सिवनी में शिवमहापुराण की कथा जारी, पार्थिव शिवलिंग में अर्पित किए गए 108 बेलपत्र
बालोद। जिला मुख्यालय के समीप रिद्धि सिद्धि कॉलोनी ग्राम सिवनी में शिवमहापुराण की कथा का आयोजन हो रहा है जिसमें पार्थिव शिवलिंग में 108 बेलपत्र से महाअभिषेक किया गया। शिवमहापुराण कथा के द्वितीय दिवस में प्रवचनकर्ता बालव्यास पंडित श्री सौरभ शर्मा (अरमरीकला) ने पार्थिव शिवलिंग में 108 बेलपत्र चढ़ाकर मंत्रोच्चार के साथ महाअभिषेक किया गया जिसके पश्चात सभी श्रद्धालुओं में पार्थिव शिवलिंग को बालोद के तांदुला नदी में बड़े भाव पूर्वक विसर्जन किया। पंडित श्री सौरभ शर्मा ने शिवलिंग की उत्पत्ति का विस्तार से वर्णन किया। पंडित श्री सौरभ शर्मा ने कथा प्रसंग में बताया कि शिव महापुराण के अनुसार, प्राचीन काल में देवों और दानवों के मध्य युद्ध हुआ था। दानव राजा दक्ष ने देवों को हराने के लिए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का उत्पत्ति किया था। जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में माना व जाना जाता है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बन्दरगाह में स्थित इस मन्दिर के बारे में बताया कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। उसी प्रकार महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग जो कि उज्जैन के राजा चंद्रसेन बहुत पुराने समय में रहते थे और उन्हें संयमी और धर्मात्मा जाना जाता था। एक बार उन्होंने भगवान शिव की तपस्या करते देखी और उन्हें अपने दरबार में बुलवाया। और उन्होंने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की। महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित, महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है। पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है।
स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की अत्यन्त पुण्यदायी महत्ता है। इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।शिव महापुराण में प्रमुख रूप से शिव-भक्ति के साथ कथा को बड़े भाव से श्रवण करने के लिए रिद्धि सिद्धि कॉलोनीवासी व लक्ष्मण देवांगन खिलेश देवांगन बंशीलाल देवांगन रूपेश देवांगन गिरधारी देवांगन सहपरिवार एवं श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।