November 21, 2024

शिक्षक दिवस पर शिक्षिका पुष्पा चौधरी की जुबानी: उनकी चुनौतियां और सफलता की कहानी

बालोद। शिक्षक दिवस पर श्रीमती पुष्पा चौधरी शिक्षक एलबी शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला मटिया, संकुल-अर्जुदा, विकासखंड-गुंडरदेही, जिला-बालोद छत्तीसगढ़ ने हमारे जरिए अपने स्कूल जीवन के चुनौतियां और सफलता के बारे में बातें साझा की। जो दूसरे शिक्षकों के लिए भी प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने बताया की मैं अपने जीवन के उस पल से रूबरू कराना चाहती हूं जब मैंने अपना शिक्षकीय जीवन का शुभारंभ किया। मेरे शिक्षकीय जीवन का आरंभ एक ऐसे स्थान पर हुआ सन 1995 जिन्हें शिक्षाकर्मी के नाम से जाना जाता था। उस समय मेरा शिक्षकीय जीवन का प्रारंभ हुआ। एक स्थान में पदस्थापना हुआ जहां ना आने जाने की सुविधा और ना ही लाइट की सुविधा थी। मात्र 50 ही घर बसे हुए थे। उस गांव में ग्राम का नाम है कंजेली और स्कूल का नाम है शासकीय प्राथमिक शाला कंजेली । ग्राम कंजेली ऐसे बीहड़ इलाके में बसा हुआ था जो मुख्य मार्ग से लगभग 30 किलोमीटर अंदर बसा हुआ था। मुझे वहां बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा बहुत चुनौती भरा समय था। वहां का वातावरण में अपने आप को ढाल पाना बहुत ही मुश्किल हो रहा था। मगर मैंने अपने माता पिता के मार्गदर्शन और भाई बहनों के सहयोग से उस चुनौती भरे माहौल का सामना करते हुए 3 वर्ष तक की सेवा दी। मैंने वहां 1 बच्चे जो कि धूम्रपान की लत से ग्रसित था उसको मैंने समझा कर प्रेरित कर उसके जीवन को सुधारने का कार्य किए। जो मेरे लिए महत्वपूर्ण था । मैंने एक महिला जो परित्यक्ता थी जिन्हें उसके पति के द्वारा प्रताड़ित करके छोड़ दिया था उसको मैंने मार्गदर्शन देकर और महिला सशक्तिकरण के माध्यम से उनके जीवनशैली में सुधार करके उनको आर्थिक सहायता एवं काम दिला कर जीवन शैली को सुधारने का कार्य किया । इस प्रकार मैंने ग्राम कंजेली में अपना चुनौती भरा शिक्षकीय जीवन का सामना करते हुए आगे बढ़ती गई तत्पश्चात मेरी पोस्टिंग सन 1998 में ग्राम-घोटिया शासकीय कन्या प्राथमिक शाला घोटिया में हुआ जो कि बहुत अच्छा स्थान था। यह मेरे शिक्षकीय जीवन का दूसरा पड़ाव था । जहां मैंने अपना नवाचारी गतिविधियों और शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के शिक्षा को बेहतर और सर्वांगीण विकास का कार्य को बढ़ावा दिया एवं मैंने किशोरी बालिका शिक्षा एवं सशक्तिकरण पर प्रशिक्षण का आयोजन कर किशोरी बालिकाओं को स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाने हेतु ट्रेनिंग दिया गया। मेरे द्वारा ऐसे बहुत सी लड़कियां जो आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनकर आज अपने जीवन को बिता रहे हैं साथ आज भी मुझे याद करते हैं । मैंने खेलकूद सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं शैक्षिक गतिविधियों के आधार पर बाल मेला का आयोजन किया
