EXCLUSIVE- जब पैरी में शहीद स्मारक अनावरण में अव्यवस्था पर गरम हुए मंत्री ताम्रध्वज फिर बाद में ठंडे होकर कलेक्टर से कहने लगे जिले के जितने गांव में भी शहीद है उनकी प्रतिमा बन जानी चाहिए, और भी क्या-क्या हुई घोषणा और बातें,सांसद मोहन ने ऐसा क्यों कहा घोषणा करूंगा तो दल्ली वाले मेरा पुतला फूंक देंगे
बालोद/ गुंडरदेही। मंगलवार को दोपहर 12 बजे गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम पैरी में शहीद तीवर सिंग साहू के प्रतिमा का लोकार्पण करने के लिए पीडब्ल्यूडी व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू पहुंचे थे। उनके अलावा यहां पर सांसद मोहन मंडावी, संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद, दीपक साहू, राजेंद्र राय व अन्य अतिथि भी आए हुए थे। जब मंत्री को मंच पर बुलाया गया और संचालकों द्वारा शहीदों के परिजनों का सम्मान करने एलाउंस किया गया तो वहां कुछ देर के लिए अव्यवस्था हो गई। इस पर मंत्री गर्म हो गए और कलेक्टर को बुलाकर भी कहने लगे कि यह क्या तरीका है। किसका सम्मान करना है, कहां सम्मान करना है, क्या देना है किसको देना है, कुछ नहीं बताया जा रहा है। क्या मजाक बना कर रखा गया है शहीदों के सम्मान कार्यक्रम का।जिसके बाद वे नाराजगी जताते हुए प्रतिमा लोकार्पण की ओर रवाना हुए। बाद में फिर वे शांत हो गए और ठंडे दिमाग से भाषण देते समय कलेक्टर को दोबारा कहने लगे कि बालोद जिले में जितने भी शहीद हुए हैं उनका सर्वे करवाइए और हर शहीद की उनके गांव में प्रतिमा बन जानी चाहिए।
वही मीडिया द्वारा राज्य में बढ़ती हत्या व जघन्य अपराधों पर सवाल पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि यह लोगों को खुद सोचने की जरूरत है। अगर ऐसा होता कि हम कोई आदेश जारी कर देते तो चाकू बाजी बंद हो जाए हत्या बंद हो जाए तो जरूर करते।
कार्यक्रम की शुरुआत में राष्ट्रगान के बाद राज गीत भी गाया गया। मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन देते हुए मंत्री ताम्रध्वज साहू नेउनके पास आई जो भी मांगे थी उन पर कहा कि जो भी पीडब्ल्यूडी से संभव हैं उन्हें जल्द से जल्द पूरा करवाने का प्रयास करूंगा। अभी बजट भी लगभग बन चुका है। अगर विभाग के माध्यम से उक्त सड़कों के प्रस्ताव हम तक आ चुकी है तो वह जल्दी हो जाएगी। अगर देर से मांगे आएंगे तो अभी नहीं हो पाएगा ।फिर भी पूरा प्रयास करूंगा कि जल्द हो जाए। पैरी गांव में सीसी रोड बनवाने को लेकर भी उन्होंने 20 लाख देने की घोषणा की तो इसके अलावा जहां पर प्रतिमा अनावरण हुआ है वहीं पर अहाता व उद्यान बनवाने की घोषणा करते हुए कलेक्टर को मंच से ही निर्देशित किया कि डीएमएफ के जरिए यह काम हो जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने पंचायतों से आई मांगों पर भी जल्द पहल करने आश्वस्त किया। पैरी के सरपंच रूपम देशमुख सहित अन्य पंचायतों की ओर से आसपास के रोड व सीसी रोड को लेकर मांग पत्र सौंपा गया था। पैरी से चौरेल मार्ग को लेकर भी पीडब्ल्यूडी के अफसर को सर्वे कर प्रस्ताव भेजने कहा गया।
देश में सब है पर राष्ट्रीयता के बोध की है कमी
