November 21, 2024

उमरादाह में 13.5 फीट ऊंची भगवान पार्श्वनाथ प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को

बाफना परिवार की पहल से जिले में निःशुल्क मुखबधिर स्कूल का होगा विधिवत शुभारंभ

बालोद। बालोद के 7 कि.मी की दूरी पर ग्राम उमरादाह में बाफना परिवार द्वारा सुल्तानमल सजनाबाई चैरिटेबल ट्रस्ट के अंतर्गत अब मूक बधिर बच्चों के लिये निःशुल्क सर्व सुविधा युक्त श्री पार्श्व दिव्यांग विद्या मंदिर का संचालन किया जा रहा है। यहां इस वर्ष 16 मूक बधिर बच्चों के साथ पढ़ाई प्रारंभ हो गई है। इन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक दुष्यंत साहू स्वयं मूक बधिर है तथा मूक बधिर बच्चों को पढ़ाने में प्रशक्षित है। इस विद्या मंदिर को मंदिर का स्वरूप मानते हुए यहां पर जैनों के 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ नाथ प्रभू की 13.5 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है। जिसकी प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी 2024 सोमवार को रखा गया है।संत उपाध्याय प्रवर महेंद्र सागरजी एवम मनीष सागरजी के शिष्य ऋषभ सागरजी, रिजु प्रज्ञा सागरजी म सा आदि का इस हेतु बालोद आगमन हो गया है।

इन संतों की निश्रा में तथा विधिकारक विमलजी गोलछा एवम परम गुरुभक्त संभव लुनिया की उपस्थिति में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। 22 जनवरी को इस हेतु निम्न कार्यक्रम होंगे- प्रातः 8.30 बजे अट्ठारह अभिषेक पूजा,दोपहर 12 बजे स्वामी वात्सल्य, दोपहर 3 बजे गुरु भगवंतों का प्रवचन एवम विद्या मंदिर की पृष्ठभूमि एवम रात्रि 6.45 बजे भक्ति होगी।परिवारजनों ने इस हेतु सर्व संबंधितो को आमंत्रित किया है।
इस ट्रस्ट के चेयरमैन डॉ मूलचंद बाफना ने बताया कि हमने माता पिता की प्रेरणा से उनके नाम सुल्तानमल सजनाबाई चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर संस्था बनाकर यह समाज सेवा का कार्य कर रहे है। उन्होंने बताया कि ग्राम उमरादाह में हमने लगभग 2.5 एकड़ भूमि पर इस स्कूल का निर्माण कराया है। जहाँ पर ऐसे बच्चे जो सुन नही सकते,बोल नही सकते जो मुखबधिर है उनके लिए निशुल्क शिक्षा के साथ साथ उनके रहने एवं खाने व आवास की भी व्यवस्था इस स्कूल में दी जा रही है। यह स्कूल श्री पार्श्वनाथ दिव्यांग विद्यामंदिर के नाम से संचालित किया जा रहा है। जिसका विधिवत शुभारंभ 22 जनवरी को होना है ।इस ट्रस्ट के अध्यक्ष गौतम बाफना ने बताया कि हमारा बाफना परिवार आज से ही नही बल्कि कई वर्षों से समाज सेवा करते आ रहे है। बालोद में सर्वप्रथम एम्बुलेंस की सुविधा इसी परिवार द्वारा प्रदान की गई जो आज भी संचालित है।बालोद में जमीन से निकली गणेश जी की प्रतिमा के प्रति पूरे परिवार की श्रद्धा एवं आस्था है,इसे मंदिर का स्वरूप प्रदान करने में परिवार का पूर्ण योगदान रहा। अब इस मंदिर के साथ ही गणेश प्रसादम का भी संचालन हमारे द्वारा किया जा रहा है। जिसमे नाम मात्र शुल्क 30 रुपये पर जरूरतमंदों को भरपेट भोजन कराया जाता है। परिवार के वरिष्ठ सदस्य मदन बाफना ने बताया कि हमारा परिवार शुरू से ही समाज सेवा के कार्यो में जुड़ा हुआ है। बताया कि वर्ष 2015 में एक पारिवारिक सम्मेलन में हमारे परिवार के 32 सदस्यों ने एक साथ मिलकर देहदान का संकल्प लिया। एक साथ इतने सदस्यो द्वारा एक साथ संकल्प लेने का इतिहास रचते हुए हमारे परिवार का नाम गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल हुआ और बताया कि सिर्फ संकल्प ही नही बल्कि हमारे परिवार के सदस्य मेरे छोटे भाई राजेश बाफना की 6 अकूटबर 2022 को मृत्यु पश्च्यात हमने उसके शरीर को राजनांदगांव मेडिकल कालेज में डोनेट कर यह देहदान का कार्य किया भी है।

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