ट्रेनिंग- घायलों की मदद के लिए पुलिस के जवान कर सकते हैं सीपीआर, जान बचाने में यह तरीका आएगा काम
साप्ताहिक जनरल परेड में पहुंचे भूतपूर्व सैनिक भी, संघ द्वारा दी गई सीपीआर प्रशिक्षण
बालोद। पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार यादव के निर्देशन में अति. पुलिस अधीक्षक प्रज्ञा मेश्राम के द्वारा डीएसपी नवनीत कौर डीएसपी एसएस मौर्य के उपस्थिति में रक्षित केंद्र बालोद में साप्ताहिक जनरल परेड लिया गया। जनरल परेड में समस्त टोली का निरीक्षण कर सभी टोलियों का टर्न आऊट यूनिफॉर्म ड्रेसिंग, एवं शासकीय वाहनों का निरीक्षण कर अधि/कर्मचारियों को ईनाम दिया गया। इस दौरान पूर्व सैनिक सेवा संघ के सदस्य हेमंत, कन्हैया लाल, किशोरी योगी द्वारा जिला बल बालोद के अधि/कर्मचारीयों को एक्सीडेंटल इमरजेंसी मामले, पानी में डूबने और अन्य फिजिकली अचेत स्थितियों में घायल व्यक्तियों का रेस्क्यू हेतु सीपीआर का प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही स्नेक्स बाइट, सांप के काटने पर बचाव की तकनीक व सर्पदंश के प्रकार को पहचानने टिप्स भी बताए गए। जनरल परेड व सीपीआर प्रशिक्षण में परेड कमांडर रक्षित निरीक्षक एम.एस नाग व जिला बल बालोद के अधिकारी कर्मचारी सम्मिलित हुए।
क्या होता है सीपीआर?
हृदय रोग विशेषज्ञ व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ प्रदीप जैन ने बताया कि सीपीआर इमरजेंसी की हालत में इस्तेमाल की जाने वाली एक मेडिकल थैरेपी की तरह है, जिससे कई लोगों की जान बचाई जा सकती है. सीपीआर का पूरा नाम “कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन” है। इससे कार्डियक अरेस्ट और सांस न ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। कई बार किसी व्यक्ति की अचानक सांस रुक जाती है या फिर कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति में किसी को सांस नहीं आता है तो सीपीआर दिया जाता है, जिसकी वजह से लोगों की जान बचाई जा सकती है। एक तरह से सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं, जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है. साथ ही इससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता है। जैसे अगर व्यक्ति की सांस या धड़कन रुक गई है तो पर्याप्त ऑक्सीजन के बिना शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगती हैं। वहीं, इसका असर दिमाग पर भी पड़ता है, जिससे गंभीर कई बार व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में अगर सीपीआर दिया जाता है तो कई जानें बचाई जा सकती हैं. इससे जान बचने की संभावना बढ़ जाती है।
कैसे देते हैं सीपीआर?
उक्त प्रशिक्षण के दौरान जवानों को डेमो के जरिए बताया गया कि कैसे हम किसी घायल या अचेत पड़े व्यक्ति को सीपीआर दे सकते हैं। सीपीआर कोई दवा या इंजेक्शन नहीं है. यह एक तरह की प्रक्रिया है, जिसे मरीज के शरीर पर इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रक्रिया में व्यक्ति की सांस रुक जाने पर सांस वापस लाने तक या दिल की धड़कन सामान्य हो जाने तक छाती को दबाया जाता है, जिससे शरीर में पहले से मौजूद वाला खून संचारित होने लगता है. साथ ही इस प्रक्रिया में मरीज के मुंह में मुंह से सांस भी दी जाती है। सीपीआर देने का खास तरीका होता है, जिससे कई लोगों को बचाया गया है और कई लोगों को बचाया जा सकता है।
कई बार दुर्घटना की स्थिति में मुंह पर चोट लग जाती है तो मुंह से सांस नहीं दी जा सकती, ऐसी स्थिति में नाक से भी सांस दी जाती है. हालांकि, इससे लिए पता होना आवश्यक है कि व्यक्ति को सीपीआर की आवश्यकता है या नहीं। अगर आप इसकी पहली ट्रेनिंग ले चुके हैं तो ही इसका इस्तेमाल करें।