हनुमान जयंती विशेष: पाटेश्वर धाम में तैयार हो रहा है कौशल्या माता का भव्य तीन मंजिला मंदिर, शिखर पर होगी महावीर हनुमान की पंचमुखी मूर्ति

तीसरे तल का निर्माण जारी,हनुमान जयंती पर होंगे विशेष आयोजन और पूजन

बालोद। डौंडीलोहारा ब्लॉक के घने जंगलों के बीच स्थित ग्राम जामड़ीपाट गांव के पाटेश्वर धाम में इन दिनों मां कौशल्या माता का मंदिर बन रहा है। जो छत्तीसगढ़ में अपने आप में अद्वितीय होगा। इस कौशल्या माता मंदिर के निर्माण के साथ इसके शिखर पर पंचमुखी हनुमान की मूर्ति की स्थापना की जाएगी। जिससे इस मंदिर की खासियत और बढ़ने वाली है। हनुमान जयंती पर हम यहां बन रहे मंदिर और यहां पहले से बन चुके मंदिर और उनके विशेषताओं से आपको परिचित करवा रहे हैं। पाटेश्वर धाम वनांचल क्षेत्र के आदिवासियों सहित दूसरे जिले और अन्य राज्यों तक के श्रद्धालुओं के लिए भी एक आस्था का संगम स्थल है। यहां पर समय-समय पर विविध आयोजन होते ही हैं। हनुमान जयंती पर भी यहां विशेष पूजा अर्चना का कार्यक्रम रखा गया है। पाटेश्वर धाम बालोद जिले के जामड़ी पाट गांव में स्थित है। इस धाम के निर्माणकर्ता है महाराज बालकदास | बाबा पाटेश्वर गांव के कुल देवता हैं , क्योंकि गांव के समूह को पाट कहा जाता है इसलिए इसका नाम पाटेश्वर धाम रखा गया। यह धाम अभी निर्माणाधीन है और प्रकृति की गोद में बसे इस धाम के दर्शन करने दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं। प्रतिदिन यहां लोगों द्वारा विशेष अवसरों पर भंडारे का आयोजन किया जाता है। यह धाम डौंडीलोहारा ब्लॉक मुख्यालय से 21 किमी दूर में है। यहां प्रदेश का 108 फीट मंदिर का निर्माण 29 जनवरी 2005 से चल रहा है। मंदिर में राजस्थान के बंशी पहाड़पुर के लाल रंग के पत्थर का उपयोग हो रहा है। संत रामबालक दास महात्यागी ने बताया कि मंदिर निर्माण कार्य में 25 करोड़ खर्च आएगी। प्रथम और द्वितीय तल का निर्माण पूर्ण होने के बाद तीसरे चरण का काम चल रहा है। मंदिर में पंचमुखी हनुमान की मूर्ति विराजित होगी।

मंदिर में 108 मूर्तियां लगाई जाएंगी

मंदिर के अंदर दिवारों में अष्टवस्तु, पंचकन्या, यक्षगंधर्व, सहित 108 हिंदू देवी-देवताओं के मूर्तियां देखने को मिलेंगी। अब तक प्रथम तल में 44 मूर्ति लगाई जा चुकी है। जिसमें सर्व समाज के अलावा देश के हिंदू धर्म गुरुओं की मूर्तियां हैं। मंदिर में अद्भुत यह होगा कि प्रवेश द्वार में 51 किलो की घंटी और अंदर अप्सरा हवा में लटकी हुई मिलेगी। यह किसी के सहारे पर नहीं टिकी होगी। बल्कि चुंबकत्व के सिद्धांत पर इसे हवा में लटकाया जाएगा।

विरोध के बाद पाटेश्वर धाम में जानवरों की बली प्रथा खत्म हो गई

1975 में मंदिर में 12 गांवों के लोगों द्वारा जानवरों की बली दी जाती थी। संत राजयोगी बाबा ने यहां बलि प्रथा बंद करवाई। कई विरोध के बाद उन्हें सफलता मिली। हिंदू धर्म की 108 देवी देवताओं की मूर्तियां जल्द यहां लोग देख सकेंगे। जिसमें सर्व समाज के अलावा देश के हिंदू धर्म गुरुओं की मूर्तियां स्थापित की जाएगी। मंदिर के प्रवेश द्वार में 51 किलो की घंटा और अंदर अप्सराएं बिना किसी के सहारे हवा में लटकी हुई रहेगी। चुंबक के सहारे ये हवा में लटका रहेगा।

ऐेसे पहुंच सकते हैं पाटेश्वर धाम

पाटेश्वर धाम दल्ली, राजनांदगांव व बालोद सड़क मार्ग से जाया जा सकता है। रायपुर से राजनांदगांव रेल सफर कर डौंडीलोहारा होते हुए भी पर्यटक पहुंच सकते हैं। राजनांदगांव व बालोद से हर 15 मिनट में डौंडीलोहारा के लिए बस चलती है। लोहारा से फिर अंबागढ़ चौकी मार्ग पर जाना होता है। जहां से माटरी चौक आने पर बांए साइड मुड़कर पाटेश्वर धाम पहुंचा जा सकता है।

तीसरे तल का निर्माण है चुनौतीपूर्ण

पाटेश्वर धाम के प्रमुख संत बालक दास ने बताया कि तीसरे तल का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। जो कि जमीन से लगभग 55 फीट की ऊंचाई पर से शुरू हुआ है। यहां से पूरे आश्रम और जंगल का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है। आश्रम को भी धीरे-धीरे बदला जा रहा है। यज्ञशाला का निर्माण हो गया है। साथ ही तीसरे तल के स्तंभ का पूजन हुआ है। जहां गर्भ गृह और शिखर का निर्माण किया जा रहा है। जो बहुत ही बड़ा कार्य है। करीब 53 फीट शिखर बनना है। जो की मुख्य द्वार से आकर्षक दिखेगा। क्रेन और मशीनों सहित बाहर से आए कारीगरों और मजदूरों के जरिए मंदिर निर्माण जारी है। माता कौशल्या धाम का निर्माण पूरा होने पर छत्तीसगढ़ में यह एक विशेष पहचान बनाएगा। सबसे शिखर पर पंचमुखी हनुमान की मूर्ति विराजित की जाएगी।

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