अस्थायी तौर पर अर्जुन्दा के प्राथमिक शाला भवन में चलेगा उद्यानिकी कॉलेज, स्थायी भवन बनेगा भालुकोन्हा में, देखिये अब तक का सफर
बालोद। इस आने वाले नए सत्र से छत्तीसगढ़ के तीसरे सरकारी उद्यानिकी कॉलेज के रूप में बालोद जिले के अर्जुंदा में संचालन शुरू हो जाएगा। फिलहाल भवन नहीं बना है तब तक अर्जुंदा के प्राथमिक शाला भवन में अस्थाई रूप से संचालन होगा। जिसकी तैयारी चल रही है। तो वही स्थाई भवन भालू कोन्हा में बनेगा। शासकीय उद्यानिकी महाविद्यालय अर्जुन्दा के अस्थायी रूप से संचालन के लिए डॉ. अजय वर्मा ओएसडी उद्यानिकी, डॉ.जितेन्द्र सिंह अधिष्ठाता, के.आर.साहू वरिष्ठ वैज्ञानिक कृषि विकास केन्द्र बालोद एवं विभागीय अधिकारियों के साथ संसदीय सचिव एवं विधायक गुण्डरदेही कुंवर सिंह निषाद ने बाजार चौक, अर्जुन्दा स्थित प्राथमिक शाला भवन का निरीक्षण किया। उक्त प्राथमिक शाला भवन में अस्थाई रूप से कक्षाओं का संचालन किया जाएगा। इस दौरान महाविद्यालय भवन निर्माण हेतु प्रस्तावित ग्राम-भालूकोन्हा, डुड़िया एवं मटिया (अ) पहुंच कर चयनित जगहों का निरीक्षण किये। इसके साथ ही भवन निर्माण एवं अन्य कार्यों को गति देने के लिए विचार-विमर्श किये। इस अवसर पर चंद्रहास देवांगन अध्यक्ष नगर पंचायत अर्जुन्दा, जसवंत देवांगन, डॉ जितेंद्र कामड़े, डॉ राजेन्द्र पाटिल, पूनम साहू सचिव, तामेश्वर देशमुख महामंत्री, प्रेमा देवांगन, यशवंत देशमुख सकरौद उपस्थित रहे।
मिलेगा 12 वी के बाद बच्चों को फायदा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसकी घोषणा की थी। यह बालोद जिले के लिए एक अच्छी और नई सौगात है। क्योंकि यहां उद्यानिकी के क्षेत्र में भी अब बेहतर विकास हो सकेगा। 12वीं के बाद अब कॉलेज के बच्चों को उद्यानिकी कॉलेज का लाभ मिलेगा जो बच्चे उद्यानकी के क्षेत्र में रुचि रखते हैं। वह यहां दाखिला ले सकेंगे। इससे पूरे जिले भर के छात्र-छात्राओं को लाभ होगा। दूरदराज से जो बच्चे बड़े शहरों में उद्यानिकी कॉलेज में पढ़ाई करने के लिए जाते हैं वे अब इसी अर्जुंदा कॉलेज में दाखिला ले सकेंगे। इससे लोगों में पर्यावरण के प्रति भी एक अच्छी भावना बढ़ेगी।
पर्यावरण प्रेमियों ने भी जताया सरकार के प्रति आभार
पर्यावरण प्रेमी भोज साहू ग्रीन कमांडो वीरेंद्र सिंह ने कहा कि यह जिले के लिए खास उपलब्धि है जो हमेशा यादगार रहेगा। उद्यानकी कॉलेज से अब पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। लोग उद्यानकी के चीजों से जुड़ेंगे और जिससे कई युवा अनजान हैं। वह भी इसे अब बारीकी से समझेंगे और उनकी के क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकेंगे इससे लोगों में भी पर्यावरण के प्रति जागरूकता आएगी
गुंडरदेही विधायक ने किया था प्रयास
