हौसला – इन दो युवा ने की पर्वतारोहण, नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी लांघ लहराया तिरंगा, बोले चुनौतियों का सामना करने में मजा आता है
बालोद – कहते है कि हौसला बुलंद हो तो बड़े से बड़े लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है । कुछ ऐसा ही बालोद जिले के रूपेश कुमार साहू पिता हेमंत कुमार और लोकेश कुमार साहू पिता खेमलाल ग्राम ख़ामतराई निवासी ने पर्वतारोही के रूप में अपनी पहचान बनायी है । दोनों ने उत्तराखंड के नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी नैना पीक या चाइना पीक जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 8622फीट(2611 मीटर) है उस पर तिरंगा फहराया है । यह पर्वत चोटी भौगोलिक रूप से मध्य हिमालय का हिस्सा है । इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन के तत्वाधान में रूपेश कुमार साहू और लोकेश साहू ने यह लक्ष्य हासिल किया है। रूपेश साहू का सपना विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करना है। समुद्र तल से 2611 मीटर(8622 फिट) की ऊंचाई पर स्थित नैना पीक नैनीताल शहर की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है । इस पर्वत की चोटी से जहां एक ओर हिम से ढके हुए हिमालय का पश्चिम में बंदरपूंछ चोटी, पूर्व में नेपाल के अपि एवं नरी चोटी तक का विहंगम दृश्य दिखायी देता है वहीं दूसरी ओर नैनीताल शहर की सुंदरता का ‘बर्ड आई व्यू’ देखाई देता है।
एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से निज़ात पाने के लिए भरपूर कोशिश कर रही है, वहीं इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन द्वारा उत्तराखंड राज्य के नैनीताल में सात दिवसीय नैशनल एडवेंचर कैम्प का आयोजन किया गया था। जिसमें छत्तीसगढ़ से 30 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग लिया था। जिसमें बालोद जिले से दो युवाओं ने भाग लिया। नैनीताल में सबसे ऊँची चोटी नैना पीक या चाईना पीक जिसकी ऊँचाई लगभग 8622 फ़ीट(समुद्र तल से) है।
छग महतारी के लगाये जयकारे
उस पर सफ़लता पूर्वक चढ़ाई करके राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया एवँ भारतमाता की जय , वन्देमातरम और छत्तीसगढ़ महतारी के जयकारे लगाकर छत्तीसगढ़ राज्य का नाम रौशन कर गौरवांवित किया।जब दिल में आसमान छूने का हौसला हिलोरें मारता हो तो फिर संसार का कोई भी शिखर बड़ा नहीं लगता. यही वजह है कि करकोटक ट्रैक 1290 मीटर फतेह करने के बाद नैना पीक पर सफ़लता पूर्वक चढ़ाई कर तिरंगा फहराया। पिता बताते हैं कि चट्टान पर चढ़ने के लिए चट्टान जैसे ही मजबूत इरादे होने चाहिए। इरादे मजबूत थे, इसलिए उन्होंने यह साहसिक कार्य कर दिखाया है।
खड़ी चढ़ाई ने दी थी चुनौती
दोनों ने बताया जब चढ़ाई शुरु की तो पीछे मुड़कर नहीं देखा। कई बार परिस्थतियां ऐसी बनी थी कि किसी की भी हिम्मत टूट जाए, लेकि न हमने हिम्मत नहीं तोड़ी। रूपेश ने बताया कि करकोटक ट्रैक व नैना पीक सबमिट करने के लिए कई दिनों की मेहनत रही है। इसके लिए विशेष प्रशिक्षण भी लिया इसके बाद कठिन लक्ष्य को हासिल कर सके ।
सफ़लता पूर्वक चढ़ाई करने की एक अलग ही खुशी
दोनों युवकों ने बताया करकोटक ट्रैक व नैना पीक तक पहुंचने का सफर बेहद मुश्किल भरा रहा है। पहली बार यहां इतनी अधिक ऊंचाई पर पहुंचने के बाद तिरंगा फहराना किसी सपने से कम नहीं है।
इस साहसिक कार्य के लिए इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन करे डायरेक्टर आर. अहमद, नैशनल प्रेसीडेंट इफ्राइम अहमद, स्टेट प्रेसिडेंट प्रमेश विजयवार, डिप्टी डायरेक्टर रोहित झा, सीनियर ट्रेनिंग ऑफिसर ममता निषाद, कुमेश्वर गंधर्व, छात्र युवा मंच और पूरे टीम ने बधाई दी।