जिसमें बच्चों की सहभागिता सुनिश्चित कर एवं बच्चे द्वारा प्रेरित होकर कार्य किया गया बाल मेला में मेरे द्वारा बनाए गए एवं बच्चों के द्वारा निर्माण किया गया । टी एल एम को प्रथम स्थान प्राप्त दिया जाता था। इस प्रकार से मुझे सफलता प्राप्त होती गई । तत्पश्चात 2006 में मेरी पदोन्नति विकासखंड गुंडरदेही के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला मटिया (अ) गांव में हुआ। यहां भी शिक्षकीय गतिविधियों एवं शैक्षणिक कार्य में परेशानियों का सामना करना पड़ा। मात्र 3 शिक्षक ही नियुक्त हुए ।दो-तीन साल तक शिक्षा के कार्य में परेशानियों का सामना करना पड़ा और यह भी इस चुनौती को स्वीकार करते हुए हम आगे बढ़े और बच्चों के सर्वांगीण विकास खेलकूद सांस्कृतिक कार्यक्रम बागवानी और स्वच्छता सभी कार्यक्रमों का संचालन हम तीनों शिक्षक मिलकर सहभागिता पूर्ण तरीके से कार्य को संपन्न किया और आगे बढ़े । मटिया (अ) में रहकर मैंने वहां के तीन बच्चों को आर्थिक सहायता प्रदान कर कक्षा नौवीं से बारहवीं तक का अध्यापन की जिम्मेदारी उठाया एवं मैंने निशुल्क बालिका हेतु सेनेटरी पैड की व्यवस्था की एवं बालिका शिक्षा बालिका स्वास्थ्य पर एवं अधिकारों एवं सशक्तिकरण पर निरंतर कार्य करते आ रहे हैं। यहां की महिलाएं मुझे अपना मार्गदर्शक
के रूप में सम्मानित करते हैं जो मेरे जीवन का खास पल है। मैंने दिव्यांग बच्चों को शैक्षणिक शामिल करने एवं उनके उपस्थिति दर को बढ़ाने एवं छात्राओं के साथ सामुदायिक सहभागिता के साथ मिलकर रैली आयोजन किया एवं जागरूकता अभियान चलाया जिससे मुझे अपार सफलता प्राप्त प्राप्त हुई । मैं स्व सहायता समूह एवं महिला समूहों को प्रेरित करने एवं उनको आगे बढ़ने स्वावलंबी बनाने गांवों में जाकर स्वच्छता अभियान एवं जागरूकता अभियान के तहत लोगों को समझाने एवं जागरुक करने का कार्य किया इस प्रकार से इन सभी कार्यों से मुझे बहुत ही संतुष्टि प्राप्त होती है और अच्छा लगता है। मैंने शिक्षक कला एवं साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ से जुड़कर अपनी कलाकृतियों का भी प्रदर्शन किया है जिसमें बच्चे भी गए हैं । मुझे बागवानी पेंटिंग चित्रकारी मिट्टी की कलाकृति वेस्ट पेपर से फूल बनाने में रुचि है और मैं शिक्षकीय जीवन में आगे बच्चों को अपनी कला को सिखाने की इच्छुक हूं एवं सिखाने का कार्य निरंतर जारी है। कोरोना काल 2020 में मैने सामाजिक सुरक्षा के तहत लोगो की सुरक्षा के लिए कोरोना से बचाव के लिए कार्य किया जिसमे मैंने अब तक 1000 हजार से अधिक मास्क बनाकर निः शुल्क वितरण किया है और जब तक कोरोना का खतरा रहेगा मेरा संकल्प है मैं मास्क बनाकर जरूरतमंद लोगों को नि शुल्क वितरण करती रहूंगी।

