एक सम्मान ये भी- पंचायतों में मन रहा विधवा सप्ताह, जानिए कैसे हुई विधवा दिवस की शुरुआत
सरकार मना रही अंतरराष्ट्रीय विधवा सप्ताह दिवस, पंचायतों में हो रहा गांव की विधाओं का सम्मान
बालोद/गुरुर।
भारत का अमृत महोत्सव समारोह के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय विधवा सप्ताह दिवस पहली बार 21 से 27 जून तक मनाया जा रहा है। जिले के सभी जनपद पंचायत क्षेत्र में समाज कल्याण विभाग के जरिए यह आयोजन हो रहा है। जिसकी जिम्मेदारी जनपद प्रशासन को भी मिली है। इसके अंतर्गत सभी पंचायतों में जहां भी विधवा महिलाएं निवासरत हैं उन्हें आमंत्रित कर पंचायतों में सम्मानित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन धारियों को खासतौर से श्रीफल देकर सम्मानित किया जा रहा है। जोकि अपने पति की मौत के बाद अकेले जीवन गुजार रहे हैं। इस क्रम में ग्रामपंचायत दुबचेरा में भी विधवा सप्ताह दिवस मनाया गया। जिसमें जनपद सभापति एस कुमार कलिहारी, सरपंच गेंदलाल सोनबोइर, पंचायत निरीक्षक सुरेश ठाकुर व अन्य पंच शामिल हुए।
हर किसी के अपनी शादी को लेकर और शादी के बाद वाले जीवन को प्यार से बिताने के अपने सपने होते हैं। लेकिन ये सपने सभी के पूरे हो जाएं, ऐसा जरूरी नहीं क्योंकि कई लोगों के साथ देखा जाता है कि शादी के बाद किसी बीमारी या किसी अन्य वजह से उनका पार्टनर इस दुनिया को अलविदा कह देता है। ऐसे में जब किसी महिला के पति का निधन हो जाता है, तो उसके हाथ दुख और निराशा लगती है। जो सपने महिला ने शादी से पहले अपनी आने वाली जिंदगी के लिए देखे होते हैं, वो सब टूट जाते हैं। यही नहीं, आज भी हमारा समाज विधावाओं को उस नजर से नहीं देखता है, जिसकी वो असल में हकदार हैं। ऐसे में इस समाज की जिम्मेदारी बनती है कि विधवाओं को भी बाकी लोगों की तरह दर्जा मिले। ऐसे में इन्हीं महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए हर साल 23 जून को अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस मनाया जाता है।
ऐसे हुई शुरुआत विधवा दिवस की
दरअसल में सभी उम्र, क्षेत्र और संस्कृति की विधावाओं की स्थिति को विशेष पहचान दिलाने के लिए 23 जून 2011 को पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस मनाने की घोषणा की, और तब से हर साल इस दिन को 23 जून को मनाया जाता है। ब्रिटेन की लूंबा फाउंडेशन पूरे विश्व की विधवा महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर विगत कई सालों से संयुक्त राष्ट्र संघ में अभियान चला रही है।
अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस के दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य ये है कि पूरी दुनिया में विधवा महिलाओं की स्थिति में सुधार हो सके, ताकि वे भी बाकी लोगों की तरह समान्य जीवन जी सके और बराबरी का अधिकार प्राप्त कर सके। ऐसा इसलिए है क्योंकि भले ही हम कितनी भी तरक्की कर चुके हों, लेकिन विधवा को आज भी बराबरी की नजर से नहीं देखा जाता है।
वहीं, बात अगर भारत की करें, तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग चार करोड़ से ज्यादा विधवा महिलाएं भारत में हैं। ऐसे में इन महिलाओं को जरूरत है मदद की, बराबरी की आदि। आज भी विधवा महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित हैं, लेकिन ये बात किसी को नहीं भूलनी चाहिए कि विधवा महिलाएं भी हमारे ही समाज और देश का हिस्सा हैं। इसलिए हर किसी को इनका सम्मान करना चाहिए।