आचार्य सम्मेलन में अतिथियों ने कहा- सरस्वती शिशु मंदिर ही एक है जहां शिक्षा के साथ मिलता है संस्कार
बालोद। ग्राम जगन्नाथपुर में आयोजित सरस्वती शिशु मंदिर के रजत जयंती और जिला स्तरीय आचार्य सम्मेलन का समापन रविवार को
। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री से सम्मानित पंथी नर्तक डॉ राधेश्याम बारले थे।
तो वहीं आयोजन की अध्यक्षता कुर्मी दिल्लीवार समाज के प्रमुख योगेश्वर देशमुख ने की। आयोजन में मुख्य वक्ता के रूप में जिला ग्राम भारती के अध्यक्ष राजेश्वर राव कृदत्त पहुंचे थे।
जिन्होंने विस्तार से शिशु मंदिर संस्थान के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और सभी आचार्यों को उन पर अमल करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा तो आपको कई स्कूलों मिल जाएंगे लेकिन शिक्षा के साथ-साथ संस्कार मिलता है तो वह सिर्फ शिशु मंदिर संस्थान है।
उन्होंने बालोद जिले में शिक्षा के इस संस्थान के शुरुआत से लेकर अब तक के सफर के दौरान संघर्षों को भी बयां किया। सभी शिक्षकों को किस तरह से बच्चों को पढ़ाना है, कैसे उनके व्यक्तित्व का विकास करना है। इनकी बारीकी भी बताई।
उन्होंने कहा कि आचार्य सम्मेलन का उद्देश्य ही यही होता है कि हम पहले खुद हर विधा में सक्षम हो जाएं और इस विधा को हम बच्चों में भी निखारे। इसीलिए ऐसे सम्मेलन में शिक्षा की बातों के साथ-साथ खेलकूद, सांस्कृतिक आयोजन भी किए जाते हैं। हम जो करते हैं हमसे बच्चे स्कूल में सीखते हैं। इसलिए अपने व्यवहार में भी हमेशा सुधार बनाए रखें। मुख्य अतिथि श्री बारले ने कहा कि समाज में शिक्षकों का स्थान सर्वोच्च है। शिक्षक ही हैं जो बच्चों की प्रतिभा को पहचान और निखार कर उन्हें आगे बढ़ाते हैं। उन्होंने आयोजन की सराहना की। वहीं अध्यक्षीय उद्बोधन में योगेश्वर देशमुख ने भी संस्थान द्वारा पढ़कर निकले और अच्छे मुकाम में देश की सेवा कर रहे लोगों के उदाहरण देते हुए सरस्वती शिशु मंदिर को संस्कार का मंदिर बताया। इस दौरान विशेष अतिथि के रूप में सी आर साहू, जीआर दीपक, होमंत पटेल, खिलानंद गिलहरा, सुरेंद्र देशमुख, दानेश्वर मिश्रा सहित अन्य मौजूद रहे। वहीं आयोजन के अंत में विविध प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया। इस दो दिवसीय आयोजन का सिर्फ शिक्षकों ने नहीं बल्कि पूरे ग्रामीणों ने भी आनंद लिया। रात्रि में शिक्षकों ने ही सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। उनके बीच प्रतियोगिताएं हुई। तो वही समापन के दिन कबड्डी, खो-खो और रस्सा खींच की प्रतियोगिता भी रखी गई थी। आयोजन में प्रमुख रूप से सरस्वती शिशु मंदिर जगन्नाथपुर के प्रधानाचार्य ताराचंद साहू सहित समस्त स्टाफ और जिलेभर से आए विभिन्न शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य और शिक्षकों का अहम योगदान रहा।