देते। मीडिया के जरिए भी कई मामले प्रकाश में आते हैं तो उन पर भी कार्यवाही करने की बजाय मामले को दबाने में लग जाते हैं। ज्ञात हो की शासन द्वारा अटैचमेंट रद्द करते हुए सभी शिक्षकों को मूल पद स्थापना स्कूलों भेजने का आदेश दिया जा चुका है।
इसके बावजूद उक्त व्याख्याता जो कि बालोद नगर के ही एक प्रतिष्ठ स्कूल में मूल रूप से पदस्थ है, लेकिन विगत कई वर्षों से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अटैचमेंट में जमे है। उनके द्वारा मनमानी की जा रही है। जन चर्चा और विभागीय हलचल तो यह भी है कि विगत महीने एचएम प्रमोशन और तबादले में भी बड़े स्तर पर उक्त व्याख्याता द्वारा लेनदेन करते हुए अपने चहेतों को उपकृत करने का काम किया गया। वही आत्मानंद स्कूल में भर्ती के समय भी उक्त व्याख्याता पर आर्थिक लेनदेन का आरोप लगा था। जिसके चलते शिक्षा विभाग की छवि भी धूमिल हुई है। लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि आखिर उक्त व्याख्याता को किसका प्रशय प्राप्त हो रहा है जो वे इस तरह से मनमानी करते हैं और अपने उच्च अधिकारी का और शासन के आदेशों का भी पालन नहीं करते!