November 21, 2024

भाइयों की ओर से बहनों को एक तोहफा ऐसा भी: राखी बांधने पर बदले में मिला गीता, शिव पुराण और रामचरितमानस

बालोद। जिला विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल ने राखी पर एक अनोखी पहल की। रक्षाबंधन पर बहनों को उपहार स्वरूप रामचरितमानस गीता और शिव महापुराण का भेट किया गया। हमारे देश की संस्कृति के संरक्षण के लिए ऐसा किया गया ताकि लोग देश की महत्ता और हमारे पौराणिक शास्त्रों के बारे में जाने और समझें। उक्त धार्मिक ग्रंथ पाकर बहनें काफी खुश हुई और अभी से पढ़ना प्रारंभ की है।

ताकि उनके बारे में अच्छे से जान सके। बहनों में इसे पढ़ने की जिज्ञासा बनी हुई है।

विश्व हिंदू परिषद बालोद जिला सह मंत्री सतीश विश्वकर्मा ने बताया रामचरितमानस पढ़ने के कई फायदे और लाभ हैं। सबसे पहला लाभ कि आपका ज्ञान बढेगा और आप एक नई भाषा अवधि भी सिख लोगे।दूसरा लाभ की रामचरितमानस जब जिन परिस्तिथियों में लिखी गई उनका आभास हो जाएगा। जब यह लिखी गई तब हिन्दू जनता म्लेच्छ बल से त्रस्त थी। गुलाम थी ,अपने ही देश में जजिया कर भरने को मजबूर थी। अतः राम भरोसे, भाग्य भरोसे या देव के आशीर्वाद से ही जी सकती थी। अंतिम सहारा राम ही थे। भरोसा राम में बनाए रखो। इससे जीने हेतु सम्बल मिलता था। हारकर हिम्मत न छोड़ो मैदान में अड़े रहो।


बालोद जिला विश्व हिंदू परिषद से महेंद्र सोनवानी (मोनु) ने बताया कि सनातन धर्म में भगवत गीता को एक विशेष स्थान प्राप्त है। गीता हिंदू धर्म का बहुत ही पवित्र धर्मग्रंथ है। आज यह केवल भारत तक सीमित नहीं रह गई है बल्कि देश-विदेश में भी गीता का पाठ करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। गीता ने कितने ही लोगों को जीवन दर्शन का एहसास कराया है। रोज गीता का पाठ करने के लाभ भी हैं। भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया ज्ञान सर्वश्रेष्ठ ज्ञान माना गया है, जिसे गीता ज्ञान भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत गीता, श्रीकृष्ण द्वारा बताई गई बहुमूल्य बातों का एक संग्रह है। गीता में निहित कई श्लोक जीवन दर्शन का एहसास कराते हैं। ऐसे में अगर आप रोजाना भगवत गीता का पाठ करते हैं तो इसके कई लाभ मिलते हैं।जो व्यक्ति नियमित रूप से भगवत गीता का पाठ करता है उसका मन हमेशा शांत रहता है। वितरित परिस्थियों में भी वह अपने मन पर काबू पाने की क्षमता रखता है। वह जैसे चाहे अपने मन को कार्य में ले सकता है।

उमेश सेन ने बताया शिव महापुराण की महत्ता

बालोद जिला बजरंग दल से उमेश कुमार सेन ने बताया वर्तमान में कुछ कथावाचक शिव पुराण की कथाओं का वाचन करने लगे हैं। और वे बहुत लोकप्रिय भी हो चले हैं। 18 पुराणों में से एक शिव पुराण में भगवान शिव और उनके अवतारों के बारे में विस्तार से जानकारी मिलती हैं। कहते हैं कि शिव पुराण की रचना महर्षि वेदव्यास के शिष्य रोमाशरण ने की। शिव पुराण शैवपंथियों का ग्रंथ है। शिव पुराण को महापुराण भी कहा जाता है और इसमें सिर्फ शिवजी की महिमा का ही ‍वर्णन है। शिव पुराण की संहिताओं में शिव के रूप, कार्य, अवतार आदि की महिमा के वर्णन के साथ ही ब्रह्म, ब्रह्मांड तत्व का ज्ञान मिलता है। शिव पुराण में ही प्रसिद्ध विद्येश्वर संहिता, रुद्र संहिता, शतरुद्र संहिता, कोटिरुद्र संहिता, उमा संहिता, कैलाश संहिता, वायु संहिता (पूर्व भाग) और वायु संहिता (उत्तर भाग) है जिसे पढ़ने का बहुत ही महत्व है। शिव मृत्यु के देवता हैं, संहारक हैं, वैरागी और योगी हैं। इसीलिए दोनों ही पुराण में अलग अलग विषयों को समेटा गया है। शिव पुराण में शिव सबसे महान है। शिवजी को केंद्र में रखकर सृष्टि उत्पत्ति, पालन और संहार के ज्ञान के साथ ही मनुष्य के धर्म कर्म को समझाया गया है। ऐसा कहते हैं कि शिव पुराण की मूल विचारधारा एकेश्‍वरवाद और द्वैतवाद की है जबकि‍ विष्णु पुराण अद्वैतवाद का समर्थन करता है। इस पुराण में संसार के साथ ही संन्यास को भी साधने की जानकारी मिलती है। इसीलिए इस पुराण को पढ़ा जाता है। मान्यता है कि शिव पुराण का पाठ करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। निःसंतान लोगों को संतान की प्राप्ति हो जाती है। वैवाहिक जीवन से संबंधित समस्याओं का समाधान होता है। समस्त प्रकार के कष्ट और पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन के अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। जीवन में आ रही बाधओं से मुक्ति का समाधान मिलता है, क्योंकि इस पुराण में कई तरह के उपाय भी बताए गए हैं। शिव पुराण के अनुसार अच्छे मार्ग से धन संग्रहित करें और संग्रहित धन के तीन भाग करके एक भाग धन वृद्धि में, एक भाग उपभोग में और एक भाग धर्म-कर्म में व्यय करें। इससे जीवन में सफलता मिलती है। क्रोध कभी नहीं करना चाहिए और न ही क्रोध उत्पन्न करने वाले वचन बोलने चाहिए। क्रोध से विवेक नष्ट हो जाता है और विवेक के नष्ट होने से जीवन में कई संकट खड़े हो जाते हैं।

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