कपूत की करतूत- माता-पिता के हत्यारे को मिला आजीवन कारावास, गुण्डरदेही में हुई थी वारदात, पढ़िए मामला….

पहले डंडे से मारा बाप को फिर करंट भी दिया था

बालोद । सरोज नंद दास, प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बालोद (छ.ग.) के द्वारा आरोपी हरीश गंजीर पिता उधो राम गंजीर, उम्र 41 वर्ष, साकिन वार्ड क्र० 13 गुण्डरदेही, थाना गुण्डरदेही, जिला बालोद (छ.ग.) को भा.द.वि. की धारा 302 (दो बार के आरोप आजीवन कारावास (दो बार ) व धारा 201 (दो बार भा.द.वि. के आरोप में सात वर्ष का सश्रम कारावास (दो बार) व कुल 2500/- रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। अभियोजन की ओर से प्रकरण की पैरवी चित्रांगद देशमुख, अतिरिक्त लोक अभियोजक के द्वारा किया गया, जिसके अनुसार- दिनांक 19/10/2018 को फोन से थाना गुण्डरदेही को सूचना प्राप्त हुआ कि गुण्डरदेही में एक व्यक्ति का मृत्यु हो गया है। सूचना पर मौके पर पहुंचकर देहाती मर्ग इंटीमेशन दर्ज कर जांच किया गया। जांच के दौरान मृतक उधो राम गंजीर के शरीर में बहुत जगह चोट का निशान व करेंट लगने के निशान थे। गवाहें के बयान तथा घटनास्थल का निरीक्षण पर प्रथम दृष्टया हत्या करना पाये जाने पर संदेही मृतक के साथ रहने वाले पुत्र हरीश गंजीर से पूछताछ करने पर बताया कि दिनांक 16.10.2018 को लगभग 19:00 बजे रात्रि में घरेलू विवाद पर गुस्से में आकर अपने पिता उघोराम गंजीर तथा मां सुशीला गंजीर के साथ डण्डा से मारपीट किया तथा मौके पर ही पिता की मृत्यु होने पर बिजली करेंट दिया। शव को घर के अंदर छुपाकर रख दिया कि आरोपी के मेमोरेण्डम कथन धारा 27 साक्ष्य अधिनियम के तहत घटना में प्रयुक्त डण्डा एवं इलेक्ट्रिक वायर सामान आरोपी से जप्त किया गया। आरोपी द्वारा अपने पिता उधोराम गंजीर को मारकर हत्या करना स्वीकार करने पर दिनांक 20.08.2018 के 1. बजे गिरफ्तार कर न्यायिक रिमाण्ड पर जेल भेजा गया। घायल मां सुशीला बाई गंजीर को गंभीर चोंट आने से शासकीय अस्पताल गुण्डरदेही में भर्ती किये थे, जहां से रिफर करने पर डॉ० भीमराव अम्बेडकर अस्पताल रायपुर में भर्ती कर ईलाज हो रहा था कि ईलाज के दौरान दिनांक 10.11.2018 को सुशीलाबाई गंजीर की भी मृत्यु हो गयी। थाना गुण्डरदेही द्वारा अभियुक्त के विरुद्ध अपराध क० 286 / 2018 पर पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। निरीक्षक सईद अख्तर द्वारा विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, गुण्डरदेही में पेश किया गया। विचारण का क्षेत्राधिकार माननीय सत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जहां विचारण के दौरान आये साक्ष्य के आधार पर आरोपी को उक्त दण्ड से दण्डित किया गया।

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