BigNews- पाटेश्वर धाम आश्रम की जमीन को अवैध बताकर नोटिस भेजा डीएफओ ने, राष्ट्रीय संत बालक दास बोले 3 माह से डीएफओ कर रही मुझे प्रताड़ित, अब चुप नहीं बैठूंगा, देखिए और क्या बोले संत
बालोद/ रायपुर। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के डौंडी लोहारा ब्लॉक स्थित बड़े जुंगेरा में पाटेश्वर धाम है। जिसकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर है। इस धार्मिक स्थल के कुछ जगहों को वन विभाग ने अवैध बताते हुए उन्हें हटाने के लिए नोटिस थमा दिया है। विभाग द्वारा यहां के राष्ट्रीय संत राम बालक दास को नोटिस भेजा गया है। उन्हें इसके लिए 30 दिन की मोहलत दी गई है। इस नोटिस पर छत्तीसगढ़ के हिंदू संगठन में बवाल मचा हुआ है तो वहीं राष्ट्रीय संत बालक दास भी अब चुप्पी तोड़कर आर पार की लड़ाई का मन बना रहे हैं। इस नोटिस के मसले पर जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि डीएफओ द्वारा उन्हें लगभग 3 माह से प्रताड़ित किया जा रहा है। मेरे पास सभी दस्तावेज है। किसी तरह से हमने कोई अवैध कब्जा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अब मैं चुप नहीं बैठूंगा। इतने दिनों तक मैं शांत था लेकिन वन विभाग ने मीडिया के जरिए मामला उछाल कर इसे मुद्दा बना दिया है। जबकि इस विषय पर पूर्व में मेरी वन मंत्री अकबर से भी बात हुई। मंत्री जी ने मुझसे कहा था कि इस मामले में हम कोई हाथ नहीं डालेंगे। विभाग कोई दखल नहीं देगा। लेकिन अचानक डीएफओ की इतनी हिम्मत कहां से आ गई कि उन्होंने हमें नोटिस भेजा है। अब हम शांत नहीं रहेंगे। अब तक अपना संत स्वभाव दिखा रहे थे लेकिन अब स्वभाव बदलना पड़ेगा। हमारे भक्त भी चुप नही बैठेंगे। उन्होंने सीता रसोई के नाम से संचालित व्हाट्सएप ग्रुप में भी एक अखबार की कटिंग को डालकर कहा है कि इस पर आंदोलन छेड़े। हर स्तर पर इस मुद्दे का विरोध करें। सच्चाई की जीत होगी। तो वहीं उनके भक्त भी वन विभाग के इस नोटिस को एक षड्यंत्र बता रहे हैं और इस नोटिस का विरोध भी शुरू हो गया है। अब देखने वाली बात होगी कि मामले में अब क्या-क्या नया मोड़ सामने आता है।
क्या है मामला जरा समझिए
जामड़ी पाटेश्वरधाम पंचमुखी हनुमान मंदिर के संचालक महात्यागी संत रामबालक दास को वन विभाग ने नोटिस जारी कर 4.065 हेक्टेयर संरक्षित वन क्षेत्र पर कब्जा हटाने चेतावनी दी है। बालोद डीएफओ सतोविशा समाजदार ने नोटिस में 30 दिन के भीतर जवाब मांगा है। डीएफओ समाजदार ने कहा कि ऐसा नहीं करने पर कब्जा हटाने की कार्रवाई शुरू की जा सकती है। जमीन को मूल दशा में लाने पर होने वाला खर्च जिम्मेदारों से वसूला जाएगा।
डीएफओ सतोविशा समाजदार का कहना है कि इसके पूर्व जारी नोटिस के जवाब में रामबालक दास ने बिना प्रूफ के बस इतना बताया कि मंदिर 1975 से वहां है। इसके लिए प्रूफ के कागज मंगाए गए थे। वहीं 1975 में भी पीएफ में मंदिर बनाना नियम विरुद्ध था। बाकी स्ट्रक्चर 2018 के हैं। जब भारतीय वन अधिनियम 1927 के साथ एफ सीए 1980 भी आ चुका है। संरक्षित वन में मंदिर बनाना गैरकानूनी है। इसलिए संत रामबालक दास को नोटिस जारी किया गया है। छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विभाग और पंचायत विभाग को भी नोटिस दिया गया है। 4 हेक्टयर प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट में 20 लाख की 4 सड़क व आंगनबाड़ी भवन बनाया गया है।
ये हो सकता है आगे
30 दिन के भीतर कारण बताते हुए जवाब नहीं दिया तो उपरोक्त वर्णित भूमि पर अनधिकृत कब्जा के खिलाफ बेदखली का आदेश पारित किया जा सकता है। वही अनधिकृत भूमि पर खड़ी समस्त संपात्ति को अधिग्रहित करने की कार्रवाई भी की जा सकती है। इसके अलावा अनधिकृत भूमि पर खड़ी फसल, भवन या अन्य निर्माण का कार्य हटाने एवं भूमि को अपनी मूल दशा में लाने में होने वाले समस्त कार्यों का खर्च इसके जिम्मेदारों से वसूलने की भी बात कही गई है। इधर सन्त ने ये भी कहा इस मामले में सांसद से भी 18 नवम्बर को होने वाले दिशा की बैठक में चर्चा कर मामले को सुलझाने की कोशिश करेंगे।