सांकरा ज पहुंचे पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित डॉ राधेश्याम बारले, पंथी नृत्य टीम व कलाकारों को लेकर कही ये बात?
जगन्नाथपुर/बालोद। सांकरा ज में गुरुवार को पंथी नृत्य को संरक्षित करने पर पद्मश्री के लिए चयनित डॉ राधेश्याम बारले पहुंचे। जिनका समाज सतनामी समाज सहित सरस्वती शिशु मंदिर जगन्नाथपुर की ओर से प्राचार्य ताराचंद साहू ने किया।
उन्होंने DailyBalodNews
से खास बातचीत में कहा छत्तीसगढ़ प्रदेश में पंथी नृत्य को पहली बार भारत सरकार पद्मश्री को लेकर घोषणा की है। इससे पंथी कलाकार के साथ पूरे सतनामी समाज गौरवान्वित महसूस कर रहें हैं। हम सरकार को धन्यवाद देते हैं कि एक गांव के छोटे से कलाकार को पंथी नृत्य के जरिए पद्मश्री से सम्मानित करने की घोषणा की है। मैं छत्तीसगढ़ शासन से यह अपेक्षा करता हूं कि अभी तक 60 से 70 साल में स्वर्गीय देवदास बंजारे ने पंथी नृत्य के माध्यम से बाबा घासीदास के संदेशों को पहुंचाने का प्रयास 60 से 64 देशों में किया है। पंथी नृत्य के माध्यम से बाबा गुरु घासीदास के संदेश रूपेश को जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है। उनके अधूरे काम जो बचा है उसकी जवाबदारी मुझे मिली हैं, उसे मैं बखूबी निभाउंगा। सरकार से मैं यही अपेक्षा करूंगा अन्य विधा की तरह पंथी नृत्य को भी सरकार महत्व दें और ब्लॉक जिला व राज्य स्तर पर इसका प्रशिक्षण शिविर लगाकर गांव के छिपे हुए कलाकार को सामने लाने का प्रयास किया जाए। वैसे छत्तीसगढ़ में पंथी नृत्य के 65287 कलाकार है। पंथी नृत्य अकादमी का प्रदेश अध्यक्ष भी हूं। जैसे अभी अन्य विधा या खिलाडी क्षेत्र में भी सरकारी नौकरी की बात आती है तो खिलाड़ियों को अलग से बोनस प्वाइंट दिया जाता है तो हम भी चाहते हैं कि हम सरकार से ही चाहते हैं कि हमारी राष्ट्रीय स्तर के पंथी नृत्य के कलाकारों को भी नौकरी के समय बोनस अंक का प्रावधान किया जाए।
बता दें कि पंथी नृत्य में विशेष उपलब्धि पर पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित डॉ राधेश्याम बारले जी का सांकरा ज आगमन हुआ था। डॉ राधेश्याम बारले सांकरा ज के खिलानंद गिलहरे का बहनोई व पूर्व जिलाध्यक्ष सतनामी समाज बालोद एवं प्रदेश संयोजक विजय बघेल के भांजी दामाद हैं।