गौठान भ्रमण पश्चात सीड बाल निर्माण कर किया नवाचार

बालोद। टुमन लाल सिन्हा प्रभारी प्रधानपाठक शासकीय प्राथमिक शाला ककरेल के द्वारा बच्चों की गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान हेतु सीड बॉल निर्माण प्रशिक्षण देकर नवाचार का प्रदर्शन किया गया ।छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बच्चों को, सर्वांगीण विकास के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनाने वाली शिक्षा का प्रबंध किया जा रहा है। गांधीजी के आधारभूत सपनों को पूरा करने के लिए बच्चों को तैयार करने, उनके आदर्शों एवं सिद्धांतों से बच्चों को अवगत कराने हेतु कक्षा पांचवी से बारहवीं तक के शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में इन महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल किए जाने की दिशा में कार्य प्रारंभ किया जा रहा है । इसी कड़ी में शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला ककरेल के कक्षा पांचवी से आठवीं के लिए ग्राम भ्रमण का आयोजन किया गया । इस भ्रमण के आयोजन में बच्चों को गांधीजी के आदर्शों एवं सिद्धांतों से सोहन लाल जैन प्रधानपठक के द्वारा बच्चों को अवगत कराया गया । जिसमें बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनाने हेतु जागरूकता लाई गई । नरवा, गरुवा, घुरुवा, बाड़ी योजना के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी गई । जल संरक्षण और मृदा संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर व्यवहारिक जानकारी देते हुए टुमन लाल सिन्हा प्रभारी प्रधानपाठक शासकीय प्राथमिक शाला ककरेल ने सीड बॉल निर्माण का नवाचार का प्रदर्शन किया ।

उन्होंने सीड बॉल का निर्माण कर इसके उपयोग व इसके लाभ के बारे में बच्चों व ग्रामीण जनता को विस्तार से बताया। बच्चों के द्वारा बनाये गए सीड बॉल को निःशुल्क वितरण हेतु गौठान प्रबंधक को सौपा गया। जल संरक्षण ,मृदा संरक्षण और वृक्षारोपण में विभिन्न तरह के प्रयोग और नवाचार हो रहे हैं। इसी कड़ी में सीड-बॉल जैसी तकनीक भी काम में ली जाने लगी है। जमीन खोदकर पौधा रोपन करने के स्थान पर दूर से सीड बॉल को फेंक पर भी बीज डाले जा सकते हैं। अमेरिका में इस तकनीक का इस्तेमाल हुआ है और बड़े पैमाने पर वनों, खूबसूरत फूलों वाले पौधों को लगाने के लिए इस तकनीक को काम में लिया जा रहा है। बारिश के मौसम से ठीक पहले डालने से ये सीड बॉल मिट्‌टी के साथ घुल मिल जाते हैं और इसमें अंकुरण होने लगता है। कुछ समय बाद ये पौध या वृक्ष का रूप भी ले लेते हैं।

कैसे तैयार करते हैं सीड बॉल

सीड बॉल तैयार करने के लिए काली और चिकनी मिट्टी को काम में लिया जा सकता है। कंपोस्ट खाद को इसमें मिलाया जाता है। इसके बाद पोषक तत्वों के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं होगी। इसमें जरूरत के हिसाब से एक या अधिक बीज डालकर इसे लड्‌डू की तरह गोल बनाकर छाया में सूखने के लिए रखते हैं। सूखने पर ये सीड बॉल बन जाती हैं।

वन की हरियाली के लिए उपयोगी

आज जहां जंगलों की रोज कटाई हो रही है । वृक्षों की कमी हो रही है । जंगल को बचाने के लिए यह तकनीक बहुत उपयोगी साबित होगी । साथ ही साथ हमारे आसपास ऑक्सीजन बढ़ाने के लिए वृक्षों का रोपण करने के लिए यह तकनीक बहुत कारगर साबित होगी।

बच्चों ने ग्राम भ्रमण का खुब आनंद लिया व सीड बॉल निर्माण कर पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित की । ग्राम भ्रमण कर विभिन्न व्यवसायों एवं शासकीय योजनाओं की जानकारी , शासकीय प्राथमिक शाला ककरेल के सहायक शिक्षक भिखम सिंह यादव तथा शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला ककरेल के शिक्षक ओम प्रकाश सोयाम तथा सुमरित ठाकुर द्वारा दी गई । इस ग्राम भ्रमण कार्यक्रम का अवलोकन कर रहे संकुल समन्वयक पथराटोला जैलेन्द्र रामटेके ने सीड बॉल निर्माण की उपयोगिता व महत्व को समझते हुए सभी संस्थाओं में अनिवार्य गतिविधि में शामिल करने का निर्णय लिया गया ।

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