दल्ली, पुरूर सहित प्रमुख जगहों पर हुआ आदिवासी समाज द्वारा नाकेबंदी और चक्का जाम, दल्ली में रेलवे ट्रैक पर भी बैठे लोग, आरक्षण का मुद्दा गरमाया
बालोद। आरक्षण में किए गए बदलाव को लेकर समाज में आक्रोश देखा जा रहा है। तो वहीं अब आंदोलन की शुरुआत हो गई है। आर्थिक नाकेबंदी और चक्का जाम किया जा रहा है। इसके तहत जिले में विभिन्न जगहों पर प्रदर्शन हुए। दल्ली में समाज के लोग रेलवे ट्रैक पर बैठ गए थे वही
पुरुर में आरक्षण की मांग को लेकर सर्व आदिवासी समाज द्वारा आर्थिक नाकेबंदी कर माल वाहक को पुरूर नेशनल हाईवे पर रोका गया। जिससे वाहनों की लंबीकतार लग गई।
वहीं आम नागरिकों को परेशानीयो का सामना करना पड़ा। दल्ली में सर्व आदिवासी समाज के द्वारा अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार दल्ली राजहरा के मानपुर चौक एवं चौराहा पड़ाव तिराहा पर आर्थिक नाकेबंदी करके शासन के प्रति अपना आक्रोश प्रकट किया। जिसमें हजारों आदिवासी महिला पुरुष सुबह 9:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक आंदोलन स्थल पर डटे रहे और 32 परसेंट आरक्षण की कटौती के विरोध में जमकर नारेबाजी की। मानपुर चौक से लगे हुए रेल पटरी पर बैठकर माल गाड़ियों के आवाजाही पर भी सर्व आदिवासी समाज ने पूरी तरह से रोक लगा दी थी। सर्व आदिवासी समाज के द्वारा आर्थिक नाकेबंदी के तहत सड़कों पर चलने वाले मालवाहक ट्रकों एवं रेल वैगन को भी रोका गया जबकि यात्री बसों एवं रेल यात्री पैसेंजर को आने जाने हेतु छूट दिया गया। सड़क पर बैठे आदिवासियों को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक जनक लाल ठाकुर ने कहा कि सरकार के द्वारा आरक्षण के मामले में आम आदिवासियों को बार-बार गुमराह किया जा रहा है आदिवासी समाज आरक्षण को लेकर किसी भी स्तर पर लड़ाई लड़ने को तैयार है देश की दोनों ही बड़ी राजनीतिक पार्टियों आदिवासियों के साथ छल करती आ रही है लेकिन अब आदिवासी अपने हक के लिए किसी भी स्तर पर संघर्ष करने को तैयार है आरक्षण में किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष यू आर गंगराले ने आक्रोशित सर्व आदिवासी समाज के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा यह आंदोलन वर्तमान में संकेतिक है।
इस आर्थिक नाकेबंदी से भी अगर सरकार नहीं चेतेगी तो सर्व आदिवासी समाज उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा। सरकार को चाहिए कि वह शीघ्र ही अध्यादेश लेकर आए और अधिसूचना जारी करें। छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को गुमराह करना बंद करें। यहां का आदिवासी सीधा सरल है मगर कमजोर नहीं है। सर्व आदिवासी समाज के जिला उपाध्यक्ष संतोषी ठाकुर ने संविधान की विभिन्न धाराओं का उल्लेख करते हुए बताया के आदिवासियों का आरक्षण में कटौती करना उनको जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण उपलब्ध ना कराना सरकार की हिटलर शाही है। यह सरकार आदिवासियों के हित रक्षक होने का ढोंग कर रही है। छत्तीसगढ़ से जुड़े हुए अन्य राज्यों में जब आरक्षण का प्रतिशत 50 से अधिक हो सकता है तो छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं ?अभी हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री को छत्तीसगढ़ में अतिथि बनाकर बुलाया गया था और झारखंड के मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ से जाते ही झारखंड में 77% आरक्षण विभिन्न समुदायों के लिए घोषित कर दिया है। इससे छत्तीसगढ़ सरकार को सीख लेनी चाहिए और सभी समुदायों को उनके जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण तत्काल देना चाहिए। सभा को हलबा समाज के केंद्रीय अध्यक्ष देवेंद्र महाला तुकाराम कोराम प्रेमलाल कुंजाम रतिराम कोसमा ने भी संबोधित किया। सभा में मुख्य रूप से राजकुमार प्रभाकर टीकम बढाई एस एस नेताम तुलसी मरकाम मोहन हिडको देवेंद्र मोहल्ला झुमुक परसाई अजीत कतलाम जागेश्वर दरो फिरातां उईके गणेश राम ओटी राजाराम ताराम लक्ष्मण भंडारी उत्तम ठाकुर महेश कुरेटी अनीता कुमेटी सुनील कुरेटी चमन कुमेडी दिनेश उर्वशा इंद्र कुमार करात ऋषि ठाकुर नीरज ठाकुर कुशल श्रीराम हिमांशु करात निमेष नायक निलेश गीता मरकाम हेमकुमारी शेखर नेताम गुड्डा कठोर विद्या राउटे केकती मंडावी कुसुम ध्रुव ममता मानकर पुष्पा अलिंद्र कांति धनेंद्र ममता घराना सुमरित उर्वशी मिथिलेश पिस्दा देवेंद्र उईके दिलीप सोरी चुन्नीलाल कवंर संतोष ठाकुर एवं हजारों की तादात में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित रहे।