क्षेत्र के विधायक व अर्जुंदा निवासी कुंवर निषाद ने अर्जुंदा में उद्यानकी कालेज खुलवाने के लिए अथक प्रयास किया था। उनके ही प्रयास पर मुख्यमंत्री ने यह पहल की है पूर्व में जब मुख्यमंत्री अर्जुंदा में प्रवेश उत्सव कार्यक्रम में आए थे तो इस दौरान विधायक ने उन्हें यह मांग पत्र भी सौंपा था। उस समय भी मुख्यमंत्री ने इसके लिए प्रयास करने का आश्वासन दिया था और जिसे फिर बजट में इसे शामिल करके अपनी घोषणा को मूर्त रूप देने का काम शुरू किया गया। बच्चों व युवाओं में इस कॉलेज के खुलने की उत्सुकता है। राजनांदगांव व जगदलपुर में सरकारी उद्यानिकी कॉलेज है। यह तीसरा सरकारी कॉलेज होगा। अर्जुन्दा तहसील के ग्राम भालूकोन्हा में उद्यानिकी कॉलेज खुलेगा। यहां स्टूडेंट्स की पढ़ाई के लिए सर्वसुविधायुक्त बिल्डिंग, रूम, हॉस्टल बनेंगे। वहीं एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स के रिसर्च के लिए मटिया व डुडिया में प्रायोगिक अनुसंधान केंद्र खुलेगा। जिसके लिए जमीन फाइनल होने के बाद सीमांकन हो चुका है।
संसदीय सचिव व गुंडरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद ने बताया कि ग्राम भालूकोन्हा, मटिया, डुडिया में जिले का पहला उद्यानिकी कॉलेज, शैक्षिक एवं प्रायोगिक अनुसंधान केंद्र खुलेगा। बिल्डिंग बनने तक अभी अस्थाई तौर पर अर्जुन्दा में सभी गतिविधियां संचालित होगी। पिछले सत्र में सीएम भूपेश बघेल ने उद्यानिकी कॉलेज का वर्चुअल शुभारंभ कर सौगात दी थी। जिले में ही एडमिशन लेकर स्टूडेंट्स यहीं पढ़ाई व रिसर्च करेंगे। फल, फूल की खेती को बढ़ावा देने किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
राजस्व विभाग के अफसरों को जमीन संबंधित कार्रवाई जो भी बाकी है, उसको पूरा करने के लिए कहा है ताकि राशि स्वीकृत होने के बाद निर्माण कार्य की शुरुआत हो सके। तीन स्थान ग्राम भालूकोन्हा में उद्यानिकी कॉलेज और मटिया व डुडिया में शैक्षिक एवं प्रायोगिक अनुसंधान केंद्र खोलने शासन ने हरी झंडी दे दी है। नए भवन बनने तक अर्जुन्दा बाजार चौक के पास बिल्डिंग में अस्थाई तौर पर कॉलेज संचालित होगी।
प्रयोगात्मक रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा
डुडिया व मटिया में शैक्षिक एवं प्रायोगिक अनुसंधान केंद्र बनने के बाद स्टूडेंट्स प्रयोगात्मक, प्रायोगिक, रिसर्च से संबंधित गतिविधि में शामिल होंगे। इससे उन्हें अनुभव मिलेगा। जिसका उपयोग वे नवाचार, दूसरों को प्रोत्साहित करने के लिए करेंगे। हर साल निर्धारित सीट में बढ़ोत्तरी होगी। एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स की संख्या बढ़कर 120 तक पहुंचेगी। पहले सत्र 24 स्टूडेंट्स का एडमिशन हुआ था। उद्यानिकी कॉलेज में फल, सब्जी को लेकर अध्ययन, शोध किया जाता है। हर साल प्रदेशभर के हजारों स्टूडेंट पीएटी प्रवेश परीक्षा में शामिल होकर उद्यानिकी कॉलेज में प्रवेश लेते है।
डीन का कहना- 100 एकड़ जमीन की जरूरत
उद्यानिकी कॉलेज के डीन डॉ. जितेंद्र सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक केआर साहू ने बताया कि उद्यानिकी कॉलेज के संचालन, अनुसंधान व अन्य गतिविधियों के लिए 100 एकड़ जमीन की जरूरत पड़ती है लेकिन यहां तीन स्थानों में मिले लगभग 60 एकड़ की जमीन भी वर्तमान हालात अनुसार पर्याप्त है। बिल्डिंग निर्माण के लिए राशि स्वीकृत कराने शासन को प्रपोजल भेजा गया है। कॉलेज में प्रवेश लेने वाले स्टूडेंट्स पढ़ाई के अलावा जिले में रिसर्च कर फल, फूल की खेती को बढ़ावा देने किसानों को प्रोत्साहित भी करेंगे।