BigBreaking- छत्तीसगढ़ में अब होगी घाणी बोर्ड का गठन, मुख्यमंत्री ने की घोषणा, पढ़िए पूरी खबर आखिर यह घोषणा क्यों और कहां की गई?
रायपुर/ महासमुंद। छत्तीसगढ़ वासियों के लिए एक पुरानी पद्धति को फिर से विकसित करने व उसे सही तरीके से संचालित करने के लिए अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहल करेंगे। यह पहल होगी तेल घाणी के लिए। तेल घाणी एक पुरानी पद्धति है। जिसके जरिए तेल निकालने का काम होता है। पुराने जमाने में बैल के जरिए तेल निकाला जाता था। आज भी कुछ गाँव में यह परंपरा कायम है। इस परंपरा को सहेजने व इसे आगे बढ़ाने के लिए अब तेल घाणी बोर्ड का गठन होगा। इसकी घोषणा रविवार को महासमुंद में साहू समाज के युवक युवती परिचय सम्मेलन में पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शाम 6 बजे की ।उन्होंने अपने उद्बोधन के दौरान वहां मौजूद साहू समाज के लोगों से यह सलाह भी मांगा कि क्या तेल घाणी की परंपरा को आगे बढ़ाना चाहिए । भीड़ से आवाज आई कि यह बहुत जरूरी है। फिर उन्होंने कहा तो बिल्कुल बढ़ाएंगे। इसके लिए तेल घाणी बोर्ड का गठन होगा। इसकी मैं आज घोषणा करता हूं। भले बैल से नहीं तो मशीन से ही इसे चलाएंगे। लेकिन इसे सहेजने के लिए जरूर काम करेंगे। तेल घाणी बोर्ड का उद्देश्य होगा कि तेल घाणी की परंपरा गांव-गांव में विकसित हो और रोजगार के इससे अवसर मिले। इसके अलावा उन्होंने महासमुंद के सिरपुर के बौद्ध कालीन स्मारक को भी विश्व स्तरीय पर सहेजने के लिए घोषणा की। उन्होंने कहा कि नालंदा के बाद यह विश्व का सबसे बड़ा स्मारक है। इसे सहेजने में कोई कोताही नहीं होगी। साहू समाज सहित अन्य सामाज की ओर से जो भी मांग आ रहे हैं उन्हें भी गंभीरता से पूरा कर रहे हैं।
उन्होंने राजिम कुंभ को लेकर भी कई अहम बातें कही। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राजिम कुंभ मेला में होने वाली परेशानी, जगह की कमी, भवन की कमी को देखते हुए हमने वहां 54 एकड़ जमीन आरक्षित करवा दी है। जहां पर विभिन्न भवन का निर्माण होगा ।ताकि वहां पर कुंभ मेले के आयोजन सहित अन्य सभी आयोजन के लिए लोगों को सुविधा मिल सके। इसके लिए विस्तृत योजना बनाई जा रही है। उन्होंने साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन हिरवानी निवासी बालोद की मांग पर राजिम में धर्मशाला बनाने के लिए 50 लाख की घोषणा भी की है।
54 एकड़ जमीन आरक्षित होने व वहां विभिन्न निर्माण कार्यों के बाद राजिम कुंभ में कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। अभी स्थिति यह है कि वहां नदी में मेला लगाना पड़ता है। कई बार कई तरह की परेशानी होती है। आयोजन के लिए जगह नहीं होती। साहू समाज का सम्मेलन भी दूसरे की जमीन पर होता है। उन्होंने युवक युवती परिचय सम्मेलन को एक अच्छा माध्यम बनाया ताकि इससे रिश्ते बने। एक समय होता था जब सियान गांव में मेला आयोजित करते थे। इस दौरान बेटियां अपने रिश्तेदारों के घर जाती थी और वहां उनसे परिचय होता था और वहीं से रिश्ते बनने की शुरुआत होती थी। लेकिन अब बदलाव आ गया है। अब नए स्वरूप में रिश्ते बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि कम खर्च में आयोजन हो इसके लिए हर समाज को पहल करनी चाहिए ।
कोरोना माता बहुत कुछ सिखा गई
उन्होंने छत्तीसगढ़ी लहजे में पूरे भाषण देते हुए बीते साल 2020 में कोरोना को माता की संज्ञा देते हुए बताया कि कोरोना माता हमें बहुत कुछ सिखा गई। पहली बार ऐसा हुआ जब बारात में भी मुश्किल से 4 लोग गए। रिश्तेदारों को भी व्हाट्सएप मैसेज में कार्ड भेज कर यह कहा गया कि हम कार्ड भेज रहे हैं, सूचना दे रहे हैं लेकिन आना नहीं है। क्योंकि बरात जा नहीं सकते। दशगात्र में भी इन नियमों का पालन गंभीरता से हुआ।
कसडोल की विधायक का जब मुख्यमंत्री देने लगे परिचय
इस युवक युवती परिचय सम्मेलन में चुनिंदा युवक-युवतियों को मंच पर आकर परिचय देने का मौका दिया गया। लेकिन जब मुख्यमंत्री के भाषण का वक्त आया तो वह भी मंच पर मौजूद कसडोल की विधायिका सुश्री शकुंतला साहू निवासी ग्राम पंचायत रसोटा का परिचय देने लगे। जिसके बाद भीड़ से आवाज आई कि उनका गोत्र भी बता दो। इस पर सब हंसने लगे फिर मुख्यमंत्री ने स्वयं विधायिका को माइक पर बुलाया और उन्होंने खुद अपना परिचय दिया। उन्होंने कहा कि मैं विधायक बनी हूं तो सीएम के आशीर्वाद से और मेरी शादी भी होगी तो सीएम के आशीर्वाद से।
ताम्रध्वज साहू ने कहा अभी भी कई क्षेत्रों में चिंतन मनन की जरूरत है
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीडब्ल्यूडी मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि आज भी साहू समाज में कई बातों पर चिंतन की जरूरत है। संस्कार शिक्षा की जरूरत है। कुछ पत्रकारों ने मुझे एक बार पूछा था कि हमारी सरकार का विकास का पैमाना क्या है तो उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के विकास का पैमाना एक लाइन से सड़क को दो लाइन, चार लाइन छह लाइन का बनाना नहीं है, बल्कि हमारा पैमाना छत्तीसगढ़ की संस्कृति को जागृत करना है। उन्होंने मुख्यमंत्री की तारीफ करते हुए कहा कि हरियाली, तीज, कर्मा जयंती तक में छुट्टी पहली बार दी गई। आज दिल्ली तक में हमारे छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की मिठास घुल गई है। उन्होंने समाज को यह सचेत भी किया कि हम हर क्षेत्र में आगे बढ़े लेकिन नीचे भी देखते रहे। कहीं ऐसा ना हो कि दीया तले अंधेरा वाली बात हो। इसलिए नीचे को भी मजबूत रखते हुए हमें आगे बढ़ना चाहिए। इस दौरान प्रमुख रुप से प्रदेश साहू समाज के अध्यक्ष अर्जुन हिरवानी, धनेंद्र साहू, मोतीलाल साहू, विनोद चंद्राकर सहित अन्य मौजूद रहे