ये भी हैं धरती के भगवान-108 कर्मचारियों की सूझबूझ से बच गई जच्चा-बच्चा की जान, जिसे अस्पताल प्रबंधन कर चुका था रिफर, रास्ते में हो गया प्रसव,
सुप्रीत शर्मा/कमलेश वाधवानी, बालोद। संजीवनी 108 लोगों की जान तो बचाती ही है। खासतौर से गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह एक वरदान से कम नहीं है। जब उन्हें एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल रेफर किया जाता है। पहले सामान्य एंबुलेंस में मरीज अस्पताल जब तक नहीं पहुंचे रहते थे उनकी जान अटकी रहती थी। लेकिन संजीवनी एबुलेंस में ऐसा नहीं होता। अस्पताल के डॉक्टरों की तरह 108 स्टाफ भी चलती फिरती एंबुलेंस में धरती के भगवान यानी डॉक्टर कहे जाते हैं। 108 के कर्मचारियों की वजह से कई बार मरीजों की समय पर जान भी बचाई जाती है। ऐसा ही हुआ बीती रात को गुंडरदेही के 108 में। जहां से एक प्रसव के केस की स्थिति खराब होने पर राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था। लेकिन प्रसव का समय नजदीक आने से महिला व्याकुल हो रही थी। 108 एंबुलेंस में ही प्रसव करना पड़ा। तैनात कर्मचारियों में ईएमटी सोहन और पायलेट जगतु और मितानीन की सुझबुझ से महिला ने वाहन में ही प्रशव कराया। इस दौरान जच्चा-बच्चा दोनों की स्थिति सामान्य है। उसके बाद दोनों को मेंडिकल कालेज राजनादगांव में भर्ती कराया गया है। बड़ी बात ये है कि पूरी घटना रात 2 बजे की है। जब रास्ते में भी कोई मदद मिलना मुश्किल हो। इस प्रयास से महिला और उनका बच्चा दोनों सुरक्षित है। फिलहाल उन्हें निगरानी के लिए राजनांदगांव में भर्ती कराया गया है। जच्चा बच्चा दोनों की जान बचाने पर परिजनों ने 108 के कर्मचारी को साधुवाद दिया। बड़ी विकट स्थिति थी कि इस केस को स्थानीय अस्पताल प्रबंधन संभाल नहीं पा रहा था और केस बिगड़ ना जाए, इससे पहले मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था। लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले स्थिति ज्यादा खराब हुए । लेकिन कर्मचारियों ने हिम्मत नहीं हारी और अपने अनुभव और जज्बे से उन्होंने सफल प्रसव कर दिखाएं।
कौन है महिला
गुण्डरदेही ब्लाक के ग्राम मचौद निवासी पार्वती (23 वर्ष) को शनिवार को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने उसे उपचार के लिए सीएचसी में भर्ती कराया था कमप्लीकेशन होने से गंभीर स्थिति को देखते हुए डाक्टरों की टीम ने शनिवार रात 2 बजे को उसे राजनादगांव मेडिकल कालेज रेफर कर दिया, जिसकी सूचना मिलने पर संजीवनी 108 वाहन से महिला को राजनादगांव मेडिकल कालेज अस्पताल के लिए रवाना किया गया था
इस दौरान राजनादगांव के पहुचते में ही प्रसव पीड़ा तेज हो गई। लेकिन कर्मचारियों और स्वयं महिला ने हिम्मत से काम लिया और एंबुलेंस में ही सुरक्षित प्रसव हो गया।