सुरता राखे राहू हमर कका,,,,,: भेंट मुलाकात में करे रहे हो हमर गांव के इस्कूल बर नवा भवन के घोषणा, मुश्किल होगे हाबे अब लइका मन के इस्कूल मा बइठना
सीएम की घोषणा पर नहीं हुआ अमल: सांकरा ज का हायर सेकेंडरी स्कूल भवन वर्षों से है जर्जर
दरारों के बीच पढ़ते हैं बच्चे, पेड़ ने थाम रखा है ढहता हुआ भवन
माधुरी दीपक यादव, बालोद।
20 सितंबर 2022 के वो बेरा, जेन दिन भेंट मुलाकात कार्यक्रम जगन्नाथपुर मा कका (मुख्यमंत्री भूपेश बघेल) आप मन आय रेहेव। वो दिन ला हमन तो नहीं भुलाए हवन फेर आप मन ला एक बात सुरता करावत हवन, जेन करे रहे हो सांकरा ज स्कूल बर नवा भवन के घोषणा,,,,। घोषणा के बाद से अब ले भवन बर अधिकारी मन डाहर ले कुछु बुता नही होय हे अऊ ए डाहन लइका मन के इस्कुल मा बईठना मुश्किल होगे हे। काबर के भवन हा अतका फुटहा होगे हे कका कि कभु भी अल्हन हो सकथे। तेकर सेती आप ला अपन घोषणा के सुरता करावत हवन,,,ये दारी देख लुहु अऊ नवा भवन बनवा दुहु।
ऐसा कहना है यहां के हर बच्चों पालकों और ग्रामीणों का। दरअसल में भेंट मुलाकात के दौरान सीएम ने यहां साकरा ज हायर सेकेंडरी स्कूल के लिए नवीन भवन की घोषणा की थी। लेकिन अब तक इस घोषणा पर अमल नहीं हुआ है। तो वहीं दिन-ब-दिन यहां के स्कूल भवन की हालत खस्ता होती जा रही है। स्थिति यह है कि दीवारें पूरी फट चुकी है। छत कभी भी गिर सकता है। तो कुछ जगहों पर सज्जे, छत और दीवारों को पेड़ ने संभाल रखा है। स्कूल के बाहर एक पेड़ हैं जिन पर गिरता हुआ भवन टिका हुआ है। अगर यह पेड़ न होता तो कभी भी यह भवन ढह जाता। दहशत के साए में यहां बच्चे पढ़ाई करते हैं। बरसात में तो उनके दिलों की धड़कन और बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि बदहाल छत और दीवारों की वजह से यहां क्लास में दो बार पंखा भी गिर चुका है। जिससे छात्र घायल हो चुके हैं। इतना सब होने के बाद भी विभाग इसे नजरअंदाज कर रहा है। और अब तक यहां नया भवन के लिए कोई काम ही नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री की घोषणा, घोषणा ही रह गई है। अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। यह आरोप लगाया है यहां के सरपंचों ने भी लगाया। शनिवार को स्कूल में शाला प्रवेश उत्सव का आयोजन किया गया था। आयोजन के बाद अतिथियों ने भी स्कूल भवन का जायजा लिया तो उनकी रूह कांपने लगी। काफी खतरनाक स्थिति बन गई है।
सांकरा सरपंच वारूणी देशमुख, जगन्नाथपुर सरपंच अरुण साहू, शाला प्रबंधन समिति से जुड़े हुए पदाधिकारियों ने मौका मुआयना कर इस स्कूल के लिए नए भवन बनवाने की मांग शासन प्रशासन से की है। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री आए थे, उन्होंने घोषणा की है तो शायद इस साल इस स्कूल के लिए नया भवन मिलेगा। लेकिन क्या उनकी उम्मीदें पूरी हो पाएगी या नहीं यह वक्त ही बताएगा। बच्चों को खतरा बढ़ता जा रहा है। बरसात में कोई न कोई हादसा यहां होता आया है। कभी मलबा गिरना के ना तो कभी पंखा गिरना ना तो कभी रॉड टूटना। स्कूल की सभी कमरों की स्थिति एक जैसी हो गई है। स्कूल भवन काफी पुराना है। बाहर से देखने से तो पता नहीं चलता है लेकिन जब अंदर झांकेंगे तो वास्तविकता नजर आती है। बगल में सरस्वती शिशु मंदिर संचालित है। वही परिसर में एक पेड़ है। जिस पर स्कूल का सज्जा टिका हुआ है। लेकिन ध्यान से देखें तो उस सज्जे और छत के नीचे की पूरी दीवार खिसक गई है। अगर वह पेड़ नहीं होता तो कब का यह स्कूल भवन ढह जाता। ऐसे कई कमरे हैं जहां पर इस बदहाली के वजह से ना बच्चे बैठ पा रहे हैं नहीं शाला स्टाफ। खतरों के बीच स्कूल चल रहा है। पर समस्या दूर करने वाला कोई नहीं है। उम्मीद की जा रही कि इस शिक्षा सत्र में यहां के बच्चों को नए भवन की सौगात मिलेगी। मुख्यमंत्री से बच्चों को आस है तो इधर अब तक भवन नहीं बनने से पालकों में आक्रोश है।
मुद्दे को लेकर आसपास के पंचायत सरपंच कलेक्टर जनदर्शन में जाने की बात भी कह रहे हैं।
किसने क्या कहा?
सरपंच अरुण साहू ने कहा कि वे इसके लिए कई बार मांग कर चुके हैं। भेंट मुलाकात में जब मुख्यमंत्री का आगमन हुआ था तो उनकी मांगों पर मुख्यमंत्री ने नवीन स्कूल भवन के लिए घोषणा की थी। लेकिन अब तक घोषणा पर अमल नहीं हुआ है। जल्द ही इस मुद्दे को लेकर कलेक्टर से भी मुलाकात करेंगे।
सांकरा ज सरपंच वारुणी शिवेंद्र देशमुख ने कहा कि स्कूल की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। बच्चों का बैठना खतरे से खाली नहीं है। यहां दो बार पंखा भी गिर चुका है। भविष्य में और कोई विपत्ति ना आए इसलिए समय रहते नया स्कूल भवन बनना चाहिए। शासन प्रशासन से इसके लिए जल्द मांग करते हैं। मुख्यमंत्री जी से भी उम्मीद है कि उन्होंने घोषणा की है तो इस सत्र में नवीन भवन के लिए काम शुरू हो जाए ।
अधिकारी देख चुके वास्तविकता लेकिन अब तक पहल नहीं
स्कूल में पूर्व कलेक्टर सहित जिला शिक्षा अधिकारी भी कई बार निरीक्षण के लिए आ चुके हैं। जब वे अलग-अलग आयोजनों में आते हैं तो स्कूल प्रबंधन द्वारा उन्हें भवन की वास्तविकता भी दिखाई जाती है। यहां नवीन भवन बनवाने की सख्त जरूरत है। क्योंकि वर्तमान भवन इतना जर्जर हो चुका है कि वह मरम्मत के लायक भी नहीं है। गांव में जगह पर्याप्त है। शासन स्वीकृति दे तो नया भवन सुरक्षित जगह पर बनाया जा सकता है। लेकिन अधिकारी यहां की वास्तविकता जानने के बाद भी नजरअंदाज कर रहे हैं, यह दुख की बात है।