दिवंगत बेटे की याद में मां की रचना अर्पण की समीक्षा- इसकी कहानियां सच्चाई पर आधारित है, करुणा व वात्सल्य झलकता है
दल्लीराजहरा। शिरोमणि माथुर रचित पुस्तक अर्पण की समीक्षा गोष्ठी का आयोजन माथुर सिनेप्लेक्स में विगत दिनों माथुर परिवार और हस्ताक्षर साहित्य समिति के सौजन्य से आयोजित किया गया।उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में वरिष्ठ साहित्यकार दादूलाल जोशी संपादक “विचार विमर्श उपस्थिति थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा.स्वामीराम बंजारे विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांकेर ने की। विशिष्ठ अतिथियों के रूप में शांतिलाल जैन अध्यक्ष राजहरा व्यापारी संघ, सीबू नायर नगर पालिका अध्यक्ष, पूर्णिमा बहन,ब्रम्ह कुमारी,डा.अशोक आकाश,दरवेश आनंद संपादक लोक असर, कन्हैया लाल बारले मधुर साहित्य परिषद से,अशोक बांबेश्वर ,आचार्य महिलागें , हस्ताक्षर साहित्य समिति अध्यक्ष ज्ञानेन्द्र सिंह थे।सर्वप्रथम अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की गई,सरस्वती वंदना सरिता सिंह गौतम एवं स्वागत गीत जनाब़ लतीफ खान द्वारा प्रस्तुत की गई।
मंचस्थ अतिथियों के स्वागत उपरांत श्रीमति शिरोमणि माथुर ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा- अर्पण मेरी भावाभिव्यक्ति है, परिवार के प्रति,समाज के प्रति,अध्यात्म के प्रति। साहित्य कबीर के दोहे हैं, साहित्य तुलसी की चौपाई है, साहित्य ईश्वर का वंदन है। श्रीमति शिरोमणि माथुर के स्वागत भाषण के बाद अंचल से पधारे मुर्धन्य साहित्यकारों ने अर्पण पर अपनी समीक्षा प्रस्तुत की। दादूलाल जोशी वरिष्ठ साहित्यकार ने अर्पण पर समीक्षा करते हुये कहा-अर्पण संग्रह मैं विविध विषयों पर सार्थक कविताएं संग्रहित हैं,ये कविताएं शोक गीत और संबोधन गीत की श्रेणी में आते हैं। इन कविताओं में करुणा और वात्सल्य रस परिलक्षित होता है।
वरिष्ठ साहित्यकार मोहन चतुर्वेदी ने कहा-कवियत्रि बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी हैं। अर्पण में उनकी कविताओं के साथ उनकी कहानियां भी संकलित हैं।उनकी प्रत्येक कहानी सच्चाई पर आधारित है,मानवीय दुर्बलता का चित्रण करती हैं।
आ जाओ तुम एक बार, तो तन हल्का हो जायेगा
तुम्हें देख कर मुरझाया मन फिर से पुलकित हो जायेगा ।इन पंक्तियों में कविता रोती है। कन्हैया लाल बारले अध्यक्ष मधुर साहित्य परिषद डौंडीलोहारा ने कहा-कवियत्रि अपने उम्र के अनुरूप जीवन के अनुभवों का निचोड़ जीवन दर्शन के रुप में इस संग्रह में प्रस्तुत की हैं।आचार्य महिलागें ने अर्पण पर समीक्षा करते हुये बताया कि -श्रीमति माथुर की रचना में सहजता है,सरलता है,जो पाठकों, साहित्यकारों बुध्दिजिवियों को अपने से जोड़ लेती है।
डा.स्वामीराम बंजारे ने अर्पण पर अपनी समीक्षा में बताया -यह उनकी करूणा से आप्लावित आत्मराग की कविता है। इसमें जीवन दर्शन भी है,और संदेश भी। कवियत्री के हृदय की वेदना कह उठती है-हृदय की वेदना को कलम कैसे लिख पायेगी,अंतस की पीड़ा को आंखें कैसे बरसाएंगी। इस प्रकार विद्वजनों की गरिमामयी उपस्थिति और सार्थक समीक्षा उपरांत लतीफ़ खान ,शमीम शिद्दिकी ,सरिता सिंह गौतम, गोविन्द पणिकर, घनश्याम पारकर अशोक आकाश, देवनारायण,अमित प्रखर,पूर्णे ,शोभा बेंजामिन, ने गीत , ग़ज़ल,हास्य व्यंग्य की रचनाओं से श्रोताओं को शाम तक बांधें रखा। कार्यक्रम का शानदार संचालन अमित प्रखर ने किया। आभार प्रदर्शन माथुर परिवार की ओर से रश्मि अग्रवाल एवं हस्ताक्षर साहित्य समिति की ओर से ज्ञानेन्द्र सिंह ने किया। इस कार्यक्रम में अंचल एवं नगर के गणमान्य नागरिक साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। जिनमें राजेन्द्र भारद्वाज, काशीराम निषाद,डा.हरीश दसानी,विवेक मसीह, बंशीलाल गावड़े,अनिरूध्द साहू,मोहन साहू,गौतम बेरा,गगन पन्डया,कलिहारी ,राजेश श्रीवास्तव,कमल शर्मा , राजेश पटेल,भरत पटेल,मनोज पाटिल,शेखर रेड्डी,राकेश गुप्ता,आशुतोष माथुर,पियुष गुप्ता,अमित अग्रवाल,अलका गुप्ता, पुरोबी वर्मा,गीता भारद्वाज,उमेन्द्र,डा.श्रीमति पाठक, युवराज साहू,गुलशन,विनय राय,उमा राय किशोर जैन, खुर्शीद सिद्दिकी,मोहन सिंह जतिन,निरूपमा, एवं देशलहरा की उपस्थिति रही।