देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा था “सब कुछ इंतजार कर सकता है पर खेती नहीं, पर यह सब मोदी जी कब समझेंगे? पढ़िए ये खबर और समझिए क्यों कांग्रेसी व किसान कर रहे कृषि बिल का विरोध, क्यों कह रहे इसे काला कानून?
बालोद । मोदी सरकार के तीन काले कानूनों को निरस्त करने की मांग पर शुक्रवार को जिले के कांग्रेसियों ने कांग्रेस भवन के बगल में एक दिवसीय धरना दिया फिर नायब तहसीलदार मनोज भारद्वाज व चांदनी देवांगन को ज्ञापन सौंपा गया। इस प्रदर्शन के दौरान जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चंद्रप्रभा सुधाकर, नगर पालिका अध्यक्ष विकास चोपड़ा, पूर्व विधायक भैयाराम सिन्हा, चन्द्रेश हिरवानी बंटी शर्मा सहित अन्य कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कई सवाल खड़े किए।
कांग्रेसियों ने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था सब कुछ इंतजार कर सकता है पर खेती नहीं। पर यह बात मोदी जी कहां समझेंगे। मोदी सरकार ने देश के किसान, खेत और खलिहान के खिलाफ एक घिनौना षड्यंत्र किया है। केंद्रीय भाजपा सरकार तीन काले कानूनों के माध्यम से देश की हरित क्रांति को हराने की साजिश कर रही है। देश के अन्नदाता भाग्य विधाता किसान तथा खेत मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने का षड्यंत्र किया जा रहा है। जो कांग्रेसी बर्दाश्त नहीं करेगी। आज देश भर में 65 करोड किसान मजदूर व 250 से अधिक किसान संगठन इन कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार देश को बरगला रहे हैं।
अन्नदाता किसान की बात सुनना तो दूर संसद में उनकी आवाज को दबाया जा रहा है और सड़कों पर किसान मजदूरों को लाठियों से पीटा जा रहा है। देश के किसान खेत मजदूर मंडी के आढ़ती, मंडी मजदूर ,मुनीम कर्मचारी ट्रांसपोर्टर व लाखों करोड़ों लोगों के ऐतराज के बाद भी यह कानून पारित किया जा रहा है। जिसका हम विरोध कर रहे हैं। पूर्व विधायक भैयाराम सिन्हा में किसानों से भी अपील की कि हम उसके हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। किसान भी हमसे मिलकर आगे आए और इसका पुरजोर विरोध करें।
इन चीजों का हो रहा है प्रमुख विरोध
पहला– अनाज मंडी, सब्जी मंडी यानी एपीएमसी को खत्म करने से कृषि उपज खरीद व्यवस्था पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। ऐसे में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा ना ही बाजार भाव के अनुसार फसल की कीमत।
दूसरा– मोदी सरकार का दावा है कि अब किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकता है ये पूरी तरह से सफेद झूठ है।
तीसरा– सब्जी मंडी में काम करने वाले मजदूर व अन्य कर्मचारी की आजीविका खत्म हो जाएगी।
चौथा– किसान को खेत के नजदीक अनाज मंडी सब्जी मंडी में उचित दाम किसान के सामूहिक संगठन तथा मंडी में खरीदारों के आपस के कंपटीशन के आधार पर मिलता है अगर किसान की फसल की मुट्ठी भर कंपनियां मंडी में सामूहिक खरीद के बजाय उसके खेत से खरीदेंगे तो फिर मूल्य निर्धारण एवं एसपी वजन व कीमत की सामूहिक मोलभाव की शक्ति खत्म हो जाएगी।
पांचवा– अनाज सब्जी मंडी व्यवस्था खत्म होने के साथ ही प्रांतों की आय भी खत्म हो जाएगी। प्रांत मार्केट व फेस व ग्रामीण विकास मंच के माध्यम से ग्रामीण अंचल का ढांचा का विकास करते हैं वह खेती को प्रोत्साहन देते हैं।
छठवा– कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अध्यादेश की आड़ में मोदी सरकार असल में शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट लागू करना चाहती है ताकि एफसीआई के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ही ना करनी पड़े और सालाना 80000 से एक लाख करोड़ की बचत हो इसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव खेत खलिहान पर पड़ेगा।
सातवां -अध्यादेश के माध्यम से किसान को ठेका प्रथा में फंसा कर उसे अपने ही जमीन में मजदूर बना लिया जाएगा।
आठवां– कृषि उत्पाद खाने की चीजों का फल सब्जियों की स्टॉक लिमिट को पूरी तरह से हटाकर आखिरकार न किसान को फायदा होगा ना ही उपभोक्ता को ।बस चीजों की जमाखोरी और कालाबाजारी करने वाले मुट्ठी भर लोगों को फायदा होगा।
नौवा– अध्याय देशों में ना तो खेत मजदूरों के अधिकारों के संरक्षण का कोई प्रावधान है ना ही जमीन जोतने वाले के अधिकारों के संरक्षण का। ऐसा लगता है कि उन्हें पूरी तरह से खत्म कर अपने हाल पर छोड़ दिया गया है।
दसवां– तीनों अध्यादेश संघीय ढांचे पर सीधे सीधे हमला है खेती व मंडल विधान के साथ भी शेड्यूल में प्रांतीय अधिकारों के क्षेत्र में आते हैं परंतु मोदी सरकार ने प्रांतों से राय करना तक उचित नहीं समझा। किसानों व कांग्रेसियों ने आरोप लगाया है कि महामारी की आड़ में किसानों की आपदा को मुट्ठी भर के अवसर में बदलने की मोदी सरकार की साजिश को देश का अन्नदाता, किसान व मजदूर कभी नहीं भूलेगा। कांग्रेसियों ने धरना देकर इन तीनों काले बिल बगैर देरी निरस्त करने की मांग की है।