EXCLUSIVE-बालोद जिले से है नई एएसपी प्रज्ञा मेश्राम का बचपन का नाता, पढ़िए उनकी प्रेरक कहानी
बालोद जिले में दूसरे महिला एएसपी के रूप में कार्यभार संभालने वाली प्रज्ञा हैं महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत
बालोद। जिले में महिला एएसपी के रूप में दूसरी नियुक्ति प्रज्ञा मेश्राम ने पाई है। बालोद जिला गठन के बाद वह यहां की दूसरी महिला एएसपी हैं। इसके पूर्व गायत्री नेताम एएसपी बालोद जिले में बतौर महिला एएसपी रह चुकी हैं। तो अमृता सोरी डीएसपी थी। अब एएसपी में दूसरी महिला पदस्थापना प्रज्ञा की हुई है। जो 2005 बैच की डीएसपी , पीएससी परीक्षा उत्तीर्ण कर इस सेवा क्षेत्र में आई। जिनके बचपन का कुछ दिन बालोद जिले में ही बिता है। आपको जानकर यह खुशी होगी कि उनकी पैदाइश बालोद जिले में अर्जुंदा में ही हुई है। भले ही इनके बाद वह अपने पिता की नौकरी की वजह से अलग-अलग जिलों में रहकर पढ़ाई करती रही लेकिन वह पैदा अर्जुंदा में ही हुई थी।
अपने अब तक सेवाकाल के दौरान प्रज्ञा मेश्राम ने महिलाओं को काफी प्रोत्साहित किया है और बालोद जिले में भी उनका फोकस इस दिशा में रहेगा। उन्होंने DAILYBALODNEWS को बताया कि महिला संबंधित अपराधों की रोकथाम के लिए वे और भी बेहतर तरीके से काम करेंगे। तो साथ ही अन्य अपराधों पर नियंत्रण तो लगाया ही जाएगा। प्रज्ञा का व्यक्तित्व लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है।जिन्होंने शुरू से ही कुछ कर गुजरने का ख्वाब अपने मन में कॉलेज के दिनों में संजोए रखा एवं साकार भी किया. वे दुर्ग व राजनांदगांव जिले में भी एडिशनल एसपी ग्रामीण के रूप में पदस्थ रही।
पढ़िए उनकी कहानी,,,,,
4 नवंबर 1981 में उनका जन्म छत्तीसगढ़ के बालोद अर्जुंदा में हुआ। प्रज्ञा मेश्राम की प्राइमरी स्कूलिंग बीजापुर के बासागुड़ा धुर नक्सल क्षेत्र में हुई। पांचवी के बाद छठवीं से दसवीं तक बालोद के पिनकापार गांव के मिडिल स्कूल शिक्षा ली। उसके बाद 11वीं से 12वीं तक की पढ़ाई राजनांदगांव जिले में संपन्न हुई। प्राइमरी से लेकर 12वीं तक अलग-अलग जगह से पढ़ाई की।. पिता डॉ पीएल वासनिक जिला आयुर्वेद अधिकारी राजनांदगांव व माता श्रीमती पूर्णिमा वासनिक एक गृहणी के रूप में घर का ख्याल रखती…। पिता के ट्रांसफर की वजह से अलग-अलग स्कूलों में अध्ययन करना पड़ा। वही 12वीं के बाद कॉलेज में एडमिशन लेकर बीएससी की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद एमएससी बायो। फिर क्या था पहले ही अटेंप्ट में छत्तीसगढ़ राज्य की कठिन परीक्षा पास कर डीएसपी के पदों पर चयनित हुई। प्रज्ञा मेश्राम ने बताया जब कॉलेज में एडमिशन लिया तो तभी से सिविल सर्विसेज की तैयारी भी साथ ही साथ शुरू कर दी थी। डीएसपी चयनित होने के बाद घर में खुशी का माहौल निर्मित हो उठा। माता पिता बहुत खुश हुए जब चयन राज्य पुलिस सेवा में हुआ। साथ ही साथ रिश्तेदारों का भी बधाई संदेश प्राप्त होने लगा। वही इस कामयाबी को प्रज्ञा मेश्राम ने अपने माता-पिता की कामयाबी बताई। उन्हें अपने पिता पर गर्व है जो कभी बेटी बेटा में फर्क नही करते। जो कोई भी कार्य सबसे पहले बेटी को प्राथिमिकता देते थे. उनका एक भाई कौशल किशोर वासनिक भी उप पुलिस अधीक्षक व दूसरा भाई दिनकर वासनिक असिसिस्टेंट कमिश्नर आबकारी विभाग है. प्रज्ञा मेश्राम का विवाह गोपी मेश्राम से हुआ। वे भी पुलिस में पदस्थ हैं।
ऐसे शुरू हुआ सलेक्शन के बाद सफर
प्रज्ञा मेश्राम ने बताया 2005 में छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा में सिलेक्शन व ट्रेनिंग बाद छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में कार्य करने का मौका मिला। सर्वप्रथम सरगुजा में ढाई वर्ष की सेवाएं दी। उसके बाद ट्रांसफर के रूप में बीजापुर जिले में पोस्टिंग हुई। प्रज्ञा मेश्राम बताती हैं प्रथम महिला पुलिस अधिकारी के रूप में बीजापुर जिले में कार्य करने का अवसर मिला। जहां वह अपनी छोटी बच्ची को लेकर 2 साल बीजापुर में बिताया। बीजापुर के बाद राजनांदगांव डीएसपी के रूप में ढाई वर्ष फिर प्रमोट होकर एएसपी आईयूसीडब्ल्यूए में रह कर अपनी सेवाएं दी। उसके बाद ट्रांसफर होकर दुर्ग जिले में कार्य करने का अवसर मिला। शुरू में एएसपी आईयूसीडब्ल्यूए फिर ग्रामीण एडिशनल एसपी की जिम्मेदारी मिली। फिर वापस राजनांदगांव अब बालोद में पोस्टिंग मिली। वे जहां भी रही एएसपी की जिम्मेदारी मिलने के बाद सभी थानों में विजिट कर थाना प्रभारियों को मोटिवेट कर लगातार कार्य करती हैं। पॉजिटिव माइंड सेट से कार्य करने प्रोत्साहित कर लगातार साइबर जागरूकता अभियान भी समय-समय पर उनके द्वारा किया जाता है.
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