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घरौंदा केंद्र में दिव्यांग बच्चे गढ़ रहा नया घर , विधायक बोली इनमें होती है दिव्य शक्ति तभी कहलाते हैं यह दिव्यांग

दिव्यांग दंपती का सम्मान करते विधायक संगीता सिन्हा सीईओ लोकेश चन्द्राकर, सीपी यदु व अन्य

बालोद। विश्व दिव्यांग दिवस पर गुरुवार को झलमला स्थित घरौंदा केंद्र परिसर में समाज कल्याण विभाग व प्रशासन द्वारा दिव्यांग बच्चों का सम्मान कार्यक्रम रखा गया। जिसमें प्रतिभाशाली बच्चों सहित अलग-अलग खेल में अपनी प्रतिभा दिखा चुके  दिव्यांग खिलाड़ियों का सम्मान किया गया। तो वही कृत्रिम अंग सहायक उपकरणों का वितरण भी इस कार्यक्रम के दौरान किया गया। मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंची विधायक संगीता सिन्हा ने उन बच्चों सहित सभी दिव्यांगों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि इन दिव्यांगों में भगवान द्वारा एक अलग ही दिव्य शक्ति दी जाती है। जिसके चलते ही इन्हें दिव्यांग कहा जाता है। इनमें विलक्षण प्रतिभा होती है। उस प्रतिभा को हमें तराशने की जरूरत है ताकि वे बच्चे हर क्षेत्र में आगे बढ़ सके और खुद की अपनी अलग पहचान बना सके ।उन्होंने सभी दिव्यांगों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि हिम्मत मत हारिए । मेहनत करते रहिए सफलता एक दिन आपके कदमों में होगी ।तो वहीं उन्होंने सभी दिव्यांग बच्चों को सम्मानित करते हुए उन्हें मेहनत करते रहने की प्रेरणा दी।

इनका हुआ सम्मान

दृष्टिहीन खिलाड़ी हरिराम कोर्राम का सम्मान करती हुई विधायक संगीता सिन्हा

इस कार्यक्रम के दौरान 15 लोगों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया ।तो वही दो दिव्यांग छात्रों को क्षितिज अपार  संभावनाएं के तहत चेक का वितरण किया गया। दिव्यांग विवाह के लिए एक दंपत्ति को सम्मानित किया गया। तो वही परिवार सहायता के हितग्राही 4 महिलाओं को चेक वितरण किया गया। घरौंदा के 17 दिव्यांग बच्चों को कंबल व गर्म कपड़े का वितरण किया गया ।श्रवण यंत्र, वैशाखी, व्हीलचेयर, बैटरी चलित साइकिल व अन्य उपकरण दिव्यांगों को बांटे गए। इस कार्यक्रम के दौरान प्रमुख रूप से जिला पंचायत लोकेश चंद्राकर, लाल सिंह मार्को,समाज शिक्षा संगठक जनपद पंचायत बालोद के अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।

22 बच्चे गढ़ रहे नया जीवन इस घरौंदा में

राज्य सरकार से संचालित समाज कल्याण विभाग के इस घरौंदा में 22 ऐसे दिव्यांग बच्चे रहते हैं, जो बचपन से कम विकसित हो पाए। यहां उनका मानसिक विकास कराया जा रहा है। इस अवासीय संस्थान में चिकित्सक व कर्मचारियों के विशेष प्रयास से ये मंदबुद्धि बच्चे अब कम्प्यूटर चलाना सीख गए हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम नृत्य, खेलकूद भी कर रहे हैं। ये युवा लिफाफा बनाना भी सीख रहे हैं। सभी दिव्यांगों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है। समय-समय पर हर सप्ताह स्वास्थ्य जांच व विशेष खान-पान के साथ हो रही देखभाल से इन दिव्यांगों में धीरे-धीरे मानसिक विकास हो रहा है। घरौंदा के चिकित्सक का कहना है कि आने वाले साल दो साल में ये दिव्यांग पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगे।

लोग पागल कहकर गली में दौड़ाते थे

घरौंदा के 22 में से 12 दिव्यांगों की कहानी भी मार्मिक है। इन दिव्यांगों का कहना है, जब वे यहां नहीं आए थे, तब गांव की गली में घूमते थे। लोग पागल कहते व दौड़ाते थे। कोई कुछ भी बोलता था, लेकिन घरौंदा में स्पेशल प्रशिक्षण लेकर नृत्य सीखा है। नृत्य की प्रस्तुति विश्व दिव्यांग दिवस पर देकर अपनी प्रतिभा दिखाई।

फरवरी से हो रहा संचालित

घरौंदा के प्रभारी डॉ. अभिषेक चंदेल (फिजियोथेरेपी) ने कहा कि सरकार ने संभाग स्तरीय घरौंदा की स्थापना फरवरी 2020 में की। वर्तमान में दुर्ग, बालोद, राजनांदगांव व बेमेतरा जिले के 22 मंदबुद्धि हैं। उन्हें पढ़ाई, लिखाई, कम्प्यूटर ज्ञान, पर्सनाल्टी डेवलपमेंट, आत्मनिर्भर बनाने के लिए लिफाफा बनाने सहित गीत-संगीत, नृत्य सिखाया जा रहा है। इनमें सुधार आ रहा है। इन्हें स्वस्थ कर रोजगारमूलक काम भी घरौंदा में रहकर दिया जाएगा। शासन की गाइडलाइन के तहत 60 प्रतिशत मंदबुद्धि दिव्यांग को भर्ती किया जाता है, जिनकी उम्र 16 साल से अधिक हो।

यहां आने के बाद बदल रही जीवन चर्या

इनमें से कुछ ऐसे दिव्यांग हैं, जो गांव की गलियों में घूमते थे। उन्हें खाने पीने व घर जाने तक की फुर्सत नहीं रहती थी। फटे पुराने कपड़े पहनकर रहते थे। घरौंदा में आने के बाद इनके जीवन में परिवर्तन आया है। ये सभी बिना गायत्री मंत्र के भोजन नहीं करते जबकि पहले उन्हें ये सब नहीं आता था।

By dailybalodnewseditor

2007 से पत्रकारिता में कार्यरत,,,,,कुछ नया करने का जुनून, कॉपी पेस्ट से दूर,,,

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