एक दिव्यांग शिक्षक ऐसे भी- स्कूल में 50% उपस्थिति की अनुमति, पढ़ाई ना पिछड़े इसलिए शाम को मोबाइल कांफ्रेंस कॉल से 1 घंटे बच्चों को और पढ़ाते हैं


बालोद/ डौंडीलोहारा। विश्व दिव्यांग दिवस पर चलिए आपको आज मिलाते हैं ऐसे शख्स से जो स्वयं दिव्यांग होते हुए भी अपने आसपास के बच्चों नौजवानों को आगे ले जाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। वह हैं हमारे जिले के शिक्षक कमल कांत साहू जो एक पैर से दिव्यांग है, शासकीय प्राथमिक शाला बड़गाँव डौंडी लोहारा में पदस्थ हैं।जब कोरोना महामारी विश्व में व्याप्त था तब सभी स्कूल बंद पड़े थे लेकिन कमल कांत साहू ऐसे विपदा के समय भी अपने बच्चों को पढ़ाने में पीछे नहीं थे। वे की पैड मोबाइल कॉन्फ्रेंस क्लास ऐप के माध्यम से अपने बच्चों को नियमित प्रतिदिन पढ़ा कर ना उन्होंने कोर्स पूरा किया बल्कि अन्य गतिविधि भी बच्चों को करवाने में पीछे नहीं रहे ।चार माह बाद सरकार के द्वारा मोहल्ला क्लास प्रारंभ किया गया। जिसमें उनकी क्लास में शत-प्रतिशत बच्चे स्कूल आकर पढ़ाई करते थे। इस वर्ष भी सरकारी आदेश अनुसार स्कूल तो खुला लेकिन 50% उपस्थिति के साथ खुला। जिसके कारण कोर्स बहुत पिछड़ गया था। जिसे ध्यान रख इनके द्वारा वर्तमान में भी शाम के समय बच्चों को एक घंटा मोबाइल कांफ्रेंस कॉल से जोड़कर प्रतिदिन पढ़ाया जा रहा है। जिसमें बच्चे जुड़कर लाभ ले रहे हैं।

इनके द्वारा समाजोत्थान के क्षेत्र में पिछले 6 सालों से इनके द्वारा जिले के अनेक गांव के बच्चों को जो किसी कारणवश दसवीं 12वीं के परीक्षा दिलाने से वंचित थे उनको लाभ दिलाने के लिए इनके द्वारा प्रतिवर्ष ओपन बोर्ड में फॉर्म भरवाया जाता है । जिसमें सैकड़ों बच्चे मार्गदर्शन से लाभ ले चुके हैं। इस साल भी बहुत से बच्चों ने इन के मार्गदर्शन से फॉर्म भर चुके हैं। कोरोना की दूसरी लहर जब चरम पर चल रही थी ।उस समय ऑक्सीजन कमी व अन्य स्रोतों की कमी होती जा रही थी।उस समय पतंजलि योग समिति से जुडे योगचार्यो से मिलकर कोरोना पीड़ित लोगों को बचाने के उद्देश्य से जिला के ऑनलाइन योग नियमित योग क्लास चलाया जा रहा है। जिसका 6 माह पूर्ण हो चुका हैं।इसमे जिले के असंख्य साधक जूड़कर लाभ प्राप्त कर चुके है।इस संस्था में वे सोशल मीडिया का कार्य देख रहे है। बालोद जिले का कार्य देखकर राज्य स्तर के प्रभारी प्रशंसा करने लगे हैं ।