बालोद के इस शख्स ने किन्नरों की व्यथा कविता में उकेरी, शोध ग्रंथ में हुआ प्रकाशन, विश्वविद्यालय के छात्र पढ़ेंगे
बालोद। यह बालोद के लिए एक और उपलब्धि है कि यहां के एक साहित्यकार द्वारा किन्नरों की व्यथा पर लिखी रचना कविता को शोध ग्रंथ में शामिल किया गया है। जिसे विश्वविद्यालय के छात्र पढ़ेंगे। आमतौर पर किन्नरों पर बहुत कम रचनाएं बनती हैं। लोग इनके बारे में ज्यादा जानते भी नहीं पर जानने की जिज्ञासा रखते हैं। पर उनकी व्यथा को कोई परिभाषित नहीं कर पाता। ये कठिन कार्य बालोद जिले के बालोद ब्लॉक के कोहंगाटोला के साहित्यकार डॉ अशोक आकाश साहू ने किया है। उनकी रचना को शोध ग्रंथ में शामिल कर लिया गया है। इस रचना को विश्वविद्यालय के छात्र अध्ययन करेंगे। अशोक आकाश की लिखित किन्नर व्यथा को शोध ग्रंथ में शामिल किया गया है। उनकी लिखी कृति प्रलम्ब काव्य किन्नर व्यथा बालोद जिला ही नहीं अपितु पूरे छत्तीसगढ़ का गौरव बन गया है। बहुआयामी प्रतिभा के धनी साहित्यकार डॉ.अशोक आकाश के द्वारा लिखित प्रलंब काव्य “किन्नर व्यथा ” को छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ विनय कुमार पाठक बिलासपुर द्वारा लिखित शोध ग्रंथ “लैंगिक विकलांगता विमर्श दशा और दिशा” में 20भाग में लिखित पूरी कविता को स्थान दिया गया है। जिन्हें विश्वविद्यालयों में बच्चे पढ़ेंगे। इन्हें अंग्रेजी एवं दुनिया के अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा। जो कि हमारे छत्तीसगढ़ अंचल के लिए गर्व की सुखद अनुभूति देती है ।
इस प्रलंब काव्य “किन्नर व्यथा” में कवि ने किन्नरों की व्यथा- कथा को उकेरते हुए किन्नरों के प्रति संवेदनशीलता का परिचय दिया है जिसमें किन्नरों के इतिहास उनकी संस्कृति के साथ लैंगिक विकलांगता से ग्रस्त होने के कारण समाज के साथ-साथ घर परिवार के लोग भी उन्हें त्याग देते हैं । वे समाज में किस तरह तिरस्कृत भाव से जीवन व्यतीत करते हैं उन भावों को विचारों में पिरोकर प्रणयन किया है। जिससे किन्नर व्यथा की कथा ग्रंथ का रूप धारण कर लिया है। यह वर्तमान काव्य लेखन की महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
इससे पहले डॉ.अशोक आकाश द्वारा ईशप की अमर कथाएं, पंचतंत्र की कथा, तेनालीराम की चतुराई, आजादी के वीर लड़ाका एवं भारत के महापुरुषों की जीवनी का छत्तीसगढ़ी में किये गये अनुवाद को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। उन अनुदित कहानियों को छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम में शामिल की जा रही है, जो कि लेखक अशोक आकाश एवं बालोद जिला के साहित्य बिरादरी के साथ-साथ अंचल के लिए गौरव की बात है। इन उपलब्धियों के लिए जिले के वरिष्ठ साहित्यकार मोहन प्रसाद चतुर्वेदी, बुटूराम पुर्णे, देव जोशी गुलाब, देवनारायण नगरिहा, कन्हैया लाल बारले, पुष्कर सिंह राज, जयकांत पटेल, एस.एल. गंधर्व ,प्रवीण कुमार ठाकुर, वीरेंद्र अजनबी, चॉदमुबारक चॉद, जे आर महिलांगे,गजपति साहू, सीताराम साहू श्याम ,जगदीश देशमुख परमानंद करियारे, डिगेन्द्र साहू, गुमान सिंह साहू, केशवराम साहू, शिरोमणी माथुर, सरिता गौतम, संध्या राजपूत हर्षा देवांगन ने उन्हें शुभकामनाएं दी है।
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