उपलब्धि – बालोद की प्रतिभा त्रिपाठी की सफलता की कहानी व शैक्षणिक गतिविधियों को स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षा के गोठ में किया शामिल

बालोद। प्रतिभा त्रिपाठी शिक्षिका शा. पूर्व मा. शा. गोडेला गुन्डरदेही संकुल- देवरी द की बालोद की सफलता की कहानी को स्कूल शिक्षा विभाग ने अपने शिक्षा के गोठ ऑनलाइन पुस्तिका में शामिल किया है। ताकि उनके काम से दूसरे शिक्षक भी प्रेरित हो। इस कहानी में उनके संघर्ष को बतलाया गया है। वर्तमान में जब पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है | इस समय शिक्षको के लिए सबसे बड़ी चुनौती अगर कुछ है तो वह है, “बच्चों को सिखा पाना और उनकी दक्षता को पूर्ण कराना जिसमें उन्होंने अपना सतत् प्रयास जारी रखा।

शासन से प्राप्त अभ्यास पुस्तिका से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में सहभागिता:-

शासन से कक्षावार अंग्रेजी अभ्यास पुस्तिका प्राप्त हुआ | उसे मोहल्ला पढ़ाई के दौरान व व्हाट्सअप ग्रुप के माध्यम से बच्चों को अंग्रेजी अभ्यास पुस्तिकाओं के उपयोग व लाभ हुआ। साथ ही वेबेक्स मीटिंग में व्हाइट बोर्ड की सहायता से भी लिखना सिखाया जा रहा हैं।

“अंगना म शिक्षा-
इस कार्यक्रम के अंतर्गत संभाग स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने विकासखंड में नोडल के रूप में भी काम करते हुए अपने संकुल के अतिरिक्त ब्लॉक के अन्य संकुलों, अंतर संकुल व विकासखण्ड स्तरीय “अंगना म शिक्षा” का आयोजन कर 3 से 6 वर्ष के बच्चों के माताओ का उन्मुखीकरण करने हेतु उनके द्वारा विशेष प्रयास किया जा रहा है।

पढई तुंहर दुआर में सहभागिता :-

ऑनलाइन क्लास :- इस ऑनलाईन क्लास में बच्चों को कबाड़ से जुगाड़, शिक्षण सहायक सामग्री से अध्यापन कार्य कराया गया, साथ ही विभिन्न प्रकार की ऑनलाइन प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिससे बच्चों का रूचि बनी रहे |

ऑफलाइन /मोहल्ला कक्षा :- कोरोना संक्रमण के कम होने पर मोहल्ला कक्षा का संचालन नियमित रूप से किया गया, जिसमें कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कक्षा संचालित किया गया | मोहल्ला क्लास में वाचन, सुंदर लिखावट व श्रुति लेख पर विशेष ध्यान दिया जाता था | साथ ही प्रोजेक्ट फाइल/हरबेरियम फाइल का निर्माण कराया गया | मोहल्ला कक्षा में बच्चों को प्रोत्साहन स्वरूप इनाम

आँगमेंटेड रियालिटी :

इसमें बच्चों को विभिन्न विषयवस्तु की चित्रों को मोबाइल के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से दिखाकर मूर्त रूप से अध्यापन कराया गया।

बुल्टु के बोल :- कोरोना काल मे शिक्षा हेतु ऐसे बच्चे जिसके पास एंड्रॉयड मोबाइल नही था, उन्हें ऑडियो क्लिप भेजकर शिक्षा दिया गया।

मिस्डकॉल गुरुजी :- पढ़ई तुंहर दुआर के अंतर्गत इस तकनीक से भी बच्चों को अध्यापन कराया,सोशल मीडिया के माध्यम से बच्चों के विषयगत समस्याओं का फ़ोन से निवारण किया गया |

टीएलएम निर्माण :- विभिन्न टीएलएम का निर्माण किया गया है जैसे तुकांत शब्द, खाद्य श्रृंखला, स्वचालित हैंड सेनेटाइजर मशीन, तत्व और प्रतीकों का मिलान बज़र सिस्टम, धातु और अधातु पहचान, चलित टीएलएम आदि और भी अनेकों टीएलएम व एनिमेशन फिल्म निर्माण भी किया गया है। .

हर गांव-प्रिंटरिच गांव :– इस योजना में गांव के पारा-मोहल्ला चौक-चौराहे में प्रिंटरिच निर्माण स्वयं द्वारा किया गया, जिसमें अंग्रेजी वर्णमाला, दिनों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में, ग्रहों के नाम और पहेलियों को गांव के दीवारों पर उकेरा गया है |

आमा राइट प्रोजेक्ट-
इस प्रोजेक्ट में उनके द्वारा सर्वप्रथम बच्चों को प्रोजेक्ट घर घर बांटकर उसको समझाकर रचनात्मक तरीके व कुछ प्रारूप बनाकर सभी बच्चों को उसकी महत्ता बताते हुए आमा राइट प्रोजेक्ट पूरा कराया गया।

अन्य प्रेरणादायक गतिविधियां :- स्कूल के भूतपूर्व विद्यार्थी जो किसी भी सरकारी या गैर सरकारी क्षेत्र में कुछ भी उपलब्धि प्राप्त हो वर्षों से “ग्राम गौरव सम्मान” से सम्मानित किया जाता है | जनसहयोग प्राप्त कर शाला में विज्ञान प्रयोगशाला निर्माण करने में सफलता प्राप्त किया गया।

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