दल्ली राजहरा में बंगाली समाज ने मनाया बांग्ला नव वर्ष, हुआ शानदार आयोजन
दल्लीराजहरा। बंगाली समाज दल्ली राजहरा द्वारा बांग्ला नव वर्ष 1431 बंगाब्ध का शानदार और गरिमामयी स्वागत किया गया।
ज्ञात हो कि बंगाली पंचांग के अनुसार वैशाख माह की पहली तिथि अर्थात पहला वैशाख को नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री सुकांत मंडल ,डॉक्टर शैवाल जाना,श्री गगन चंद्र पडड्या, श्री कनक बनर्जी श्री गौतम बेरा, श्रीमती रीना पडड्या, श्रीमती पुरोबी वर्मा आदि की गरिमामियी उपस्थिति रही। सर्वप्रथम कवि गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर के तेल चित्र पर माल्यार्पण तथा द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत् शुभारंभ किया गया। तत्पश्चात धुनोची नृत्य के द्वारा ईश्वर की आराधना की गई। धुनोची नृत्य बंगाल की एक पारंपरिक नृत्य शैली है। जिसमें विशेष प्रकार की आरती द्वारा ईश्वर की आराधना की जाती है। नव वर्ष के स्वागत के लिए दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें पहले दिवस अल्पोना (रंगोली) प्रतियोगिता व चित्रकला प्रतियोगिता तथा खेलकूद का आयोजन किया गया। जिसमें आल्पोना (रंगोली) प्रतियोगिता में प्रथम झूमा मोहंती द्वितीय ज्योति बनर्जी तृतीय मनीषा मंडल रही। इसी प्रकार चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर देवो प्रिया भट्टाचार्य द्वितीय स्थान पर अदिति साहा तृतीय स्थान पर संप्रीता चक्रवर्ती रही। खेलकूद में जूनियर ग्रुप में बाल पासिंग में अर्पिता विश्वास प्रथम अदिति साहा द्वितीय तथा देवो प्रिया भट्टाचार्य तृतीय रही। सुरीली कुर्सी में प्रियंका मंडल प्रथम आराध्या दास द्वितीय वह रूपाली विश्वास तृतीय स्थान पर रही। इसी प्रकार महिला सीनियर ग्रुप में कैंडल लाइट में शीला विश्वास प्रथम दीपा माइति द्वितीय और अदिति आईच तृतीय स्थान पर रही। बाल पासिंग सीनियर ग्रुप में अपर्णा चक्रवर्ती प्रथम पूर्णिमा मंडल द्वितीय तथा जबा कारफा तृतीय स्थान पर रही। इसी कड़ी में पुरुष वर्ग में बाल पासिंग गेम में पिंटू चक्रवर्ती प्रथम प्रदीप मोहती द्वितीय एवं मदन माइति तृतीय स्थान पर रहे। द्वितीय दिवस 14 अप्रैल को सांस्कृतिक कार्यक्रम का रंगारंग आयोजन हुआ। जिसमें समाज के बच्चों महिलाओं और पुरुषों ने अपनी अपनी विद्या में कविता नृत्य और संगीत की सुमधुर और मनमोहक प्रस्तुति से समा बांधा, जिससे नव वर्ष की पहली शाम सभी के लिए खूबसूरत और यादगार बन गई। कार्यक्रम में बंगाली समाज के बंधुगणों की बड़ी संख्या में गरिमामय उपस्थिति रही।