कंगना पर कार्रवाई की मांग की कांग्रेसियों ने, उठाया सवाल- क्या चमचागिरी कर पाई पद्मश्री अवार्ड, जो बता रही 1947 की आजादी को भीख
कंगना राणावत के ऊपर उच्चतम न्यायालय को संज्ञान लेना चाहिए, देशद्रोह का मामला दर्ज हो-चंद्रप्रभा
बालोद।1947 में मिली आजादी को भीख और 2014 को आजादी मिली बताने वाली फिल्म अभिनेत्री कंगना राणावत के ऊपर उच्चतम न्यायालय को संज्ञान लेना चाहिए और देशद्रोह का मामला दर्ज होना चाहिए क्योंकि आज की परिस्थिति में गोडसे का गुणगान करने वाले लोगों से किसी प्रकार की कार्यवाही की उम्मीद करना मुश्किल है। आज मोदी सरकार में राष्ट्रीय पुरस्कारों का महत्व कम होते जा रहा है। जिसका परिणाम है कि कंगना राणावत जैसे पुरस्कार पाने के लिए चाटुकारिता करने लगे हैं और चाटुकारिता की पराकाष्ठा भी पार होने लगी है और 2014 को आजादी मिली है बता रही है। क्या 1947 को मिली आजादी कंगना राणावत के लिए आजादी नहीं है तो फिर एक तरह से महात्मा गांधी पंडित जवाहरलाल नेहरू सुभाष चंद्र बोस सरदार वल्लभ भाई पटेल भगत सिंह राजगुरु सुखदेव चंद्रशेखर आजाद सहित हजारों लाखों लोगों की कुर्बानी बेकार है। 1947 में मिली आजादी के बाद देश के महान शिक्षाविद डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर और उनकी पूरी टीम के द्वारा संविधान लिखा गया और लागू सन 1950 में किया गया। जिसके चलते आज हमारा देश सविधान के तहत चल रहा है और विश्व का अनूठा संविधान मानते हैं। जिसके ऊपर कंगना राणावत ने मिली हुई 1947 की आजादी को भीख बता रही है तो फिर उनके लिए देश का संविधान भी कुछ नहीं है। क्योंकि वह 2014 को देश की आजादी बता रही है। इस कारण से ऐसा लगता है की कंगना राणावत भारतीय जनता पार्टी को खुश करने के लिए और चमचागिरी करके पद्मश्री पुरस्कार पा लेने के बाद कुछ ज्यादा ही गोडसे वादी हो रही है। जोकि भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रवादी नीति के खिलाफ है। इसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी के लोग शांत बैठे हुए हैं। आज कंगना राणावत के बयान से देश के लाखों लोगों का मन दुख से भरा हुआ है और यदि इस तरह से बयान बाजी होती रही तो देश के लिए नुकसान है और कताई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उनके बयान को आधार मानकर उच्चतम न्यायालय को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। जिससे देश के लोगों में विश्वास जगे। उक्त विचार व्यक्त करते हुए जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्रीमती चंद्र प्रभा सुधाकर ने आगे कहा कि यदि केंद्र की सरकार उनके बयान को अनदेखी करती है तो यही समझा जाएगा कि मोदी सरकार द्वारा कंगना राणावत के बयान पर मौन सहमति दी जा रही है। इस तरह के विचार व्यक्त करने वाले व कंगना पर कार्रवाई की मांग करने वालों में श्रीमती सुधाकर के अलावा जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री रतिराम कोसमा शंभू साहू धीरज उपाध्याय क्रांति भूषण साहू विकास चोपड़ा काशी निषाद संगीता नायर रामजतन भरद्वाज ईश्वर राव हस्तीमल सांखला गोपाल प्रजापति अनिल सुथार गुलाब जैन दुर्गा ठाकुर संजीव चौधरी कोदूराम दिल्ली वार सुनील गोलछा जागृत सोनकर इंद्रमण देशमुख जीवन कश्यप केशव शर्मा चंद्रहास देवांगन संतु पटेल चुकेश्वर साहू भूपेंद्र साहू दुष्यंत अमृत इंद्र कुमार भूपेंद्र चंद्राकर प्रकाश नाहटा भोज राज साहू तामेश्वर देशमुख केके राजू चंद्राकर संजय साहू युगांत चंद्राकर मानसिंह देशलहरा नीलकंठ टंडन संजय बारले सलीम खान पार्षद रिजवान तिगाला फैज बख्श बलराम अंगारे नारायण साहू नौशाद कुरेशी पीमन साहू नरेंद्र सिन्हा तामेश्वर साहू बसंत सोनबोइर ताम्रध्वज यादव सादिक अली सुमितराजा राजपूत अशोक बाम्बेश्वर कोमेश कौमार्य लता कोर्राम चिदाकाशआर्य छबीला सिन्हा भोलाराम देशमुख रेवा रावटे चंद्रेश हिरवानी अनिल यादव विपिन दीवान संजय चंद्राकर दाऊद खान रोहित सागर प्रेमचंद क्षीर सागर संजय सोनबोइर देवेंद्र साहू अभिषेक यादव हसीना बेगम चमेली साहू पद्मिनी साहू जेबा कुरैशी अनीता साहू धनेश्वरी सिन्हा ललिता साहूऋषि बांडे दिनेश साहू वागीश बंजारे राजेश चौबे संदीप चंद्राकर ख़िलानंद ठाकुर पुष्पा कौमार्य रहमान बेग अफजल अली प्रेमा देवांगन तीरथ साहूप्रमुख रूप से शामिल हैं।