ये तरीका लाजवाब- शिक्षक इस प्रमेय को पारिवारिक रिश्तो में जोड़कर नवाचारी ढंग से पढ़ाते हैं
बालोद। कहते हैं किसी कठिन बात या विषय को सरल एवं प्रभावी रूप से बताने के लिए सुनने और समझने वाले को उसके अपनी स्थानीय परिवेश रिश्तेदारी अपनत्व के आधार पर अधिक सुगमता व सरलता से बताई जा सकती है ठीक इसी बात को ध्यान में रखते हुए जिले के हाई स्कूल जमरूवा के व्याख्याता रघुनंदन गंगबोईर ने जो स्वाभाविक रूप से कठिन माने जाने वाले विषय गणित के प्रत्येक अवधारणा को स्थानीय परिवेश के साथ जोड़कर सरल एवं रोचक ढंग से समझाने के अपने स्वाभाविक तरीके के कारण नवाचारी गतिविधियों से पुरस्कृत शिक्षक है, उन्होंने गणित की ज्यामिती आकृतियों में समरूपता से संबंधित प्रमेय को विद्यार्थी को समझाने हेतु उनके रिश्तेदारी में जोड़कर बताते हैं। ऐसे ही एक प्रमेय जिसका नाम थेल्स प्रमेय या आधारभूत समानुपातिकता के प्रमेय जिसका कथन होता है कि “त्रिभुज के एक भुजा के सामनांतर खींची गई रेखा अन्य दो भुजा को समान अनुपात में विभाजित करती है” इस कथन को उनके घर परिवार स्थानीय परिवेश के रिश्तेदारी मां-बाप और बेटा बहू के बीच बनने वाले रिश्तेदारी के रूप में इस प्रकार बताते हैं कि त्रिभुज के तीनो भुजाओं को एक परिवार के 3 सदस्य माता(A_B) पिता(A_C) और उसका लड़का(B_C) के रूप में बता कर विवाह संस्कार पश्चात घर में आने वाली लड़की(D_E) का संबंध परिवार के लड़के के साथ समानांतर रिश्ता में पत्नी होती है तथा उस घर के अन्य दो सदस्य माता पिता के साथ समान रूप से बहू का संबंध होती है। शिक्षक के इस प्रकार से स्थानीय परिवेश रिश्तेदारी में गणितीय अवधारणा को जोड़कर बताने से कक्षा का माहौल रोचक एवं पारिवारिक चित्रण हो जाता है और एक कठिन उबाऊ लगने वाला विषय खेल खेल में स्वाभाविक समझ की ओर कक्षा के माहौल को बदल देता है जिससे विद्यार्थी गणित की अवधारणा के प्रति उत्साही नजर आते हैं और निश्चित रूप से उत्साही माहौल कठिन से कठिन विषय को सरल बना देता है।