प्रदेश स्तर के आह्वान पर बालोद जिले के सरपंच संघ भी करेंगे आंदोलन, दिया अल्टीमेटम, 24 से शुरुआत, 25 से बैठेंगे धरने पर
बालोद। विगत दिनों बिलासपुर में हुए छत्तीसगढ़ सरपंच संघ की बैठक के बाद अब बालोद जिले के सभी ब्लॉक के सरपंच संघ भी आंदोलन की तैयारी कर रहें। इस संबंध में बालोद और डौंडी ब्लाक के सरपंच संघ ने संबंधित क्षेत्र के राजस्व अधिकारियों को ज्ञापन देकर हड़ताल की चेतावनी दे दी है । 13 सूत्रीय मांगों को लेकर काम बंद, कलम बंद का आह्वान करते हुए 24 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। वही 25 अगस्त को जनपद पंचायत परिसर में सरपंच संघ धरने पर भी बैठेंगे। तो आने वाले दिनों में रैली ज्ञापन का कार्यक्रम भी होगा। बता दें कि सोमवार को पूरे छत्तीसगढ़ के सरपंचों की प्रदेश स्तरीय बैठक प्रदेश अध्यक्ष आदित्य उपाध्याय के नेतृत्व में बिलासपुर में रखी गई थी। जहां संपूर्ण संभाग, जिला और जनपद के पदाधिकारी शामिल हुए थे। करीब 600 की संख्या में सरपंच उक्त बैठक में पहुंचे थे। जहां सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि संपूर्ण छत्तीसगढ़ में सरपंच द्वारा काम बंद कलम बन्द अनिश्चितकालीन हड़ताल में जाएंगे। कोई भी सरपंच पंचायत में किसी प्रकार का काम नहीं करेंगे। ना ही किसी दस्तावेज में साइन करेंगे ना सील लगाएंगे। रणनीति अभी तक संगठन की ओर से यही है कि 23 अगस्त को सभी ब्लॉक अध्यक्ष अपने-अपने जनपद सीईओ और एसडीम को कलेक्टर के नाम से ज्ञापन आवेदन देंगे। बैठक में तय अनुसार सभी ब्लॉक के अध्यक्ष द्वारा जनपद स्तर पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की सूचना दी जा रही है।
क्या है सरपंचों की प्रमुख मांगे
सरपंच संघ बालोद के अध्यक्ष अरुण साहू, कुरदी के सरपंच संजय साहू ने बताया कि अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सरपंच संघर्ष कर रहे हैं। शासन प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन मांगों में प्रमुख रूप से सरपंच एवं पंचों को मानदेय राशि में वृद्धि की मांग शामिल है। जिसमें मांग की गई है कि सरपंचों को 20,000 और पंचों को 5000 मानदेय दिया जाए। सरपंचों ने ज्ञापन में पीड़ा बताई है कि हाल ही में भूपेश सरकार ने मानदेय वृद्धि करते हुए सरपंचों को 2000 की जगह 4000 और पंचों को 200 की जगह 500 देने की घोषणा की थी। लेकिन एक सरपंच के लिए उक्त मानदेय सम्मानजनक नहीं है। महंगाई चरम सीमा पर है। सरपंच गरीब मजदूर किसान वर्ग के भी होते हैं जो अपने गांव के काम हित के लिए 5 से 25 किलोमीटर दूर जनपद, तहसील, जिला दफ्तर आते जाते हैं। एक सरपंच का खर्चा प्रतिदिन कम से कम ₹500 तो महीने में 15000 होता है। और मात्र 4000 में फिर परिवार भी चलाना पड़ता है। जिसे देखते हुए मानदेय बढ़ाने की मांग की जा रही है। सरपंचों को पेंशन देने की मांग प्रमुख है ताकि उन्हें बुढ़ापे की चिंता ना हो। सरपंचों को आजीवन 10000 रुपए पेंशन देने की मांग की जा रही है। 50 लाख राशि तक के सभी कार्य में एजेंसी पंचायत को ही बनाने की भी मांग है। साथ ही सरपंच निधि के रूप में राज्य सरकार के द्वारा प्रत्येक पंचायत को ₹10 लाख दिया जाना चाहिए। नक्सली क्षेत्रों में सरपंचों को मारे जाने पर आर्थिक सहयोग और परिवार के सदस्य को नौकरी दिया जाना चाहिए। 15 वा वित्त आयोग अनुदान राशि का आवंटन समान रूप से मिलना चाहिए. 15 वे वित्त आयोग की राशि को अन्य योजनाओं के निर्माण कार्य में अभिसरण नहीं किया जाना चाहिए। नरेगा सामग्री राशि हर 3 महीने में भुगतान होना चाहिए। नरेगा निर्माण कार्य प्रारंभ करने के लिए 40% अग्रिम राशि प्रदान किया जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ सरपंचों के कार्यकाल को 2 वर्ष और बढ़ाया जाना चाहिए। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि कोरोना के चलते सरपंच कार्य नहीं कर पाए हैं। प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण का लाभ दिया जाना चाहिए। 3 वर्षों से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण गरीबों को आवास दिया जाता था वह बंद है। जिससे हितग्राही बेघर होकर जीवन यापन कर रहे हैं। योजना की राशि डेढ़ लाख से बढ़ाकर 2 लाख किया जाए। क्योंकि निर्माण सामग्री की मूल्य में भी वृद्धि हो गई है।