अपने खास भाषण के दौरान मंत्री ताम्रध्वज साहू ने देश में सब चीज होना तो बताया लेकिन एक मुख्य बात उन्होंने कही कि यहां राष्ट्रीयता के बोध की कमी है। हमें अमेरिका की तरह सोचना चाहिए। वहां यह माना जाता है कि जब भी कोई हमला या कुछ होता है तो वह पहले अपने राष्ट्रपति को सुरक्षित करते हैं। उनका मानना होता है कि अगर राष्ट्रपति सुरक्षित है तो हम व देश सुरक्षित हैं। लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं होता। यहां की सोच अलग है। हम नहीं सोचते कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सुरक्षित हो। उन्होंने कहा कि जब सीमा में जवान डटे रहते हैं तब हम चैन की नींद सोते हैं ।
कई गंभीर चिंतन की बात हमारे सामने प्रसंग में आता है। कई बार यह बात आती है कि जो शहीद होते हैं हम सिर्फ दो माला पहना कर श्रद्धांजलि देकर उन्हें सम्मान देते हैं। लेकिन उनकी शहादत को याद करने की कोशिश नहीं करते।
ऐसे में उन शहीदों को भी लगता होगा कि क्या हम इन्हीं लोगों के लिए शहीद हुए थे। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।यह गंभीर चिंता का समय है। उन्होंने कहा राष्ट्रीयता पर एक प्रश्न है कि मैं कई बार कार्यक्रम में बोलता हूं कि भारतवर्ष में कोई चीज की कमी नहीं है। कमी है तो सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रीयता के बोध की। जिस दिन राष्ट्रीयता की बात हमारे समझ में आ जाएगी कि हम भारतवासी हैं, उस दिन भारत वर्ष का मुकाबला विश्व में कोई नहीं कर सकता।
हम तो बंगाली हैं हम केरल वाले हैं हम महाराष्ट्र वाले हैं हम छत्तीसगढ़िया हैं, जिसे देखे वह यही कहता है। कोई नहीं कहता कि हम भारतीय हैं।भारतीयता के बोध की यही कमी है और इसीलिए हम देखते रहते हैं और अपने देश को बर्बाद करने में तुले रहते हैं।कई बार अलग-अलग देशों में जब युद्ध होता है तो वहां की स्थिति अलग होती है। अगर हमारे यहां कोई युद्ध होता है तो मीडिया या प्रेस में ये आने लगता है कि यहां वह कमी है, यहां वह कमी है, प्रधानमंत्री ने ऐसा किया, मंत्री ने ऐसा किया। लेकिन अमेरिका में अगर कहीं युद्ध हुआ तो वहां सबसे पहले अमेरिका यह काम करता है कि अपने राष्ट्रपति को सुरक्षित रख लेते हैं। उनका मानना होता है कि हमारे राष्ट्रपति अगर सुरक्षित है तो हमारा देश सुरक्षित है।लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं मानते।
हम नहीं सोचते कि हमारे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री सुरक्षित है तो हमारा देश सुरक्षित है। ऐसा हमारे देश में बहुत अंतर है। राष्ट्रीयता के बोध की, भारतीयता के बोध का जबरदस्त अंतर देश में है। हमारे छत्तीसगढ़ व भारत की मूल पूंजी राष्ट्रीयता है। जिसे हम भूलते जा रहे हैं। विदेशी सभ्यता भौतिकवादी में हम रम रहे हैं। तरक्की के बाद दीया तले अंधेरा हो रहा है। दीपक जब जलता है तो ऊपर प्रकाश रहता है लेकिन नीचे अंधेरा रहता है। ऐसा नहीं होना चाहिए। मैं सामाजिक मंच में भी इस बात को कहते रहता हूं कि पत्थर को जितने तेज गति से ऊपर उछालोगे वह उतनी तेज गति से नीचे आता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम जितना विकास कर रहें हैं उतना नीचे भी जा रहे हैं। यह गंभीर चिंतन का विषय है। पहले के जमाने में गर्व किया जाता था। एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक भूमिका होती थी। लेकिन अब इन सब में गिरावट, कमी आ रही है।
