झारखंड में स्थित दुनिया की दूसरी बड़ी शक्तिपीठ छिन्नमस्तिका मंदिर पहुंची विधायक संगीता सिन्हा, पढ़िए क्या है इस मंदिर की खासियत
बालोद/ गुरुर। संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के विधायक संगीता सिन्हा इन दिनों झारखंड के दौरे पर हैं और उन्होंने यहां के प्रसिद्ध मंदिर छिन्नमस्तिका माता के मंदिर में पूजा अर्चना की। उक्त मंदिर दुनिया में शक्तिपीठ के मामले में दूसरे स्थान पर है। पहला स्थान असम की कामाख्या देवी मंदिर का है। छिन्नमस्तिका मंदिर में विधायक संगीता सिन्हा ने पति पूर्व विधायक भैया राम सिन्हा के साथ पूजा अर्चना की और क्षेत्र की खुशहाली की कामना की। उन्होंने बताया कि
झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर मां छिन्नमस्तिके का यह मंदिर है। रजरप्पा के भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर आस्था की धरोहर है। असम के कामाख्या मंदिर के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शक्तिपीठ के रूप में विख्यात मां छिन्नमस्तिके मंदिर काफी लोकप्रिय है। रजरप्पा का यह सिद्धपीठ केवल एक मंदिर के लिए ही विख्यात नहीं है। छिन्नमस्तिके मंदिर के अलावा यहां महाकाली मंदिर, सूर्य मंदिर, दस महाविद्या मंदिर, बाबाधाम मंदिर, बजरंग बली मंदिर, शंकर मंदिर और विराट रूप मंदिर के नाम से कुल 7 मंदिर हैं। पश्चिम दिशा से दामोदर तथा दक्षिण दिशा से कल-कल करती भैरवी नदी का दामोदर में मिलना मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है।
: ऐसा है मंदिर के भीतर दृश्य
मां छिन्नमस्तिके मंदिर के अंदर स्थित शिलाखंड में मां की 3 आंखें हैं। बायां पांव आगे की ओर बढ़ाए हुए वे कमल पुष्प पर खड़ी हैं। पांव के नीचे विपरीत रति मुद्रा में कामदेव और रति शयनावस्था में हैं। मां छिन्नमस्तिके का गला सर्पमाला तथा मुंडमाल से सुशोभित है। बिखरे और खुले केश, जिह्वा बाहर, आभूषणों से सुसज्जित मां नग्नावस्था में दिव्य रूप में हैं। दाएं हाथ में तलवार तथा बाएं हाथ में अपना ही कटा मस्तक है। इनके अगल-बगल डाकिनी और शाकिनी खड़ी हैं जिन्हें वे रक्तपान करा रही हैं और स्वयं भी रक्तपान कर रही हैं। इनके गले से रक्त की 3 धाराएं बह रही हैं।