अंतरराष्ट्रीय चंद्र दिवस- मेरी कल्पनाओं में चांद- संगोष्ठी में शिक्षक व बच्चों ने रखे विचार, टेलिस्कोप से देखी चांद की खूबसूरती

बालोद। नगर के शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल में अंतरराष्ट्रीय चंद्र दिवस मनाया गया। इस अवसर पर जहां बच्चों व शिक्षकों ने टेलिस्कोप से ली गई चांद की तस्वीरों को करीब से देखा और उसकी खासियत को जाना। तो स्कूल में कल्पनाओं में मेरी चांद थीम पर विचार संगोष्ठी का भी आयोजन हुआ। चांद के रहस्य भरी बातों को जान बच्चे हैरान हुए। सदियो से शुभ्र शीतल चांदनी बिखेरते चांद, मानव मन में नित नए कौतुहल का रंग भरते रहा है। चांदको देखकर नित नए कल्पनाओं से ओतप्रोत मानव उसे छूने की चाह रखता है तथा वह इस के लिए सदियो से निरंतर प्रयास रत रहा अनेको प्रयास के बाद आखिरकार इंसान 20 जुलाई 1969 को चांद की धूसर धरती पर कदम रखने में सफल हुआ। इस ऐतिहासिक घटना को संयुक्त राष्ट्र संघ और मून विलेज एसोसिएशन ने चन्द्रमा में प्रथम मानव के लैण्डिंग के स्मरण में वर्ष के प्रत्येक 20 जुलाई को अंतराष्ट्रीय चन्द्र दिवस के रूप में मनाने की घोषणा दिसंबर 2021 को किया गया। इस अवसर पर शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बालोद में बुधवार को “मेरी कल्पनाओं में चांद” शीर्षक से चांद विषय पर गीत, कविता, प्रश्नमंच और संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर भाग लेकर अपनी वैज्ञानिक अभिरूची और खगोल विज्ञान को समझने के लिए उत्साह प्रदर्शित किया। संस्था के भौतिकशास्त्र के व्याख्याता बीएन योगी ने कहा कि लोगों के कल्पनाओं के आधार पर चांद के विभिन्न रूप हैं, जहां बच्चों के लिए चांद मामा है तो माताओं के लिए चांद उनके लाल जैसा इसलिए तो ये अपने संतान के लिए गुनगुनाते हैं चंदा है तू मेरा सूरज है तू। किसी के लिए चांद सुन्दर सा चमकता चेहरा है तो किसी के लिए महबूब का चेहरा तो वैज्ञानिकों के लिए एक आकाशीय पिण्ड, जो पृथ्वी के चारो ओर चक्कर लगाता है ।
व्याख्याता डी.एन. तिवारी ने चांद के अध्ययन के महत्व को बताते हुए छात्राओं को खगोलविज्ञान के क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदम पर प्रकाश डालते हुए भारत के सफल मंगल मिशन और चन्द्रयान 2 के सफल अभियान का उल्लेख किया।

अंत में संस्था के भौतिक शास्त्र के व्याख्याता और खगोल शास्त्र के जानकार बी. एन. योगी ने कम्प्यूटर व प्रोजेक्टर के माध्यम से चांद के अध्ययन के महत्व को विस्तार से व्याख्या किया। उन्होने चन्द्रमा की व्युत्पत्ती, चन्द्रमा के क्रेटर, मेरिया आदि के बारे में बताया। इंसान की सामान्य सोच से लेकर विशिष्ट सोच में चांद का स्थान क्या हो? पृथ्वीं के लिए चांद क्यों आवश्यक है? पृथ्वी के वायुमंडल एवं जीव जगत पर चन्द्रमा के प्रभाव, अंतरिक्ष मिशन में आने वाली कठिनाइयों और अंतरिक्ष यात्रियों के समक्ष पेश होने वाली चुनौतियों आदि को विस्तार पूर्वक वैज्ञानिक तथ्यों सहित व्याख्या किया तथा प्रथम चन्द्र मिशन से अब तक के मानव सहित चंन्द्र मिशन, भारत का चन्द्रमिशन और मंगल मिशन का विडियो प्रदर्शन एवं स्लाइड शो के द्वारा छात्राओं को रोमांचित किया। प्रदर्शन के बाद छात्राओं ने अपने जिज्ञासा को प्रश्न के रूप में पूछ कर अपना ज्ञानवर्धन किया। इस अवसर में संस्था के व्याख्याता अनूपा पांडे, रेशमी वर्मा, नीलू सोनी, डी के सुकदेवे, रीचामीका, लक्ष्मी कोसिमा, रोशनी साहू, रूपेश कश्यप, राजेन्द्र वर्मा, साकेत वर्मा एवं श्वेता मेश्राम उपस्थित रहें ।

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