आज एक प्रसंग में हम इकट्ठा हुए हैं। मुझे पत्रकार रायपुर में पूछते हैं कि आपके सरकार के विकास का पैमाना क्या है। तो मैंने उन्हें कहा था कि हमारी सरकार एक लाइन की सड़क को दो लाइन चार लाइन छह लाइन बना दे पर यह हमारे विकास का पैमाना नहीं है। इसे हम सिर्फ सुविधा मानते हैं। यह जनता की सुविधा है। यह विकास का पैमाना नहीं है। हमारे विकास का पैमाना तो हमारे छत्तीसगढ़ के संस्कृति, जिसे समाप्त किया जा रहा है या यूं कहें कि समाप्त हो रहा है, उसे उजागर करना हमारा काम है। आपने देखा हमारे मुख्यमंत्री ने तीजा पोरा की छुट्टी दिया। कभी यह छुट्टी नहीं मिली थी।
हरेली पर गेड़ी परंपरा को हमने आगे लाया। बाटी भंवरा सब खेल को सामने ला रहे हैं। यह हमारे विलुप्त होती छत्तीसगढ़ी संस्कृति है। छत्तीसगढ़ी संस्कृति को आगे करना है तभी हमारा सही विकास होगा। उन्होंने कलेक्टर को मंच पर ही कहा कि जहां-जहां भी शहीद हुए हैं वहां मूर्ति लग जाना चाहिए और वहां सजावट का भी काम होना चाहिए ताकि राहगीरों को भी देखकर लगे कि यह शहीद ग्राम है और वह स्मरण करें।आने वाली पीढ़ी को इससे सीख मिले।
जब सांसद कहने लगे अगर मैंने यहां घोषणा की तो वहां दल्ली में मेरा पुतला जला देंगे
अपने अध्यक्षीय भाषण के दौरान सांसद मोहन मंडावी कहने लगे कि अगर मैंने यहां केंद्रीय विद्यालय खोलने की घोषणा की तो वहां दल्ली राजहरा में लोग मेरा पुतला जला देंगे। वे पुतला बनाकर तैयार रखे हुए हैं बस मेरे घोषणा करने की देरी है। दरअसल में पैरी के सरपंच व विधायक द्वारा भी पैरी में केंद्रीय विद्यालय खोले जाने को लेकर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए पंचायत द्वारा 10 से 12 एकड़ जमीन भी प्रशासन को उपलब्ध कराया गया है। इस पर सांसद से घोषणा करवाने की मांग मंच पर की जा रही थी। लेकिन सांसद इस घोषणा से बचते नजर आए और उन्होंने कहा कि यह तो शासन प्रशासन का काम है। जहां उचित लगे वहां केंद्रीय विद्यालय खोले। मुझे किसी में कोई आपत्ति नहीं है। इसके अलावा उन्होंने रामायण की विभिन्न चौपाइयों के जरिए लोगों को अच्छे कर्म करने के लिए प्रोत्साहित किया और मिलजुल कर रहने की नसीहत दी। अपने रामायणी कार्यक्षेत्र को भी याद करते हैं उन्होंने मंत्री ताम्रध्वज साहू व संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद के साथ बिताए हुए पल के बारे में बताया।
विशिष्ट अतिथि संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद ने भी पैरी में केंद्रीय विद्यालय की घोषणा करने की मांग सांसद से अपने भाषण के दौरान कही और कहा कि यह विद्यालय खोलकर शहीद के सम्मान को और बढ़ाया जाए। उन्होंने गर्व किया इस गांव में हर परिवार से सेना में जवान तैनात हैं। यह हमारे विधानसभा क्षेत्र का अनूठा व उनका गोद लिया हुआ गांव है। इस आयोजन के दौरान अतिथि के रुप में पूर्व विधायक वीरेंद्र साहू, सुचित्रा साहू, पुष्पेंद्र चंद्राकर, नरेश यदु, प्रमोद जैन, भोजराज साहू सहित अन्य मौजूद रहे।
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