कार्यशाला जलवायु तथा पर्यावरण बदलाव को लेकर पंचायतों का तीन दिवसीय गैर आवासीय प्रशिक्षण प्रारंभ

पर्यावरण सुरक्षा में समुदाय पंचायत की भूमिका महत्वपूर्ण

देवरीबंगला । पर्यावरण में कुछ बदलाव तो प्राकृतिक है पर हाल के वर्षों में इंसानों की गलती से पर्यावरण में कई बदलाव आ रहे हैं। इससे हमारे पर्यावरण तथा जलवायु प्रदूषित हुई है। राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र रायपुर के निर्देश पर स्वास्थ्य मितानिन कार्यक्रम द्वारा ग्राम सीबी नवागांव के पंचायत भवन में तीन दिवसीय गैर आवासीय पंच एवं सरपंचों की कार्यशाला हुई। कार्यशाला में ब्लॉक समन्वयक ने बताया कि पर्यावरण का मतलब है हमारे आसपास की हवा, जमीन, खेती-बाड़ी, पानी, नदी नाले, जंगल, पेड़ पौधे, जानवर आदि से है साथ में मकान, भवन, सड़के, वाहन आदि भी हमारे पर्यावरण का हिस्सा है। पर्यावरण में बदलाव का मतलब बेमौसम बारिश, बढ़ती गर्मी और सूखा पड़ना, उपजाऊ भूमि बंजर में बदल जाना, समुद्र का जल स्तर लगातार बढ़ना, प्राकृतिक आपदाओं का बढ़ना से है। पर्यावरण में परिवर्तन के बहुत से कारण हैं। जिसमें इंसानों की बढ़ती हुई जनसंख्या और उनकी जरूरतें अभी मुख्य कारण है। उन्होंने जल वायु तथा मिट्टी में प्रदूषण के संबंध में विस्तार से बताया। कार्यशाला में प्रशिक्षण के दौरान स्वस्थ पंचायत समन्वयक अनीता रामटेके ने बताया कि पर्यावरण सुरक्षा में समुदाय और पंचायत की भूमिका स्वास्थ्य पर समझ कुछ बीमारियों पर समाज महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं स्वच्छता एवं पेयजल तथा स्वास्थ्य की स्थिति को सुधारने के लिए पंचायत क्या कर सकती है तथा जलवायु परिवर्तन पर क्या-क्या कार्य करेंगे। उन्होंने सरपंच एवं पंचों को प्रशिक्षण से जाकर क्या करेंगे विषय पर एक वर्ष की कार योजना बनाई गई। प्रशिक्षण में मितानिन प्रशिक्षक प्रितमलाल साहू, केशव शर्मा, सरपंच सुनीता बाई पटेल, ललित कुमार भूआर्य, कुंभकरण निर्मलकर सहित मुजगहन, सी बी नवागाव, बहेराभांटा पंचायत के 30 पंच उपस्थित थे। इसी प्रकार का प्रशिक्षण डौंडीलोहारा के मितानिन भवन में बटेरा, भेड़ी (लो) तथा चिल्हाटीकला के सरपंच व पंच प्रशिक्षण ले रहे हैं।

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