गौरव के गोठ- बहादुर कलारिन दाई के नाम में सरकार दिही राज्य अलंकरण पुरस्कार, एकर माची हाबे हमर बालोद में,,,,जानौ ओकर गाथा,,
सिन्हा समाज में ख़ुशी की लहर, विधायक संगीता सिन्हा ने जताया आभार
बालोद। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सिन्हा समाज की आराध्य देवी माता बहादुर कलारिन के नाम से भी अब राज्य अलंकरण सम्मान देने की घोषणा की है। इस घोषणा के तहत पालन इस साल के राज्योत्सव से शुरू हो जाएगा। इस घोषणा के बाद सिन्हा समाज में जमकर उत्साह है। समाज से जुड़ी व संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के विधायक संगीता सिन्हा व पूर्व विधायक भैया राम सिन्हा ने मुख्यमंत्री का आभार जताया। इस घोषणा को समाज का गौरव बढ़ाना बताया गया। बता दे कि मां बहादुर कलारिन की माची बालोद जिले में ही स्थित है। जो कि गुरुर ब्लाक के ग्राम चिरचारी में है। पत्थरों से टिका हुआ उक्त स्मारक आज भी माता बहादुर कलारिन की गाथा को जीवंत करती है। जो समाज की भलाई के लिए अपने पुत्र को जहर देकर मारी थी और खुद भी आत्महत्या कर ली थी। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मां बहादुर कलारिन के नाम से राज्य अलंकरण सम्मान देने से इस जगह की ख्याति और बढ़ेगी। इसे पुरातत्व विभाग ने संरक्षित क्षेत्र घोषित किया है। लेकिन अभी भी यहां विकास कार्य की जरूरत है ताकि इस ऐतिहासिक स्मारक को आगे भी अच्छी तरह सहेज कर रखा जा सके।
केसरा पाटन में आयोजित सिन्हा समाज के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने की है घोषणा
छत्तीसगढ़ डड़सेना कलार समाज के खंड महासभा के कार्यक्रम दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड के ग्राम केसरा में हुआ। जहां मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ बालोद विधायक संगीता सिन्हा व पूर्व विधायक भैया राम सिन्हा भी शामिल हुए। आयोजन के दौरान सीएम ने समाज की नायिका बहादुर कलारिन के नाम पर अलंकरण सम्मान आरंभ करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि 1 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में यह सम्मान दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर केसरा में समाज के आग्रह पर सामुदायिक भवन निर्माण के लिए 25 लाख रुपए तथा डड़सेना कलार समाज द्वारा स्थापित बहादुर कलारिन महाविद्यालय को 20 लाख रुपये देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना एवं गौठान मॉडल को पूरे देश में अपनाया जा रहा है। झारखंड ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित गोधन न्याय योजना जस का तस स्वीकार किया है । यहाँ के गौठान को देखने देशभर से प्रतिनिधिमंडल आ रहे हैं। यह ग्रामीण विकास के सशक्त मॉडल के रूप में स्थापित हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठान को ग्रामीण आजीविका केंद्र के रूप में स्थापित किया जा रहा है। इनके उत्पादों के विक्रय के लिए सीमार्ट में व्यवस्था की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा मुख्य जोर वैल्यू एडिशन को लेकर है। हमारे वनोपज को जब हमारे लोग प्रोसेस कर के ब्रांड के रूप में बेचेंगे, तो उससे अच्छी आय हासिल कर सकेंगे। कोंडागांव के तिखुर का उदाहरण भी उन्होंने दिया। पहले तिखूर छत्तीसगढ़ में हमेशा व्रत के दौरान उपयोग होता था अब इसकी पहचान देशभर में हो गई है। हमारे वनोपज में कमाल का स्वाद और पौष्टिक गुण हैं। हमने इनका मूल्य संवर्धन किया और अब इससे बड़ी लाभ की संभावनाएं वनोपज संग्राहकों के लिए बनी है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि बोरेन्दा की बाड़ी में महिलाओं ने 12 लाख रुपए की आय हासिल की है। यह नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना का कमाल है कि ग्रामीण क्षेत्र तेजी से आर्थिक विकास की दिशा में बढ़ रहे हैं। सिन्हा समाज की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज ने अपनी एकजुटता से अपने लोगों को आगे ले जाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।
