बालोद जिले के संविदा कर्मचारियों ने भी दिया सामूहिक इस्तीफा, सरकार द्वारा लगाए गये एस्मा का किया गया विरोध, 17 जुलाई को जेल भरो आंदोलन
बालोद।
सर्व विभाग संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कौशलेश तिवारी द्वारा राज्य सरकार के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारियों पर ESMA लगाये जाने के कारण नवा रायपुर के धरना स्थल तुता में जल सत्याग्रह कर के इस दमनात्मक करवाही का विरोध 12.07.2023 को किया गया इसी क्रम में सभी जिलों में सर्व विभाग संविदा कर्मचारी संघ के द्वारा सामूहिक त्यागपत्र सभी कर्मचारियों द्वारा दिया जा रहा है। भविष्य में उग्र आंदोलन किया जाएगा और 17.7.2023 को जेल भरो आंदोलन नवा रायपुर में किया जा रहा है जिसमे पूरे राज्य के 45000 संविदा कर्मचारी शामिल होंगे।
आज बालोद जिले में भी सर्व विभाग संविदा कर्मचारी संघ के द्वारा जिला अध्यक्ष रितेश गंगबेर और सभी विभाग के 750 संविदा कर्मचारियों द्वारा कलेक्टर ऑफिस में सभी कर्मचारियों की उपस्थिति में अपर कलेक्टर को सामुहिक त्यागपत्र दिया गया और साथ ही साथ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में CMHO और जिला अस्पताल के CS को सामुहिक त्यागपत्र दिया गया।
लगातार जारी संविदा कर्मचारियों की हड़ताल के बावजूद शासन प्रशासन द्वारा कोई सकारात्मक रुख नहीं अपनाया जा रहा है। जिसके चलते संविदा कर्मियों ने अब सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। सरकार द्वारा लगाए गए एस्मा के चलते उक्त आदेश के विरोध में प्रदेश भर में इस्तीफा देने का सिलसिला चल रहा है। इस क्रम में लगभग 300 संविदा कर्मचारियों ने भी बालोद जिले से इस्तीफा दे दिया है। कर्मचारियों का आंदोलन आगे भी जारी रहेगा। कर्मचारियों का कहना है कि चुनावी वर्ष है अभी नहीं तो कभी नहीं के इरादे से हम हड़ताल पर डटे रहेंगे। कर्मचारियों ने भले ही सामूहिक इस्तीफा दिया है लेकिन शासन इसे स्वीकार करने की स्थिति में नहीं रहती है। ना ही वह सब को एक साथ हटा सकती है। इसलिए सरकार से सीधे टक्कर लेते हुए संविदा कर्मी भी एस्मा का विरोध सामूहिक इस्तीफा दे रहे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि आगे क्या स्थिति पैदा होती है। सरकार कैसे इस संविदा कर्मियों को नियंत्रित कर पाती है। क्या उनकी मांगों पर कुछ निर्णय लेती है या फिर उनकी उपेक्षा होती है। आने वाले चुनाव में कोई विपरीत प्रभाव न पड़े इसलिए सरकार कुछ फैसला ले सकती है। इस आस में आंदोलन को जारी रखने की बात संविदा कर्मी कर रहे हैं और रोजाना नए-नए तरीकों से आंदोलन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के समस्त संविदा कर्मचारी निरंतर 15-20 वर्षो से कार्य करने के उपरांत अचानक नौकरी से निकाले जाने का भय एवं पारिवारिक सुरक्षा नही मिलने के कारण नियमितीकरण की मांग कर रहे है, जिससे स्थायीकरण, वरिष्ठता का लाभ, वेतन, ग्रेच्युटी, क्रमोन्नति, पदोन्नति, सामाजिक सुरक्षा, अनुकम्पा नियुक्ति एवं बुढ़ापे का साहारा पेंशन, अवकाश जैसे आदि अनिवार्य रूप से मूलभूत सुविधाएँ नही मिल पा रही है।
विषम परिस्थितियों एवं कोरोना काल में भी बिना किसी ठोस बीमा सुरक्षा, अनुकम्पा नियुक्ति, अल्प वेतन एवं भत्ते में अपनी सेवाएँ देते आ रहें है। बहुत से संविदा कर्मचारी कालकलवीत होने के उपरांत सेवा के प्रतिफल में उनके परिजनों को कुछ भी नही मिला।
उक्त उपेक्षा पूर्ण व्यवहार से समस्त विभाग के संविदा कर्मचारी भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपनी रोजी-रोटी को बचाने के लिए आवेदन, निवेदन उपरांत विवश होकर दिनांक 03 जुलाई 2023 से मजबूरीवश अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है।
जन घोषणा पत्र – 2018 में नियमितीकरण किए जाने का उल्लेख लिखित में होने के साथ-साथ आपके द्वारा दिनांक 14 फरवरी 2019 को मंच से घोषणा भी की गई तथा नियमितीकरण हेतु समिति गठन के उपरांत भी साढ़े चार वर्ष पश्चात नियमितीकरण नही किए जाने के विरोध में तथा एस्मा का हवाला देकर दमन पूर्वक नियमितीकरण के वादे को दबाया जा रहा है जिससे छत्तीसगढ़ के समस्त संविदा कर्मचारी निराश एवं से छुब्ध होकर सामूहिक (इस्तीफा ) त्याग पत्र देने को मजबूर है। जिससे सभी विभाग के संविदा कर्मचारियों में काफी रोष व्याप्त है।
इस तारतम्य में जिले के संविदा कर्मचारियों द्वारा जिला स्तर के अधिकारियों को मुख्यमंत्री के नाम सामूहिक इस्तीफा सौपा गया।