November 21, 2024

सेजेस कुसुमकसा के मॉडल का राष्ट्रीय स्तर पर चयन

बालोद।राज्य स्तरीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी एवं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी पश्चिम भारत विज्ञान मेला एवं विज्ञान नाटिका प्रतियोगिता का आयोजन राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद तथा स्कूल शिक्षा विभाग सरगुजा संभाग द्वारा सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय बनारस रोड अंबिकापुर  में संपन्न हुआ। जिसमें ' सतत भविष्य के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ' विषय पर लगभग 500 मॉडलों का प्रदर्शन किया गया जिसमें स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट हिंदी/अंग्रेजी माध्यम विद्यालय कुसुमकसा के मॉडल थीम ' प्राकृतिक खेती ' का चयन राष्ट्रीय स्तर के लिए किया गया। चयनित बाल वैज्ञानिक कक्षा 11 वीं  की छात्रा खुशी विश्वकर्मा , मार्गदर्शक व्याख्याता सोनल गुप्ता (रसायन )तथा व्याख्याता तामसिंह पारकर (भौतिक शास्त्र)  समारोह के मुख्य अतिथि चिंतामणि महाराज  सांसद संसदीय क्षेत्र सरगुजा, अध्यक्षता कर रहे राजेश अग्रवाल विधायक विधानसभा क्षेत्र अंबिकापुर,विशिष्ट अतिथि प्रमोद मिंज विधायक विधानसभा क्षेत्र लुण्ड्रा के कर कमलो द्वारा सम्मानित हुए।इस अवसर पर हर्ष व्यक्त करते हुए  श्री पीसी मैर्केले जिला शिक्षा अधिकारी बालोद ने कहा कि बच्चे अपने आसपास हो रहे क्रियाकलापों में विज्ञान की उपस्थिति का अनुभव कर यह जान सकते हैं कि हम भौतिक और सामाजिक पर्यावरण से अधिगम प्रक्रिया को जोड़कर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं, और अनेक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। आत्मनिर्भरता सामाजिक आर्थिक विकास हेतु विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रमुख साधन है। समाज के उपयोग हेतु अच्छी गुणवत्ता एवं पर्यावरण अनुकूलन सामग्री उत्पादन हेतु बाल वैज्ञानिक खुशी विश्वकर्मा सेजस कुसुमकसा द्वारा बनाया गया प्राकृतिक खेती मॉडल अत्यंत सराहनी और प्रसंसनीय है। जेएस भारद्वाज विकासखंड शिक्षा अधिकारी डौंडी ने कहा कि यह एक स्वर्णिम पल है, आज आदिवासी अंचल के  बाल वैज्ञानिक छत्तीसगढ़ का नेतृत्व करने जा रहे हैं। अपनी परियोजनाओं की मदद से वैज्ञानिक स्वभाव और नवीन विचारों को विकसित कर वैज्ञानिक जागरूकता लाने बाल वैज्ञानिक खुशी विश्वकर्मा तथा मार्गदर्शक व्याख्याता को शुभकामनाएं दिए। मार्गदर्शक व्याख्याता तामसिंह पारकर ने बताया कि ' प्राकृतिक खेती ' मॉडल के अंतर्गत हाइड्रोपोनिक स्मार्ट खेती के नवीनतम रुझानों में से एक है।यह ऐसी पद्धति पर आधारित है जिसमें मिट्टी के स्थान पर पोषक तत्वों से भरपूर पानी के घोल का उपयोग किया जाता है।यह पारंपरिक कृषि की तुलना में अधिक टिकाऊ है। हाइड्रोपोनिक फसले घर पर भी उगाई जा सकती है। अधिक उपज तथा भूमि पानी और ऊर्जा के कम उपयोग के साथ भोजन उत्पादन करने के तरीके के रूप में महत्वपूर्ण है। इस सफलता पर संजय बेस जनपद सदस्य कुसुमकसा, सरपंच शिवराम सीन्द्रमें , डॉ बी मिश्रा,नितिन जैन,अनिल सुथार ,मनीष जेठवानी ,प्राचार्य सुनीता यादव, जिला विज्ञान प्रदर्शनी प्रभारी रुपेश कश्यप, नोडल राजेंद्र वर्मा मॉडल विशेषज्ञ लोचन देशमुख, बी एन योगी, कादंबिनी यादव किरण ठाकुर , अशरफ तिगाला, अमरदीप गुप्ता, संजय बंजारे ,सच्चिदानंद शर्मा बीआरसीसी डौंडी , व्याख्याता अशोक सिन्हा, राजेंद्र आवड़े ,उमा त्रिपाठी, किरण झा , रंजना खोबरागड़े , लक्ष्मण गुरुंग और समस्त व्याख्यातागण शुभकामनाएं दिए।

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