दिल्ली पहुंचे बालोद के किसान, सिंधु बॉर्डर पर डटे, किसान आंदोलन का कर रहे समर्थन, देखिये वहां कैसे हैं हालत किसानों की जुबानी?

बालोद। दिल्ली के अलग-अलग सीमा क्षेत्र में कृषि कानून वापस लेने को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है। इसी क्रम में उन किसानों के आंदोलन को समर्थन देने के लिए बालोद जिले के किसान सहित छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिले के किसान भी वहां पहुंचे हुए हैं। बालोद जिले से आम आदमी पार्टी के अलावा छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन भी वहां पहुंचकर किसानों को समर्थन दे रहा है। चौरेल से छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संघ के सचिव घनश्याम चंद्राकर सहित अलग-अलग गांव से किसान बालोद जिले का प्रतिनिधित्व करते हुए पहुंचे हैं। तो वही आम आदमी पार्टी की ओर से भी कोमल हुपेन्डी प्रदेश अध्यक्ष, देवलाल नरेटी ,प्रदेश सह सगठन मंत्री हरेश चक्रधारी, कांकेर जिला अध्यक्ष घनश्याम चन्द्राकर प्रदेश उपाध्यक्ष, दीपक आरदे, जिला अध्यक्ष बालोद सन्तोष देवांगन, विधानसभा अध्यक्ष डौंडी लोहारा बसन निषाद भी समर्थन करने वहां पहुंचे हैं। 2 दिनों से किसान दिल्ली में डटे हुए हैं। कांकेर क्षेत्र से भी  किसानों का एक दल वहां आया हुआ है।

25 किमी तक है किसानों का काफिला

किसान संगठन से जुड़े घनश्याम चंद्राकर ने वहां के हालातों के बारे में फोन से चर्चा करते हुए बताया कि यहां 25 किलोमीटर तक किसान आंदोलन का नजारा है।  अलग-अलग सीमा पर किसान तंबू गाड़ कर बैठे हुए हैं और जब तक कोई हल नहीं निकलता किसान सड़क से हटने को तैयार नहीं है। हम ट्रेन से यहां तक पहुंचे हैं और सिंधु बॉर्डर पर जमे हुए किसानों का साथ देकर उनके आंदोलन में शामिल हुए हैं। यहीं पर अलग-अलग किसान संगठन द्वारा बाहर से आने वाले किसानों के लिए ठहरने खाने की व्यवस्था की गई है।

दिल्ली सरकार ने दिया है ध्यान,24 घंटे लंगर

दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा किसानों के लिए शौचालय व बाथरूम की व्यवस्था भी की गई है ।ताकि किसी को भटकना न पड़े। किसानों ने कहा कि यहां लाखों किसान सड़क पर बैठे हुए हैं। अलग-अलग बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं। किसी को कोई दिक्कत नहीं हो रही है। देशभर के किसान यहां आए हुए हैं। कोई भूखा ना सोए इसलिए 24 घंटे लंगर का भी आयोजन किया जाता है। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के साथ गुरूर, पुरुर, कांकेर, भानुप्रतापपुर ,गुंडरदेही, कुरूद के किसान भी वहां गए हुए हैं। कांकेर के किसान नेताओं में भानुप्रतापपुर के देवलाल नुरोटी ने वहां सभा को संबोधित भी किया।

बालोद से गए किसानों ने कहा पहली बार ऐसा आंदोलन देखें

घनश्याम चंद्राकर, दीपक आरदे ने बताया कि जिंदगी में पहली बार ऐसा आंदोलन देख रहा हूं। इस तरह कभी कभी कोई आंदोलन नही हुआ  है। यह एक ऐतिहासिक आंदोलन है। इतना बड़ा आंदोलन आज तक कभी नहीं हुआ है। धरना स्थल पर ही रात गुजारने की व्यवस्था है। यहीं सोते हैं फिर धरने पर बैठे रहते हैं। रात रुकने के लिए पूरी व्यवस्था की गई है।  सिंधु बॉर्डर पर अधिकतर हरियाणा व छत्तीसगढ़ के किसान गए हुए हैं। तो वही पंजाब और हरियाणा के किसान भी अलग-अलग सीमा पर डटे हुए हैं। पंजाब हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान लाखों में है। अन्य प्रदेश के किसान हजारों में पहुंचे हुए हैं।

सिंधु बॉर्डर से सोनीपत तक 25 किलोमीटर तक टेंट लगा हुआ है। सिंधु बॉर्डर से लेकर सोनीपत तक अद्भुत नजारा है। जहां पर लगभग 50 से 60 हजार  ट्रैक्टर व अन्य  गाड़ियां खड़ी हुई है। जिसमें किसान सवार होकर आए हुए हैं। जो अपने आप में दुनिया का सबसे अनोखा व सबसे बड़ा किसान आंदोलन है। आज तक ऐसा आंदोलन नहीं देखा गया है। किसानों ने कहा हमने इतना बड़ा आंदोलन ना कभी  देखा था ना सुना था। इसमें शामिल होकर भी हमें गर्व की अनुभूति हुई तो वही फिर इतना बड़ा आंदोलन  हुआ है तो केंद्र सरकार को इस पर गंभीरता से फैसला लेना चाहिए। सिंधु बॉर्डर पर ज्यादातर हरियाणा के किसान है और अन्य बॉर्डर पर पंजाब व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान, गाजीपुर बॉर्डर में राजस्थान,  महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश के किसान है। सिंधु बॉर्डर में ज्यादातर मूल रूप से हरियाणा के किसान है। छत्तीसगढ़ से लगभग 100 किसान गए हुए हैं। इसके अलावा अन्य इलाके से भी छत्तीसगढ़ से 100 किसान शामिल हुए हैं। सरायपाली, बसना से भी किसान गए हैं।

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