इस तरह की पहल भी करती हैं पुष्पा

शिक्षिका पुष्पा चौधरी बच्चों को नवाचारी गतिविधियों से शिक्षित करने के साथ छत्तीसगढ़ी वेशभूषा और संस्कृति के संरक्षण का भी प्रयास कर रही है। उसके अलावा विविध गतिविधियों के जरिए पढ़ाई को रोचक बनाती है। बच्चों के बीच छत्तीसगढ़ी वेशभूषा को बढ़ावा देने उन्होंने अनोखी पहल शुरू की गई। आधुनिकता में विलुप्त हो रहे छत्तीसगढ़ी श्रृंगार और वेशभूषा को प्राथमिकता दी जा रही है। वह स्वयं भी विशेष दिनों में स्कूल में छत्तीसगढ़ी आभूषण और वेशभूषा पहनकर आती हैं। बच्चों को इसी तरह के वेशभूषा में आने प्रोत्साहित किया जाता है। प्रत्येक शनिवार को बैग लेस डे के अंतर्गत बच्चों को नए-नए विषयों पर शिक्षा दी जाती है। शिक्षा के साथ बच्चों को आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति, पूर्वजों एवं महापुरुषों के किरदारों से जोड़कर उनके जीवन के बारे में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर दिया जाता है।<इसके अलावा अंगना म शिक्षा को लेकर बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें 2021 से जिला नोडल अधिकारी बनाया गया है। जिसका दायित्व वे अब तक बखूबी निभा रहीं है। जिसके तहत प्राथमिक स्तर के छोटे कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के माताओं को उन्मुखीकरण गतिविधियों को करवाने के लिए जिलेभर की जिम्मेदारी दी गई है। पुरस्कार में जो राशि प्राप्त होती है उसे वह स्कूल के बच्चों के विकास में लगाती है। जैसे स्कूल बच्चों के की सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े छत्तीसगढ़ी संवागा खरीदने में खर्च की। उनका मानना है कि ये शुरुआत है । इस पहल के आगे और अच्छे परिणाम आएंगे। सामाजिक सेवा में सहभागिता में कुरीतियों को दूर करने, महिलाओं के उत्थान, उन्हे आत्म निर्भर बनाने किस तरह से आगे ला सकते हैं, कार्य कुशलता के विकास के लिए क्या कर सकती हैं? इस पर महिला सशक्तिकरण के लिए प्रेरित करने का कार्य करती है। कोरोना काल में भी उनकी शिक्षा और समाज सेवा के प्रयास अनूठे रहे हैं। उनके घर में छत की क्लास यानी छत पर ही स्कूल संचालित होता था। जोकि पूरे छत्तीसगढ़ में एक मॉडल के रूप में जाना गया। साथ ही स्वयं से ही घर पर मास्क सिलकर हजारों जरूरतमंद को वितरित किया। जिसके चलते उन्हें कोरोना वारियर सम्मान मिला। इसके अलावा वे मिट्टी के खिलौनों के जरिए भी शिक्षा में नवाचार करते रहते हैं। जिसके चलते बच्चों के बीच चहेते शिक्षिका के रूप में भी अपनी पहचान बना चुके हैं। कई बच्चे आपको अपने जीवन का एक बेहतरीन प्रेरणास्रोत मानते हैं। खिलौना आधारित शिक्षा के तहत उन्हें क्राफ्ट आर्ट में विशेष दक्षता प्राप्त है। जिससे वह बच्चों की पढ़ाई को रोचक बनाती हैं। उन्हे छत्तीसगढ़ प्रदेश उद्घोषक संघ द्वारा महिला प्रकोष्ठ के जिला उपाध्यक्ष, बालोद के पद पर भी नियुक्त किया गया है। उक्त संघ, कला, संस्कृति एवं समाज सेवा हेतु समर्पित है। इसके अलावा विभिन्न संगठनों व विभाग के द्वारा भी उन्हे सम्मान प्राप्त हो चुका है। शिक्षा विभाग द्वारा संचालित पढ़ाई तुहर दुआर पोर्टल में आपका चयन हमारे नायक के रूप में हो चुका है। मिट्टी के खिलौनों और विभिन्न प्रकार की अनुपयोगी सामग्री की मदद से शिक्षण को मजेदार और मनोरंजक बनाती हैं। बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ योगा में भी विशेष रूचि है। कोरोना काल के दौरान डिजिटल तरीके से बच्चों को पढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई और ऑनलाइन कक्षा चलती रही।

ये सम्मान हो चुके उन्हे प्राप्त

हाल ही में उन्हे छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ अधिकारी कर्मचारी सम्मेलन और सम्मान समारोह कर्मचारी प्रकोष्ठ के आयोजन में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अरुण साव के कर कमरों से समाज गौरव सम्मान भी प्राप्त हुआ है। इसके पहले उन्हें उत्कृष्ट शिक्षा सम्मान, मुख्यमंत्री शिक्षा अलंकरण योजना 2021 के तहत स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा ज्ञानदीप पुरस्कार, 2021-22 में पढ़ाई तुंहर द्वार 2.0 अंतर्गत कोरोना महामारी के दौरान सतत विद्यार्थियों की पढ़ाई में सक्रिय सहभागिता हेतु कार्यालय जिला परियोजना समग्र शिक्षा वालों द्वारा सम्मान, डेली बालोद न्यूज से अध्यापक अलंकरण 2022, लोक असर सम्मान, एक भारत श्रेष्ठ भारत सम्मान, नवाचारी शिक्षा सम्मान, सामाजिक कार्यकर्ता सम्मान,महिला शक्ति नारी शक्ति सुषमा स्वराज सम्मान, एनुवेटिव शिक्षक सम्मान, से नवाजे जा चुके हैं।

बालिका शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर विशेष पहल

पुष्पा चौधरी द्वारा बालिका शिक्षा और उनके स्वास्थ्य को लेकर विशेष पहल की जाती है। 2011 से उनके द्वारा बालिकाओं और महिलाओं को निशुल्क सेनेटरी पैड का वितरण किया जाता है। तो वही स्कूल में भी वे बालिकाओं को सेनेटरी पैड बनाना सिखाती है। बालिका शिक्षा और स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण ,अधिकार और कर्तव्य का ज्ञान कारण उनका मुख्य उद्देश्य है। उनके इस प्रयास की कहानी शासन के पुस्तकों में भी प्रकाशित हुआ है। वहीं कम लागत या बिना लागत अथवा संसाधनों से खिलौने बनाना, खिलौने आधरित शिक्षण शास्त्र में उनके बनाये खिलौने ,कतरन ,कपड़े का उपयोग, क्राफ्ट आर्ट पेपर आर्ट को भी स्थान मिला है। साथ ही उन्होंने इस साल शिक्षक दिवस पर एक बच्चे को गोद लेने का फैसला भी किया। जिनका छठवीं से 12वीं तक पढ़ाई का खर्च उठाएंगे। जब तक भी मटिया स्कूल में पदस्थ हैं हर वर्ष वह इस तरह से पहल करेगी।

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