इस मौके पर बालोद विधायक श्रीमती संगीता सिन्हा ने भी अपना उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की गोधन न्याय योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को आर्थिक आय के अवसर हासिल हुए हैं। महासंघ को संघ के अध्यक्ष श्री दीपक सिन्हा ने भी संबोधित किया। साथ ही रिसाली की महापौर श्रीमती शशि सिन्हा ने भी सभा को संबोधित किया।
कलावती के नाम से भी जानी जाती थी बहादुर कलारिन माता
बहादुर कलारिन बाई जी का नाम एक देवी की तरह लिया जाता है वे पुरे छत्तीसगढ़ के साथ कलार समाज के पौराणिक इतिहास का हिस्सा तो है ही साथ ही छत्तीसगढ़ के इतिहास में भी उनका नाम बड़े बड़े अक्षरों में अंकित है।बहादुर कलारिन बाई जी के प्रचलित किस्से लोक कथाओ में सुनने मिलते है और छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिले से 26 किलोमीटर दूर चिरचारी गाँव में उनकी स्मारक व मन्दिर स्थित है जो की छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा संरक्षित है,छत्तीसगढ़ में कलचुरी शासन ख़त्म हो रही थी , कई गाँव के लोग अपने रहने खाने के व्यवस्था के साथ अपनी जगह बदलने में मजबूर थे , उन्ही में से एक थे गौटिया सुबेलाल कलार। जिनकी मदिरा की दुकान थी हालाँकि राजाओ के शेष काल अब भी बचे हुए थे , सुबेलाल गौटिया की बनाई शराब दूर दूर से लोग लेने व पीने आते थे ,
सुबेलाल की छोटे भाई के बेटी कलावती ही उनके पास मात्र परिवार के नाम पर थी और कलावती के पास चाचा सुबेलाल को छोड़ कोई नहीं था। सुबेलाल की मृत्यु के बाद मदिरा की दुकान चलाती कलावती को बहुत सारे राजाओ के प्रेम प्रस्ताव आये ,व कुछ समय बाद वे एक राजा के अथाह प्रेम में पड़ गयी जिनसे उन्हें एक पुत्र भी हुआ , राजा ने कलावती से छल किये व कलावती को अकेला छोड़ गया।
जीवन के इस स्थिति में अब कलावती अपने पुत्र के साथ जीवन निर्वाह करने लगी ,पर कलावती के बेटे को छल की बात खटकने लगी वह इसी खटास के साथ बड़ा होने लगा ,
खटास कब परिवर्तित हुई किसी को खबर तक नहीं हुई ,कलावती के बेटे ने राजाओ के बेटियों से शादी करके उन्हें छोड़ देता , उसने कई राजाओ की बेटियों के साथ शादी करके बदले के भाव में उन्हें छोड़ देता। कलावती को जब इस बात का पता चला उन्होंने अपने बेटे को मारने की योजना बनाई क्यूंकि उनके बेटे की इस आदत से कई और महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुँचती थी। सभी तरफ अपने ही बेटे को पानी ना देने का आदेश दिया , पानी ना मिलने पर अधमरे हालत में जब वह कुंवे के पास पंहुचा तो कलावती जी ने उसे धकेल कर खुद भी कुंवे में कूद गयी । आज कलावती को बहादुर कलारिन के नाम से जानते है , कलावती वो स्त्री थी जिन्होंने पूरी जिंदगी संघर्ष में निकले सौंदर्य ,पारंगत होने के बाद भी उनके जीवन में प्रेम ने छल के साथ प्रवेश लिए ,जिसका सबसे ज्यादा असर उनके बेटे पर हुवा , अंत में उन्होंने अपनी जिंदगी अपने बेटे के साथ खत्म कर ली। चिरचारी गाँव में उनकी स्मारक व मन्दिर में आज भी उनकी पूजा की जाती है , सिर्फ कलार समाज में नहीं बल्कि पूरी अलग जातियों में भी कलारिन बाई सम्मानित की जाती है।