रामायण में त्रिजटा का क्या था रोल, कैसे वह भी थी कुटिनीतिज्ञ, सीता की ही मुख्य प्रहरी क्यों बनी, पढ़िए ऑनलाइन सत्संग में कही गई ये रहस्यमय बातें,,,,
बालोद/ डौंडीलोहारा।जापर कृपा राम की होई,
तापर कृपा करीही सब कोई,,,,
आज प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग परिचर्चा में संत राम बालक दास महात्यागी पाटेश्वर धाम ने अपने वाट्सएप ग्रुप सीता रसोई संचालन और अन्य ग्रुपों में सुबह 10 बजे व दोपहर 1 बजे सभी भक्तों के जिज्ञासाओ पर चर्चा की।
ज्ञात हो कि कोरोना काल जब से आया है श्री पाटेश्वर धाम जिला बालोद छत्तीसगढ़ द्वारा इस अद्भुत सत्संग अनवरत चल रहा है। जिसमे आप सभी जुड़ सकते है।
केवल 9425510729 पर अपना नाम पता भेज कर आप इस ऑनलाइन सत्संग से जुड़ सकते है।
आज की परिचर्चा में लंका में रहने वाली त्रिजटा राक्षसी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बाबाजी ने बताया कि माता त्रिजटा के जीवन के कुछ अनजाने रहस्य है, जिन्हें जानने से आपको पता लगेगा कि माता त्रिजटा श्री विभीषण की पत्नी शरमा की दासी या सहेली थी। साथ ही त्रिजटा एक जानी मानी राजनीतिक कूटनीतिज्ञ भी थी। सारा जीवन रावण को अधर्म से बचाने के लिए उन्होंने कार्य किया। विभीषण जी चाहते थे कि सीता जी को लंका में किसी भी प्रकार की प्रताड़ना न दिया जाए और उन्हें श्री राम जी के पास सम्मान वापस भेज दिया जाए।
ताकि जगदम्बा के रूप माँ सीता के कोप से लंका बच जाए।इसी कार्य मे सहायता हेतु ओर राक्षसियों के कोप से श्री सीता जी की रक्षा हेतु माता त्रिजटा को विभीषण जी ने ही अशोक वाटिका की मुख्य प्रहरी बनाया।
माता त्रिजटा भी विभीषण एवम उनकी पत्नी शरमा के पास सीता जी के कुशल क्षेम की खबर पहुचाया करती थी। साथ राम रावण युद्ध में हर खबर सीता जी को माता त्रिजटा ही देती थी।
इस कथा से यह सिद्ध होता है और प्रेरणा हमें मिलती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी हमें अपने अच्छे गुणों और अपने स्वधर्म का त्याग नही करना चाहिए। क्योंकि आगे चलकर वही हमें चिरस्थाई सुख प्रदान करने वाला होगा।
आज सभी ने सुमधुर भजनों की भी प्रस्तुति की। नन्हे बच्चों के कोकिल कंठ और माताओ के भजन से ऑनलाइन सत्संग सुरभित हुआ। साथ ही बाबाजी के द्वारा श्याम प्रभु के भजन
सावरे बिन तुम्हारे ये जी न लगे
भजन ने सबका मन मोह लिया।
इस तरह आज का दिव्य सत्संग सम्पन्न हुआ।