बालोद। बालोद जिला इन दिनों में हाथियों के आतंक से राज्य में चर्चा में है। तो वहीं इस आतंक के बीच आपको कुछ रोचक खबर भी हम बता रहे हैं। दरअसल में हाथियों की कहानियां फिल्मी हो चली है। आपको सुनील शेट्टी अभिनीत डबल रोल वाली वह फिल्म गोपी-किशन तो याद ही होगी। जिसमें गोपी सीधे सरल स्वभाव का होता था तो किशन मारधाड़ से फूल। फिल्म दो जुड़वा भाइयों की थी। जो उनके किरदार से फिल्म को मजेदार बनाती है। तो कुछ इसी तरह की कहानी हो चली है बालोद जिले में हाथियों की। यहां जिस हाथी को गोपी जैसा यानी सीधा-साधा समझा जा रहा था, वह दरअसल में किशन निकला। मुल्ले में जिस हाथी ने एक किसान की जान ली थी उसे पहले वन विभाग वही हाथी मान रहा था जो अक्सर तालगांव नर्सरी व आसपास घूमता रहता था। लेकिन बीती रात को नर्रा में हुई घटना में इस बात की पुष्टि हो गई कि यह तो वह नहीं है जिसे अब तक समझ रहे थे। यह तो दूसरा दंतैल है। जिसका स्वभाव हिंसक है। इसकी पुष्टि होने के बाद वन विभाग ने लोगों को अलर्ट किया है कि जिस तरह तालगांव नर्सरी में घूमने वाले सीधे शांत हाथी के पास जाकर लोग सेल्फी ले लेते थे, फोटो खींचने के लिए पहुंच जाते थे या देखने के लिए पहुंच जाते थे ऐसा इस हाथी के साथ ना करें। यह कभी भी हिंसक हो सकता है। लोगों को मारने के लिए दौड़ा सकता है। ऐसी घटना मुल्ले में हो चुकी है। यानी इस दंतैल को हल्के में ना लें। यह वह नहीं है जो पहले दिखता था। यह दूसरा है। दोनों देखने में तो जुड़वा जैसे ही लगेंगे। लेकिन यह हिंसक हाथी आकार में थोड़ा बड़ा है और स्वभाव में भी अलग है। तो जांच में यह भी बात सामने आ गई है कि जो शांत स्वभाव का हाथी तालगांव में दिखता था वह चंदा हाथियों के दल में शामिल होकर आगे बढ़ चुका है और जो हिंसक अभी घूम रहा है जो अभी हाल फिलहाल नर्रा व आस पास है। वह दल से अलग होकर आया है और उत्पात मचा रहा है। ऐसे में वन विभाग की गलतफहमी भी अब दूर हो गई है। जिसे गोपी जैसा शांत समझ रहे थे कि वह किशन जैसा खतरनाक निकला है। तो अब लोगों को भी यह कहानी समझनी होगी और इस हाथी से दूर रहना ही अच्छा है। वरना सेहत के लिए यह हानिकारक हो सकता है। बीती रात को नर्रा में एक ग्रामीण के घर भी यह हाथी घुस गया था। जिसे जान जोखिम में डालकर तीन वनरक्षक मनोज साहू, हेमचंद ध्रुव, सचिन कुलदीप ने वहां से हटाया और लोगों को सलामत किया।
रेंजर ने कहा यह दूसरा हाथी है ,पुष्टि हो गई है
बालोद के रेंजर राजेश नांदुलकर ने DailyBalodNews को बताया कि मुल्ले में जिस हाथी के हमले से किसान की मौत हुई वह दूसरा दंतैल है। तालगांव में जो नर्सरी के आसपास घूमता था वह यह हाथी नहीं है। नर्सरी वाला हाथी दल के साथ जा चुका है। और अभी जो हाथी घूम रहा है वह हिंसक स्वभाव का प्रतीत होता है। आकार में भी बड़ा है। इससे सावधान रहने की जरूरत है। लोगों को लगातार आगाह किया जा रहा है इससे छेड़खानी कतई ना करें। वरना कुछ भी हो सकता है।
इस तरह वन रक्षकों ने की ग्रामीणों की हाथी से रक्षा
बीती रात को करीब 9 बजे ग्राम नर्रा में हिंसक दंतैल हाथी एक ग्रामीण संतोष मंडावी के घर में घुस आया। वह घर के बरामदे तक घुस गया था और बाड़ी में लगे मूंग को रौंद रहा था। इस दौरान ग्रामीणों ने जान बचाने के लिए छत पर पनाह ली। गनीमत उक्त मकान पक्का था। वरना कच्चा होता तो फिर हाथी दीवार तोड़कर अंदर घुस सकता था। तो वहीं इस घटना की जानकारी मिलते ही आसपास मौजूद वनरक्षक वहां आ पहुंचे और मशाल आदि के जरिए अपनी जान जोखिम में डालकर ग्रामीणों की जान बचाने हाथी को भगाने में डटे रहे। लगभग आधे से एक घंटे की मशक्कत के बाद वह हिंसक हाथी वहां से हटा और जंगल की ओर रवाना हुआ। शनिवार को दिनभर उक्त दंतैल नर्रा के जंगल में ही घूमता रहा तो दूसरा हाथी अभी भी धानापुरी क्षेत्र में है। इधर जो चंदा हाथियों का दल था वह वापस मानपुर क्षेत्र दाखिल होने की जानकारी है। बीती रात को जब प्रत्यक्ष वन कर्मचारियों ने हाथी को करीब से देखा और उनके पांव के निशान देखे तो पुष्टि हो गई कि यह तो वह हाथी नहीं था।जो तालगांव में था। इसका आकार भी बड़ा था और यह हिंसक प्रवृत्ति का भी लग रहा था। जिसके बाद वन विभाग ने लोगों को सचेत किया है कि इस हाथी के करीब जाने से बचे। ताल गांव में जो हाथी आता था वह हिंसक स्वभाव का नहीं था। लेकिन यह खतरनाक है। इससे छेड़खानी से बचने के लिए ग्रामीणों को आगाह किया जा रहा है ताकि मुल्ले में जो घटना हुई ऐसी घटना दोबारा ना हो। हाथी को ग्रामीण संतोष मंडावी के घर से निकालने में प्रमुख रूप से वनरक्षक मनोज साहू, हेमचन्द ध्रुव, सचिन कुलदीप की भूमिका रही। जिन्होंने बहादुरी का काम किया। जिस हाथी ने किसान की जान ली थी उसका इतने करीब से सामना करना,इन वन रक्षकों के लिए भी जान जोखिम में डालने वाली बात थी। लेकिन उन्होंने सूझबूझ से काम लेते हुए हाथी को घर से निकालने में सफलता पाई। तब जाकर ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। रात भर वनरक्षक गांव की सीमा पर पहरा भी देते रहे ताकि उक्त हाथी दुबारा बस्ती की ओर दाखिल ना हो जाए।
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