हिंदूत्व शरीर है तो राम उसकी आत्मा- जगदीश देशमुख
बालोद। हिंदू जाति सत्य सनातन धर्म की उपासना और व्याख्या करता है ।हिंदू धर्म में राम ,कृष्ण, शिव ,विष्णु, गणेश, दुर्गा, महाकाली की पूजा के साथ साथ संपूर्ण प्रकृति की उपासना में विश्वास रखता है। हिंदू राष्ट्र कहने का अर्थ सत्य सनातन धर्म के अनुसार जीवन जीने की पद्धति से है ।महाकवि तुलसी की मानस के अनुसार रामराज्य का अर्थ सब नर करहिं ,परस्पर प्रीति ।चलहिं स्वधर्म वेद श्रुति नीति ।यही रामराज्य की परिभाषा है। वेद और श्रृतियों के अनुसार चलने वाली समाज को राम राज्य कहा गया है ।इस दृष्टि से हम कह सकते हैं कि हिंदू राष्ट्र की अवधारणा में ही राम राज की कल्पना है ।उक्ताशय के विचार श्री तुलसी मानस प्रतिष्ठान के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष जगदीश देशमुख ने वर्तमान में राम राज्य की परिकल्पना और हिंदू राष्ट्र पर किए जा रहे हैं अंतर्विरोध पर व्यक्त किया।
श्री देशमुख ने कहा कि हिंदू राष्ट्र और राम राज्य की अवधारणा एक सिक्के के दो पहलू हैं । हिंदूत्व शरीर है तो राम उसकी आत्मा है।भारतीय दर्शन में श्रीमद्भ रामचरितमानस और महाभारत दो ऐसे ग्रंथ है जो आदर्श राजसत्ता का प्रतिनिधित्व करते हैं ।श्रीराम राजसत्ता का त्याग कर चौदह वर्ष तक पिता की का आज्ञा पालन कर वनवासी बनते हैं ।वनवासी राम ने दलित ,शोषित ,वंचित, पीड़ित समाज को गले लगाकर सामाजिक न्याय का उद्घोष किया। रावण के वैश्विक आतंक को नष्ट कर राम राज्य की स्थापना की।आज संपूर्ण विश्व में अयोध्या के राजसत्ता में विराजित राजा राम नहीं अपितु वनवासी राम की सर्वाधिक सर्वाधिक पूजा होती है। वनवासी राम ही संपूर्ण लोक मानस और जड़ चेतन में रम गए हैं ।उसी तरह महाभारत के दुर्योधन जो राज सत्ता के लोभी ,अहंकारी और दुराचारी राजा को मारकर श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर के धर्म सत्ता को प्रतिस्थापित करते हैं। इसी धर्म सत्ता को स्थापित करने के लिए श्री कृष्ण महाभारत जैसे युद्ध का संधान करते हैं। प्राचीन भारतीय राजसत्ता धर्मराज पर केंद्रित रही है। जिसे कालांतर में हम हिंदू धर्म या हिंदू दर्शन कहते हैं ।यही हिंदू राष्ट्र की अवधारणा है जिसे स्थापित करने के लिए छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप तथा गुरु गोविंद ने अपने प्राणों का उत्सर्ग किया।